Thursday, September 27, 2018



          _*क्या वहाबियों से निकाह होगा.❓*_
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_*🔘वहाबियों से निकाह करने के मुताअ़ल्लिक इमाम इश्क़ो मुहब्बत मुजद्दिदे दीन व मिल्लत अज़ीमुल बरक़त आला हज़रत अश्शाह इमाम अहमद रज़ा खाँ (रदिअल्लाहो तआला अन्हो) अपनी "मलफ़ूज़ात" मे इरशाद फरमाते है।*_

_*💫इरशाद : सुन्नी मर्द या औरत का शिया, वहाबी, देवबन्दी, नेचरी, कादयानी, जितने भी दीन से फिरे लोग है उनकी औरत या मर्द से निकाह नहीं होगा। अगर निकाह किया तो निकाह न हो कर सिर्फ़ ज़िना होगा। और औलाद ज़ायज़ न होकर नाज़ायज़ व हरामी कहलाएगी फ़तावा-ए-आलमगीरी मे है*_

*لا یجوز النکاح المرتد*
*مع مسلمة ولا كافرة اصلية ولا مرتدة وكذالایجوز نكاح المرتدة مع احد*

_*👆🏻👆🏻गर कहीं  लिखने मे गल़ती (Mistake) हो तो जरूर बताएं*_

_*📕 अ़लमलफ़ूज़ जिल्द नं 2, सफा नं 105*_

_*अक्सर हमारे कुछ कम अक़्ल- न समझ सुन्नी मुसलमान जिन्हें दीन की माअ़लूमात व ईमान की अ़हमियत माअ़लूम नही होती वोह वहाबियों से आपस में रिश्ते जोड़ते है। कुछ बदनसीब सब जानने के बावजूद वहाबियों से आपस में रिश्ता करते हैं!*_
     
_*✍🏻 कुछ सुन्नी हज़रात ख्याल करते हैं। कि वहाबी अ़क़ीदे की लड़की अपने घर ब्याह कर ला लो। फिर वोह हमारे माहौल में रहकर खुद ब खुद सुन्नी हो जाएगी अव्वल तो यह निकाह ही नही होता क्यों कि जिस वक्त यह निकाह हुआ उस वक्त तक लड़का सुन्नी और लड़की वहाबी अ़क़ीदे पर क़ायम थी। लिहाजा सिरे से ही येह निकाह ही नही हुआ,*_

_*सैंकड़ो जगह तो येह देखा गया है कि किसी सुन्नी ने वहाबी घराने मे येह सोचकर रिश्ता किया कि हम समझा बुझा कर हम अपने माहौल में रखकर वहाबी से सुन्नी बना लेंगे लेकिन वह समझा कर सुन्नी बना पाते इससे पहले ही उस वहाबी रिश्तेदारों ने उन्हें कुछ ज़्यादा ही समझा दिया और अपना हम ख़्याल बनाकर सुन्नी से वहाबी बना डाला (अल्लाह की पनाह) सारी होश़ियारी धरी की धरी रह गयी और दीन व दुनिया दोनों बर्बाद हो गये*_

_*📍यह बात हमेशा याद रखिए एक ऐसे शख्स को समझाया जा सकता है तो वहाबियों के बारे में हक़ीक़त से वाकिफ न हो लेकिन ऐसे शख्स को समझा पाना मुम्क़िन ही नही जो सबकुछ जानता और समझता है। औलमा -ए- देवबन्द [ वहाबियों ] की हुज़ूर ﷺ अम्बिया-ए-किराम, बुजुरगाने दीन, की शाने अ़क्दस में गुस्ताख़ियों को समझता है। उनकी किताबों में येह सब गुस्ताख़ाना बातों को पढ़ता है लेकिन इस सबके बावजूद येह कहता है कि येह (वहाबी) तो बहुत अच्छे लोग हैं इन्हें बुरा नहीं कहना चाहिए। ऐसे लोगों को समझा पाना हमारे बस में नहीं।*_

_*📖 आयत : अल्लाह तआला---ऐसे लोगों के मुत्अ़ल्लिक़ इरशाद फरमाता है,*_

_*तर्जुमा : अल्लाह ने उनके दिलों पर और कानो पर मुहर कर दी और उनकी आँखों पर  घटा टूप है और उनके लिए बड़ा अज़ाब़ है*_

_*📕 तर्जुमा : कन्जुल इमान पारा 1, सूरह ए बखरा, आयत नं 7*_

_*📌लिहाजा जरूरी व अहम फर्ज है कि ऐसे लोगों से जिनके दिलों पर अल्लाह ने मोहर (Seal छाप) लगा दी हो उनसे रिश्ता न क़ायम करें वर्ना शादी शादी न होकर ज़िना रह जाएगी।*_
   
_*अल्हमदुलिल्लाह आज दुनिया में सुन्नी लड़कियों और लड़कों की कोई कमी नहीं है। और इन्शा अल्लाह तआला अहले सुन्नत व ज़माअत के मानने वाले क़यामत तक बड़ी तादाद में शानो शौक़त के साथ क़ायम रहेंगे*_
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