_*रसुलल्लाह! ﷺ का इंसाफ*_
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_*रसुलल्लाह! ﷺ का इंसाफ हर एक के लिए बराबर*_
_*हिकायत : हजरत आईशा (रजी अल्लाहु अन्हा) से रिवायत है की, हजरत उसमान (रजी अल्लाहु अन्हु) ने रसुलल्लाह! (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) से एक औरत की सिफारिश की (जिसने चोरी की थी) तो आप (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने फरमाया की--*_
_*"तुम मे से पहले के लोग इसलिए हलाक हो गये की ओ कमजोर पर तो हद्द (सजा) कयाम करते थे और बुलंद मर्तबा लोगो को छोड़ देते थे, उस जात की कसमा! जिसके हाथ मे मेरी जान! है अगर फातिमा (रजी अल्लाहु अन्हा) ने भी चोरी की होती तो मै उसका भी हाथ काट लेता"*_
_*📕सहीह बुखारी, वो-8, 6787 (उर्दु रेफरेन्स)*_
_*📕सहीह बुखारी वो-4, बुक-056, हदीस नम्बर-682 (इंग्लिश रेफरेन्स)*_
_*📝सबक - इस हदीसे मुबारक से भी मालुम होता है के रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) का इंसाफ हर शख्स के लिए बराबर है। फिर चाहे गुनाह किसी अमीर या बुलंद मर्तबा के लोगो ने किया हो या फिर किसी कमजोर ने किया हो प्यारे आका किसके साथ ना-इंसाफी पसंद नही करते बल्कि हर एक के लिए वही फैसला सुनाते जो उस जुर्म पर मुकरर्र किया हुआ था..*_
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