*_सुब्ह व शाम पढ़ने की दुआ_*
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_*हज़रते उसमान बिन अफ्फान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि रसूले अकरम सल्लललाहु तआला अलैही वसल्लम ने फरमाया कि जो बन्दह हर दिन की सुब्ह को और हर रात की शाम को 3, बार कह ले तो उसको कोई चीज़ नुकसान ना दे वह दुआ ये है*_
*بِسْمِ اللّٰہِ الَّذِیْ لَا یَضُرُّ مَعَ اسْمِہِ شَیْءُُ فِلْاَرْضِ وَلَا فِی اسَّمَآءِ وَھُوَالسَّمِیْعُ الْعَلِیْمُ*
_*बिस्मिल्लाहिल्लज़ी ला यदुर्रु मअस्मिही शैउन फिलअरदी वला फिस्समा इ वहुवस्समीउल अलीम*_
_*📕 तिर्मिज़ी शरीफ जिल्द, 2 सफह, 194*_
_*📕 अबू दाउूद जिल्द, 4 सफह, 338*_
_*📕 इब्ने माजा सफह, 284*_
_*और बाज़ रिवायत अबूदाऊद और बाज़ रिवायात इमाम अहमद में ये है कि हर बला ए नागहानी से महफूज़ रहे*_
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