Sunday, September 9, 2018



                  _*हज़रत शाह भिखारी*_
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_*हज़रत सय्यदना निज़ाम उद्दीन शाह भिखारी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु*_

*_आप सिलसिलाये आलिया क़ादिरिया बरकातिया रज़विया नूरिया के 27वें मशायख हैं, आपकी पैदाइश 890 हिजरी यानि 1485 ईसवी में शहरे लखनऊ में हुई, आप का नस्ब 19वीं पुश्त में जाकर सय्यदना मौला अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से मिल जाता है, 10 साल की उम्र में हिफ्ज़ करके 14 साल की उम्र में ही आलिमियत से फरागत हासिल कर ली थी, आप एक बा करामत बुज़ुर्ग गुज़रे हैं, 91 साल की उम्र में 9 ज़िल क़ाअदा 981 हिजरी यानि 1572 ईसवी में आपका विसाल हुआ और काकोरी लखनऊ में आपका मज़ार शरीफ है_*

_*📕 द चेन आफ लाइट, जिल्द 2, सफह 38-47*_

*_एक शख्स ने बसरा के बाजार से एक मय्यत को जाते हुए देखा जिसे सिर्फ 4 आदमी ही उठाये हुए थे उस जनाज़े के साथ और कोई नहीं था, वो इस मुआमले की तहक़ीक़ करने के लिए उसके पीछे पीछे चल दिए, जब उसको दफना कर सब चले गए तो एक औरत वहीं खड़ी रही और फिर वो हंस पड़ी, आप उसके पास पहुंचे और पूरा हाल जानना चाहा तो औरत बोली कि ये जनाज़े मेरे बेटे का है वो बहुत ही बदकार था पिछले 3 दिनों से सख्त बीमार रहा और जब उसे ये इल्म हो गया कि अब वो नहीं बचेगा तो उसने मुझसे वसीयत की कि मेरे मरने की किसी को खबर ना देना क्योंकि मैं बहुत ही बदकार हूं लोग आयेंगे तो नहीं बल्कि खुश ही होंगे,हां बस इतना करना कि मेरे मरने के बाद मेरी अंगूठी पर कल्मा शरीफ लिखा हुआ है उसे मेरी उंगली में डाल देना और अपना पैर मेरे मुंह पर रखकर कहना कि ऐ अल्लाह के मुजरिम यही तेरी सज़ा है और मुझे दफना देना, बाद दफ्न के मेरे लिए दुआ करना और इतना कह देना कि मैं इससे राज़ी हूं मौला तू भी राज़ी हो जा, बस जैसे ही मैंने ये कहा तो अपने बेटे की आवाज़ सुनी उसने कहा कि ऐ अम्मा अब तू जा मैं अपनी मंज़िल को पहुंच गया और मेरा रब मुझसे राज़ी हो गया_*

_*📕 रुहुल बयान, जिल्द 1, सफह 600*_

*_इस रिवायत से मां की दुआओं का असर भी मालूम हुआ और मय्यत के कफन पर कफनी लिखने का फायदा भी दिखाई दिया, कफनी लिखने के लिए रिवायत में आता है कि मय्यत की पेशानी या इमामा या कफन पर अगर अहद नामा लिखदे तो उम्मीद है कि उसकी मग़फिरत हो जाये जैसा कि किसी ने वसीयत की कि मेरी पेशानी पर बिस्मिल्लाह शरीफ लिख देना तो ऐसा ही किया गया,किसी ने उसे ख्वाब मे देखा तो हाल पूछा तो कहा कि फरिश्ते आये मगर ज्यों ही उन्होने मेरी पेशानी पर बिस्मिल्लाह शरीफ लिखा देखा तो फरमाया कि तू अज़ाब से बच गया_*

_*📕 जाअल हक़, सफह 324*_
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