_*📜अनवारे शरिअत (पोस्ट न. 30)*_
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*﷽*
_*🕌नमाज़ की सुन्नतें*_
_*❓सवाल : - नमाज़ में सुन्नतों का बयान फ़रमाइए ।*_
_*✍🏻जवाब : - नमाज़ की सुन्नतें यह हैं । तहरीमा के लिए हाथ उठाना और हाथों की उंगलियां अपने हाल पर छोड़ना तकबीर के वक़्त सर न झुकाना और हथेलियों और उंगलियों के पेट का किबला रुख होना , तकबीर से पहले हाथ उठना इसी तरह तकबीरे कूनूत व तकबीराते ईंदैन में कानों तक हाथ ले जाने के बाद तकबीर कहना , औरतों को सिर्फ मोढों तक हाथ उठाना , इमाम का अल्लाहु अकबर , समिअल्लाहुलिमन हमिदह और सलाम बुलन्द आवाज़ से कहना तकबीर के बाद हाथ लटकाए बगैर फौरन बांध लेना , सना , तऔउज़ तसमिया पढ़ना और आमीन कहना और इन सब का आहिसता होना पहले सना पढ़ना फिर तऔउज फिर तसमिया और हर एक के बाद दूसरे को फौरन पढ़ना । रुकू में तीन बार सुबहान रब्बियल अज़ीम कहना और घुटनों को हाथे से पकड़ना और उंगलियां खूब खुली रखना , औरतों को घुटनों पर हाथ रखना और उंगलियां कुशादा ( खुली ) न रखना , हालते रुकु में टांगें सीधी होना , रुकु के लिए अल्लाहु अकबर कहना , रुकु में पीठ खूब बिछी रखना , रुकु से उठने पर हाथ लटका हुआ छोड़ देना , रुकु से उठने में इमाम को समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहना , मुक़तदी को रब्बना लकलहम्दु कहना और अकेले को दोनों कहना*_
_*सजदा के लिए और सजदा से उठने के लिए अल्लाहु अकबर कहना , सजदा में कम से कम तीन बार सुबहान रब्बियल अअ़ला कहना , सजदा करने के लिए पहले घुटना फिर हाथ फिर नाक फिर पेशानी ( माथा ) ज़मीन पर रखना और सजदा से उठने के लिए पहले पेशानी ( माथा ) फिर नाक फिर हाथ फिर घुटना ज़मीन से उठाना , सजदा में बाज़ करवटों से और पेट रानों से अलग होना और कुत्ते की तरह कलाइयां ज़मीन पर न बिछाना , औरत का बाज़ करवटों से पेट रानों से रान पिंडलियों से और पिंडलियां जमीन से मिला देना , दोनों सजदों के दरमियान ( बीच ) तशहहुद की तरह बैठना और हाथों को रानों पर रखना , सजदों में हाथों की उंगलियों का किबला रुख होना और मिली हुई न होना , और पांव की दसों उंगलियों के पेट ज़मीन पर लगना , दूसरी रक्अत के लिए पंजों के बल घुटनों पर हाथ रख कर उठना , कादा में बायां पांव बिछा कर दोनों सुरीन ( कुल्हा ) उसपर रख कर बैठना , दाहिना पैर खड़ा रखना और दाहिने पैर की उंगलियां किबला रुख ( किबला की तरफ ) करना , औरत को दोनों पांव दाहिनी तरफ निकाल क बायें सुरीन ( कूल्हे ) पर बैठना , दाहिना हाथ दाहिनी रान पर और बायां हाथ बाई रान पर रखना और उंगलियों को अपनी हालत पर छोड़ना , शहादत पर इशारा करना , कादए अख़ीरा में तशहहुद के बाद दुरूद शरीफ़ और दुआएं मासूरा पढ़ना ।*_
_*📕 अनवारे शरिअत, सफा 64/65/66*_
_*🤲🏻तालिबे दुआ-ए- मग़फिरत एडमिन*_
_*📮जारी रहेगा इंशाअल्लाह.....*_
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