_*ख्वाजा ग़रीब नवाज़ رضي الله عنه हिस्सा- 3*_
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*_ये बात सही है कि ख्वाजा गरीब नवाज़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के आने से कई सौ बरस पहले हिंदुस्तान में इस्लाम आ चुका था जैसा कि मशहूर है कि सुल्तान महमूद गज़नवी रहमतुल्लाह तआला अलैहि के 17 हमले हिंदुस्तान पर हो चुके थे, मगर इस्लाम को फरोग़ मिला है तो सरकार गरीब नवाज़ की आमद के बाद_*
_*📕 अलमलफूज़, हिस्सा 1, सफह 104*_
*_आपकी आमद अजमेर शरीफ में 10 मुहर्रम 561 हिजरी में हुई_*
_*📕 महफिले औलिया, सफह 342*_
_*चन्द करामतें*_
*_अजमेर शरीफ पहुंचकर आपने एक दरख्त के नीचे बैठना चाहा तो कुछ सायेबान ने मना किया कि यहां पर राजा के ऊंट बैठते हैं लिहाज़ा आप यहां नहीं बैठ सकते सरकार गरीब नवाज़ ने फरमाया कि ठीक है तुम्हारे राजा के ऊंट ही यहां बैठेंगे, ऊंट बैठ तो गए मगर जब उनको उठाया गया तो उठने को तैयार ना होते थे गर्ज़ कि उनको मारा भी गया फिर भी वो अपनी जगह से ना उठे गोया कि वो ज़मीन से चिपक से गए थे, सायेबान पृथ्वी राज के पास ये अरीज़ा लेकर गए और सारा वाक़िया कह सुनाया तो वो बोला कि ज़रूर ये उस फक़ीर के साथ की गयी बद आमाली का सिला है सो उन्हें ढूंढो और उनसे माफी मांगो, सायेबान गरीब नवाज़ की बारगाह में हाज़िर होकर माफी के तलबगार हुए तो आपने उन्हें माफ कर दिया अब जब वो वापस आकर देखते हैं तो सबके सब ऊंट अपनी जगह से खड़े हो चुके हैं_*
*_आपके अखलाक़े करीमाना को देखकर और आपकी बातों को सुनकर हज़ारों हज़ार का झुण्ड कल्मा पढ़कर मुसलमान होने लगे तो घबराकर सिपाहियों ने आप पर पानी बन्द करने का हुक्म दिया और सोचा कि जब पानी ही ना मिलेगा तो ये यहां से चले जायेंगे, ख्वाजा गरीब नवाज़ ने अपने मुरीद को आना सागर पर भेजा और कहा कि एक कासे में पानी भर लाओ जब ये मुरीद आना सागर पर पहुंचे और कासे में पानी भरा तो खुदा की ऐसी क़ुदरत हुई कि पूरे तालाब का पानी एक कटोरे में समा गया, इधर तालाब तो खुश्क हो गया मगर सरकार की बारगाह में पानी की कोई कमी ना थी, जब पानी ना मिला तो अजमेर में कोहराम मच गया कि आनन फानन में तालाब कैसे सूख गया लोग परेशान और बेचैन हो गए जब राजा को ये खबर मिली तो फिर से उसने अपने सिपाहियों को सरकार गरीब नवाज़ की बारगाह में भेजा और मिन्नत समाजत की कि अगर पानी ना मिला तो लोग प्यासे मर जायेंगे, रहम दिली तो अल्लाह वालों का खास्सा है सो वो कासे का पानी फिर से तालाब में डलवा दिया और पूरा तालाब फिर पानी से भर गया_*
*_तमाम पुजारियों के सरदार का नाम शादी देव था जब इसने अपने बुतखानो में वीरानी देखी तो भड़क गया और गरीब नवाज़ की बारगाह में गुस्से से हाज़िर हुआ मगर ज्यों ही ख्वाजा गरीब नवाज़ ने उस पर नज़र डाली फौरन कांपने लगा और गिरकर माफी मांगी और इस्लाम क़ुबूल कर लिया उसका इस्लामी नाम सअद रखा गया_*
*_जब 80-90000 लोग मुसलमान हो गए तो राजा पृथ्वी राज घबरा गया और सरकार गरीब नवाज़ को रोकने के लिए अपने गुरु और हिंदुस्तान के सबसे बड़े जादूगर अजय पाल को बुलाकर गरीब नवाज़ के सारे हाल से वाक़िफ कराया, अजय पाल ने इसको बड़े ही हल्के में लिया और राजा को यक़ीन दिलाया कि वो बहुत जल्द उनको उनके साथियों के साथ अजमेर से निकाल देगा, अजय पाल अपने साथियों के साथ उड़ने वाले शेरों पर सवार होकर हाथियों और अजदहों के साथ सरकार गरीब नवाज़ के दरबार में पहुंच गया, सरकार ने एक हल्का खींचा और सबसे फरमा दिया कि कोई भी इससे बाहर ना निकले, पहले उसने अज़हदों को भेजा मगर ज्यों ही खत से मस हुआ जलकर खाक हो गया फिर आग की बारिश करने लगा मगर वो आग वापस लौटकर खुद उनको ही जलाने लगी, जब अजय पाल ने ये माजरा देखा तो सोचा कि उड़कर आप पर हमला करे तो वो हवा में उड़ने लगा आपने उसे उड़ता देखा तो अपनी नालैन को उतार कर उसकी तरफ फेंका, अब ये नालैन जाकर अजय पाल के सर पर बरसने लगी और मारते मारते बुरा हाल कर दिया अजय पाल उनकी सदाक़त को समझ गया और फौरन क़दमो में गिरकर माफी मांगी, सरकार गरीब नवाज़ ने माफ भी कर दिया और उन्हें विलायत की मंजिल भी तय करा दी उनका इस्लामी नाम अब्दुल्लाह रखा गया उन्होंने अर्ज़ की कि हुज़ूर मुझे हयाते अब्दी अता फरमाई जाये आप मुस्कुराकर फरमाते हैं तेरी ये तमन्ना भी पूरी हुई, कहा जाता है कि अब्दुल्लाह अब भी ज़िंदा हैं और उन्हें अब्दुल्लाह बियाबानी के नाम से पुकारा जाता है और वो भटकों को रास्ता बताते हैं_*
*_सरकार गरीब नवाज़ ने इसके बाद पृथ्वी राज को भी इस्लाम की दावत पेश की पर उसने क़ुबूल ना किया और आप के मुरीदों पर जुल्मों सितम करने लगा, आपने उससे अपने मुरीदों पर ज़ुल्म ना करने की शिफारिश भी की मगर वो नहीं माना तो आपने जलाल में आकर फरमाया कि "हमने पिथौरा को जिंदा गिरफ्तार करके लश्करे इस्लाम के हवाले कर दिया" उसके बाद आपने शहाब उद्दीन घोरी को ख्वाब में बशारत दी और उसे फतह का मुज़्दह सुनाया, शहाब उद्दीन घोरी पहले ही शिकश्त की वजह से बेचैन था उसने एक लश्करे जर्रार को तरतीब दिया और हिंदुस्तान पर हमले के लिए निकल पड़ा, वहां पहुंचकर उसने पृथ्वी राज को अपनी इताअत करने का मशवरा दिया मगर वो अपनी फौज पर घमंड करता रहा और 150 राजाओं की फौज को लेकर जिसमें 3000 हाथी सवार 300000 घुड़ सवार और बेशुमार पैदल सिपाही शामिल थे जंग पर आमादा हुआ, शहाब उद्दीन ने अपनी 100000 की फौज को 4 हिस्सों में बांट दिया था और एक हिस्सा ही जंग करता 3 हिस्से आराम, जब वो थक जाता तो दूसरा हिस्सा आगे आता और पहले वाला आराम करता, उसकी ये अक़्ल मंदी बहुत काम आई, उधर पृत्वी राज की फौज दिन भर लड़कर थक चुकी थी शाम होने को थी एक तारो ताज़ा लश्कर जब उन पर आ पड़ा तो किसी में उनसे लड़ने की ताब ना थी खांडे राव समेत बहुत से राजा मारे गए और पृथ्वी राज गिरफ्तार हुआ, ये जंग 589 हिजरी बा मुताबिक़ 1193 ईसवी में लड़ी गयी, पृथ्वी राज ने भागना चाहा मगर वो भी आखिर मारा गया, सूरज डूब चुका था अचानक उसके कानो में कहीं से अज़ान की आवाज़ आयी वो हैरान रह गया कि इस कुफ्रिस्तान में अज़ान कैसे, उसे बताया गया कि एक फक़ीर यहां कुछ दिनों से मुक़ीम है वो ही अज़ान देकर नमाज़ पढ़ा करते हैं, वो वहां पहुंचा वुज़ु करके जमात खड़ी थी सो शामिल हो गया, नमाज़ खत्म होने के बाद जैसे ही उसने सरकार गरीब नवाज़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के चेहरे को देखा तो जान लिया कि यही वो ख्वाब वाले बुज़ुर्ग हैं जिन्होंने उसे फतह की बशारत दी थी आपके क़दमो में गिर गया और देर तक रोता रहा, सरकार ने उसे उठाकर अपने सीने से लगाया उनकी ख्वाहिश पर उन्हें अपने सिलसिले में बैयत किया और फिर रुखसत किया, शहाब उद्दीन घोरी दिल्ली में अपना नायब क़ुतुब उद्दीन ऐबक को बनाकर वापस लौट गया_*
_*📕 तारीखुल औलिया, सफह 85-95*_
*_आपने 2 शादियां की और दोनों ही हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम के कहने पर की, पहला निकाह 590 हिजरी बा मुताबिक 1194 ईसवी में बीबी अामतुल्लाह से की जिनसे आपको 3 औलादें हुई 2 बेटे हज़रत ख्वाजा फखरूद्दीन व हज़रत खवाजा हिसामुद्दीन रहमतुल्लाह तआला अलैहि और एक बेटी बीबी हाफिज़ा जमाल और दूसरा निकाह 620 हिजरी बा मुताबिक़ 1223 ईसवी में सय्यद वजीह उद्दीन मशहदी की बेटी हज़रत बीबी असमतुल्लाह से हुई जिनसे आपको एक बेटा हज़रत शैख अबु सईद रहमतुल्लाह तआला अलैहि हुए_*
_*📕 खुतबाते अजमेर, सफह 457*_
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