_*मुताफर्रिकात*_
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*_सुन्नत को मज़बूती से थामे रहना :- हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि जो कोई फसादे उम्मत के वक़्त मेरी सुन्नत को मज़बूती से थामे रहेगा उसे 100 शहीदों का सवाब मिलेगा_*
_*📕 इब्ने माजा, जिल्द 3, सफह 360*_
*_नाखून काटने का तरीक़ा :- सबसे पहले दायें हाथ की शहादत की ऊंगली से शुरू करके छंगुलिया तक जायें फिर बायें हाथ की छंगुलियों से अंगूठे तक आयें और आखिर में दायें हाथ के अंगूठे का काटें, ये तरीक़ा हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम से साबित है और यही तरीक़ा मेरे आलाहज़रत का भी रहा है, पांव के नाखून काटने में खिलाल का तरीक़ा इस्तेमाल करें कि दायें पैर की छंगुलियों से शुरू करके अंगूठे पर खत्म करें फिर बायें पैर के अंगूठे से शुरू करके छंगुलियों तक ले जायें_*
_*📕 बहारे शरीयत, हिस्सा 16, सफह 196*_
*_सदक़ा :- मौला तआला ने जब ज़मीन को पैदा फरमाया तो वो रब के जलाल से कांपने लगी तो उस पर पहाड़ बसा दिए जिससे उसकी हरकत मौक़ूफ हो गयी, फरिश्तो को पहाड़ की ताक़त पर बड़ा ताज्जुब हुआ उन्होंने मौला से पूछा कि क्या पहाड़ से भी ताकतवर कोई चीज़ दुनिया में है तो मौला फरमाता है कि हां वो लोहा है फिर फरिश्ते अर्ज़ करते हैं कि मौला क्या लोहे से भी ताकतवर कोई चीज़ है तो मौला फरमाता है कि हां वो आग है फिर फरिश्तो ने अर्ज़ किया कि ऐ मौला क्या आग से भी ताकतवर कोई चीज़ है तो मौला फरमाता है कि हां वो पानी है फिर फरिश्ते अर्ज़ करते हैं कि मौला क्या पानी से ताक़तवर भी कुछ है तो मौला फरमाता है कि हां वो हवा है फिर फरिश्ते अर्ज़ करते हैं कि मौला क्या हवा से भी कोई चीज़ ताक़तवर है तो मौला इरशाद फरमाता है कि हां इंसान का किया हुआ वो सदक़ा जो उसने छिपाकर दिया हो वो हर चीज़ से ज़्यादा ताकतवर है_*
_*📕 मिश्कात, जिल्द 1, सफह 530*_
*_ज़ियारते क़ुबूर :- हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि मैंने तुमको ज़ियारते क़ुबूर से मना किया था अब मैं तुमको इजाज़त देता हूं कि तुम क़ब्रों की ज़ियारत करो कि वो दुनिया से बे रग़बती और आखिरत की याद दिलाती है और हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम खुद भी क़ब्रिस्तान तशरीफ ले जाया करते थे_*
_*📕 मुस्लिम, जिल्द 1, सफह 680/682*_
*_मिस्वाक :- हज़रत जाबिर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से मरवी है कि हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि मिस्वाक के साथ वाली नमाज़ बगैर मिस्वाक की नमाज़ से 70 गुना अफज़ल है_*
_*📕 अत्तरगीब, जिल्द 1, सफह 102*_
*_नापाकी की हालत में क़ुर्आन पढ़ना :- जिन पर गुस्ल फर्ज़ है उनको ज़बान से क़ुर्आन की आयत पढ़ना लिखना या छूना हराम है हां दरूद शरीफ व कल्मा शरीफ और दीगर वज़ायफ व दुआ पढ़ने में हर्ज़ नहीं मगर कुल्ली करके पढ़ें_*
*📕 बहारे शरीयत, हिस्सा 2, सफह 43*
*_औरत के बाल:- औरतों के बाल सतर में दाखिल हैं जिनका छुपाना फर्ज़ है सो उनका इतना बारीक दुपट्टा पहनकर नमाज़ पढ़ना कि बालों की सियाही ऊपर से दिखाई दे नमाज़ नहीं होगी_*
_*📕 बहारे शरीयत, हिस्सा 3, सफह 43*_
*_औरत के लिए सबसे बेहतर :- एक मर्तबा हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम ने अपनी महफिल में सहाबये किराम से सवाल किया कि औरत के लिए सबसे बेहतरीन चीज़ क्या है, सब खामोश रहे और किसी ने जवाब ना दिया तो मौला अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु उठे और अपने घर जाकर खातूने जन्नत हज़रते फातिमा ज़ुहरा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा से यही सवाल करते हैं तो आप फरमाती हैं कि एक औरत के लिए सबसे बेहतर ये है कि उसको कोई गैर मर्द ना देखे, मौला अली ये जवाब सुनकर बहुत खुश हुए और फिर यही जवाब वापस आकर हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम की बारगाह में पेश किया तो हुज़ूर भी खुश होकर फरमाते हैं कि फातिमा मेरा ही हिस्सा है_*
_*📕 फतावा रज़वियह, जिल्द 9, सफह 28*_
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