_*अक़ायद - हुज़ूर खातेमुन नबीयीन है*_
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_*कंज़ुल ईमान - मुहम्मद तुम्हारे मर्दों में से किसी के बाप नहीं,हां अल्लाह के रसूल हैं और सब नबियों में पिछले (यानि आखिरी)*_
_*📕 पारा 22,सूरह अहज़ाब, आयत 40*_
_*ⓩ सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम,क़ुर्आन की अब तक की जितनी भी तफसीरें लिखी गयी उनमें ज़्यादातर में इस आयत की यही तफसीर है कि हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम आखिरी नबी हैं आपके बाद कोई नबी नहीं आयेगा,हत्ता कि हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम क़ुर्बे क़यामत आसमान से ज़मीन पर नाज़िल होंगे मगर उतरने के बाद अगर चे वो नबी हैं मगर उस वक़्त शरीयते मुस्तफा पर ही अमल करेंगे,हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम का आखिरी नबी होना क़तई है जो कि नस्से क़ुर्आनी से साबित है तो जो कोई आपके बाद किसी को नुबूवत मिलना जाने वो काफिरो मुर्तद है,हवाले के लिए चंद तफसीरों का ज़िक्र करता हूं जिसे ज़रूरत हो देख सकता है*_
_*📕 तफसीर इब्ने अब्बास,जिल्द 5, सफह 123*_
_*📕 तफसीर तबरी, जिल्द 34, सफह 16*_
_*📕 तफसीर रुहुल मआनी, जिल्द 22, सफह 22*_
_*📕 तफसीर कबीर,जिल्द 6, सफह 786*_
_*📕 तफसीर रुहुल बयान,जिल्द 6, सफह 188*_
_*📕 तफसीर सावी,जिल्द 3, सफह 263*_
_*📕 तफसीर अहमदिया, सफह 406*_
_*📕 तफसीर खज़ाएनुल इर्फान, सफह 503*_
_*ⓩ इसी तरह सियह सित्तह में भी अलग अलग रावियों से कई हदीसें हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम के खत्मे नुबूवत पर शाहिद हैं, हवाले दर्ज हैं*_
_*📕 बुखारी,जिल्द 2,सफह 633*_
_*📕 मुस्लिम,जिल्द 2,सफह 248/278*_
_*📕 तिर्मिज़ी,जिल्द 2,सफह 209*_
_*📕 अबु दाऊद,जिल्द 2,सफह 206*_
_*📕 इब्ने माजा,सफह 37*_
_*ⓩ और जो कुछ पाकिस्तान में फिलहाल मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद क़ादियानी के मानने वाले काफिर कर रहे हैं वो सालों पहले यहां के वहाबी मसलन अशरफ अली थानवी काफिर और क़ासिम नानोतवी काफिर हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम को आखिरी नबी ना मानने की ज़लालत कर चुके हैं,और ऐसे ज़लीलो ख्वार मक्कार झूठे कज़्जाबों के बारे में मेरे आक़ा हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम 1400 साल पहले ही फरमा चुके हैं, मुलाहज़ा फरमायें*_
_*हदीस - हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि मेरे बाद मेरी उम्मत में 30 कज़्ज़ाब होंगे उनमें से हर एक ये दावा करेगा कि वो नबी है हालांकि मैं खातेमुन नबियीन हूं और मेरे बाद कोई नबी नहीं*_
_*📕 अबु दाऊद,जिल्द 2,सफह 206*_
_*📕 तिर्मिज़ी,जिल्द 2,सफह 323*_
_*फतवा - हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम की शान में गुस्ताखी करने के मुआमले में हमारे अइम्मा ज़बान बहकने और नशे की हालत का भी ऐतबार नहीं रखते और उस पर हुक्मे कुफ्र लगाते हैं और उसे वाजिबुल क़त्ल फरमाते हैं*_
_*📕 शिफा शरीफ,जिल्द 2,सफह 401*_
_*ⓩ मौला तआला से दुआ है कि अपने हबीब सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम के सदक़े व तुफैल तमाम मुसलमानों के ईमानो अक़ायद व जानो माल इज़्ज़त आबरू की हिफाज़त फरमाये और जितने भी मुसलमान जहां कहीं भी हों उन्हें नामूसे रिसालत के खातिर मर मिटने का जज़्बा अता फरमाये और जो इस राह में मारे जायें उन्हें जन्नतुल फिरदौस में आला से आला मक़ाम अता फरमाये-आमीन आमीन आमीन या रब्बिल आलमीन बिजाहिस सय्यदिल मुरसलीन सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम*_
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