Sunday, August 26, 2018



            _*आसमानी किताबें हिस्सा - 8*_
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_*सूरह मुजादला की आयत नंबर 12 जिसका तर्जुमा ये है कि ऐ ईमान वालो जब तुम रसूल से कोई बात आहिस्ता अर्ज़ करना चाहो तो अपनी अर्ज़ से पहले कुछ सदक़ा दे लो तो इस आयत पर अमल करने का मौक़ा सिवाये मौला अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के किसी और को ना मिला,वाक़िया और इसका शाने नुज़ूल ये है कि जब मालदार सहाबी हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम की बारगाहे नाज़ में अपना अरीज़ा लेकर आते तो काफी दराज़ वक़्त ले लिया करते जिससे कि गरीब सहाबियों को वक़्त कम मिलने लगा इस पर ये आयत नाज़िल हुई कि नबी से कुछ भी पूछने के लिए पहले सदक़ा करो तो मौला अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने 1 दरहम सदक़ा किया और 10 सवाल पूछे,वो सवाल जवाब कुछ इस तरह हैं..*_
_*(1) वफा क्या है फरमाया तौहीद और उसकी शहादत देना*_
_*(2) फसाद क्या है फरमाया कुफ्रो शिर्क*_
_*(3) हक़ क्या है फरमाया इस्लाम और क़ुर्आन और विलायत जब तुझे मिले*_
_*(4) हीला क्या है फरमाया तर्के हीला*_
_*(5) मुझ पर क्या लाज़िम है फरमाया अल्लाह और उसके रसूल की इताअत*_
_*(6) दुआ कैसे मांगू फरमाया सिद्क़ यक़ीन के साथ*_
_*(7) क्या मांगू फरमाया आक़बत*_
_*(8) अपनी निजात के लिए क्या करूं फरमाया हलाल खा और सच बोल*_
_*(9) सुरूर क्या है फरमाया जन्नत*_
_*(10) राहत क्या है फरमाया अल्लाह का दीदार,आप जब ये सवाल पूछ चुके तो इस आयत का हुक्म मंसूख हो गया यानि रुख्सत मिल गई तो अब इस पर अमल करने का मौका किसी के पास ना था*_

_*ⓩ अगर चे हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम से सवाल पूछने से पहले सदक़ा करने का हुक्म मंसूख हो गया हो मगर इतना तो साबित हो गया कि किसी काम से पहले सदक़ा करना बेहतर बल्कि बेहद फायदेमंद है,तो हम सुन्नियों के यहां ग्यारहवीं तोशा खिचड़ा कूंडा शरबत मलीदा मज़ारो पर शीरीनी वगैरह ले जाना ये सब सदक़ये नाफिला ही है जो कभी अपनी अर्ज़ से पहले और कभी शुक्राने में अदा किया जाता है*_

_*📕 खज़ाएनुल इरफान,ज़ेरे आयत*_

_*सूरह फातिहा के 27 नाम हैं*_

_*📕 अलइतकान,जिल्द 1,सफह 70*_
_*📕 तफसीरे नईमी,जिल्द 1,सफह 47*_

_*क़ुर्आन में 9 फरिश्तों के नाम मौजूद हैं जिनकी तफसील हस्बे ज़ैल है*_

_*जिब्रील*_
_*मीकाईल*_
_*हारूत*_
_*मारूत*_
_*रअद - ये बादलों पर हुक्मरां है*_
_*बर्क़*_
_*मालिक - दारोगये जहन्नम*_
_*सजल - ये आमाल नाम पर मुअक्किल हैं*_
_*क़ईद - इसके अलावा 3 और नाम हैं जिनमे इख्तेलाफ पाया जाता है*_

_*📕 अलइतकान,जिल्द 2,सफह 170*_

_*क़ुर्आन के अलावा हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम हदीस भी लेकर आया करते थे,क़ुर्आन व हदीस में फर्क ये है कि क़ुर्आन वहिये मतलू व जलि यानि तिलावत की जाने वाली वही है और हदीस गैर मतलू व खफी यानि गैर तिलावत वाली वही है*_

_*📕 मवाहिबुल लदुनिया,जिल्द 2,सफह 69*_

_*वही को लिखने के लिए हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम की बारगाह में 13 कातिब थे चारों खलीफा, आमिर बिन फहीरा, अब्दुल्लाह बिन अरक़म, उबई बिन कअब, साबित बिन क़ैस, खालिद बिन सईद, हंज़ला बिन रबिया, ज़ैद बिन साबित, अमीर मुआविया, शरजील बिन हसन रिज़वानुल्लाहि तआला अलैहिम अजमईन*_

_*📕 अननिहाया,सफह 15*_

_*जारी रहेगा......*_
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