Thursday, October 3, 2019



    _*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 043 📕*_
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      _🕋 *[किब्ला की तरफ रूख़ न हो]* 🕋_

 ✍🏻 _*.... हुज़ूर सैय्यदना इमाम मुहम्मद ग़ज़ाली [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] फरमाते है.........*_

 💫💫 _*"सोहबत करने के आदाब में से एक अदब यह भी है कि सोहबत के वक्त़ मुँह क़िब्ला की तरफ से फेर लें।*_

📕 *_कीम्या-ए-सआ़दत, सफा नं 266_*

       ✍🏻 _*आला हज़रत [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] इर्शाद फरमाते है.......*_

 💫💫 _*"सोहबत के वक्त़ क़िब्ला की तरफ मुँह या पीठ करना मक़रूह व ख़िलाफ़े अ़दब है जैसा के "दुर्रे मुख़्तार" मे बयान हुआ"*_

📕 *_फ़तावा-ए-रज़्वीया, जिल्द नं 9, सफा  140_*

     👉🏻 *_सोहबत के वक्त़ क़िब्ला की तरफ से रुख  फेरने के लिए गालीबन इस लिए कहा गया है की क़िब्ला की ताज़ीम हर मुसलमान पर ज़रूरी है, उस की तरफ़ रूख़ कर के बन्दा अपने परवरदिगार  की इबाद़त करता है! और क़िब्ला की तरफ थूकने, पेशाब, पाख़ाना करने और बरहेना (नंगा) उस की तरफ रूख़ करने की सख़्त मुमानियत आई है।_*

📚 _*हदीस : एक हदीसे पाक मे पाक में है कि नबी-ए-करीम ﷺ ने इरशाद फरमाया..........*_

💎 _*"जब बन्दा नमाज़ पढ़ता है तो वह अपने रब से मुनाजाक कर रहा होता है! या उसका  परवरदिगार उसके और क़िब्ला के दर्मियान होता है! (यानी क़िब्ला की जानिब अल्लाह तआला की रहमत ज़्यादा मुतवज्जहे होती है)*_

📕 *_बुखारी शरीफ, जिल्द नं 1, बाब नं 274, हदीस नं 393, सफा नं 233_*

                👉 *_अब चूँकि सोहबत के वक्त़ मर्द और औरत बरहेना (नंगी) हालत में होते है तो भला उस हालत में भला क़िब्ला की तरफ रूख़ कैसे किया जा सकता है। इसलिये मुबाशरत के वक्त अदबन किब्ला की जानीब रूख करने से मना फरमाया गया है!_*

       🔥 *_नंगे होकर सोहबत करना_*🔥

👉🏻 *_सोहबत के वक्त़ मर्द और औरत कोई चादर वगैरह ओढ़ ले, जानवरों की तरह बरहेना (नंगे होकर) सोहबत न करे।_*

📚  _*हुज़ूरे अकरम ﷺ*  इरशाद फरमाते है ......._

 💎 *_"जब तुम मे कोई अपनी बीवी से सोहबत करे तो पर्दा कर ले बेपर्दा होगा तो फ़रिश्ते हया की वजह से बाहर निकल जाएंगे और शैतान आ जाएंगा, अब अगर कोई बच्चा हुआ तो शैतान की  उसमे शिर्कत होगी।_*

📕 *_गुनीयातुत्तालिबीन, सफा नं 116_*

✍🏻 _*इमामे अहलेसुन्नत आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खाँ कादरी मुहद्दीस बरैलवी  [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] ने अपनी किताब *"फ़तावा-ए-रज़वीया"* में फरमाते है.........._

💫💫 *_सोहबत के वक्त़ अगर कपड़ा ओढ़े है बदन छुपा हुआ है तो कुछ हर्ज नही और अगर बरहेना (नंगी हालत मे) है तो एक तो बरहेना सोहबत करना खुद मक़रूह है हदीस में है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने सोहबत के वक्त़ मर्द व औरत को कपड़ा ओढ़ लेने को हुक़्म दिया और फरमाया! "यानी गधे की तरह नंगे न हो"_*

_📕 *फ़तावा ए रज़्वीया, जिल्द नं 9, सफा नं 140*_

✍🏻 _*....आला हज़रत [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] एक दूसरी जगह इरशाद फरमाते है!........*_

  💫💫 *_"बरहेना (नंगी हालत मे) रह कर सोहबत करने से औलाद के बेशर्म व बेहया होने का ख़तरा है"।_*

📕 *_फ़तावा ए रज़्वीया, जिल्द नं 9, सफा नं 46_*

         👉🏻 *_सोचीये इंसान की जरा सी लापरवाही कहॉ तक नुकसान का सबब बन जाती है! गालीबन इस जमाने मे जो शर्म और हया का जनाजा उठता जा रहा है, उसकी सैकडों वुजुहात मे से यह भी एक वजह रही हो की मुबाशरत बरहाना (नंगे) होकर की गयी हो, और उपर से कोई चादर या कपडा न लिया गया हो! और यह असर नस्ल (बच्चो) मे आया, नतीजा यह हुआ की शर्म व हया को मौजुदा नस्ल ने जिंदा ही दफन कर दिया है!_*

_*बाकी अगले पोस्ट में....*_

_*📮 जारी रहेगा इंशा'अल्लाह....*_
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