*_ज़िना का बयान - 02_*
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*_अल्लाह तबारक तआला इर्शाद फ़र्माता है!.._*
*وَ الَّذِیۡنَ لَا یَدۡعُوۡنَ مَعَ اللّٰہِ اِلٰـہًا اٰخَرَ وَ لَا یَقۡتُلُوۡنَ النَّفۡسَ الَّتِیۡ حَرَّمَ اللّٰہُ اِلَّا بِالۡحَقِّ وَ لَا یَزۡنُوۡنَ ۚ وَ مَنۡ یَّفۡعَلۡ ذٰلِکَ یَلۡقَ اَثَامًا ﴿ۙ۶۸﴾*
*_तर्जुमा : और वह लोग अल्लाह के साथ किसी दुसरे माबूद को नही पुजते, और इस जान को जिसकी अल्लाह ने हुरमत रखी नाहक नही मारते, और बदकारी नही करते, और जो यह काम करे वह सजा पाएंगा..! (यानी ज़िना करने वाले असाम में डाले जाएंगे..!)_*
*_📕 तर्जुमा : क़ुरआन कंजुल इमान सूर ए फ़ुरक़ान, आयत नं 68_*
*_असाम के बारे में उलमा-ए-किराम ने कहा कि वह ज़हन्नम का एक ग़ार है, जब उस का मुँह खोला जाएगा तो उस की बदबू से तमाम ज़हन्नमी चीख उठेंगे ।_*
*_📕मुका़शफतुल क़ुलूब, बाब नं 22, सफा नं 167_*
*_हदीस : अल्लाह के रसुल ﷺ इर्शाद फरमाते है.._*
*_"सातों आसमान और सातों जमीन और पहाड़ (उम्र दराज) ज़िनाकार पर लानत भेजते है और क़ियामत के दिन ज़िनाकार मर्द व औरत की शर्मगाह से इस कद्र बदबू आती होगी के ज़हन्नम मे जलने वालों को भी उस (बदबु) से तकलीफ़ पहुँचेगी।_*
*_📕 बहारे शरीअ़त, जिल्द नं 1, हिस्सा 9, सफा 43_*
_*यह तमाम सज़ाए तो आख़िरत मे मिलेगी लेकिन ज़िना करने वाले पर शरीअ़त ने दुनिया में भी सज़ा मुक़र्रर की है। इस्लामी हुकूमत हो तो बादशाहे वक्त़ या फिर क़ाज़ी शरअ पर ज़रूरी है कि जानी (ज़िना करने वाले ) पर जुर्म साबित हो जाने पर शरीअ़त के हुक़्म के तहत सजा दे! हदीसे पाक में है कि अगर किसी को दुनिया में सज़ा न मिल सकी (सजा से बच गया) तो आख़िरत मे उस को सख़्त अज़ाब़ दिया जाएगा, और अगर दुनिया में सज़ा मिल गई तो फिर अल्लाह चाहे तो उसे मुआ़फ फरमा दे।*_
_*दुनिया में सज़ा : अल्लाह और उसके रसूल ﷺ ने ज़िनाकार मर्द और औरत को सज़ा का हुक़्म दिया और उस पर रसुलुल्लाह ﷺ ने अमल भी करवाया। चुनांचे कुरआन ए पाक मे*_
*_अल्लाह तबारक तआला इर्शाद फ़र्माता है!.._*
*اَلزَّانِیَۃُ وَ الزَّانِیۡ فَاجۡلِدُوۡا کُلَّ وَاحِدٍ مِّنۡہُمَا مِائَۃَ جَلۡدَۃٍ ۪ وَّ لَا تَاۡخُذۡکُمۡ بِہِمَا رَاۡفَۃٌ فِیۡ دِیۡنِ اللّٰہِ اِنۡ کُنۡتُمۡ تُؤۡمِنُوۡنَ بِاللّٰہِ وَ الۡیَوۡمِ الۡاٰخِرِ ۚ وَ لۡیَشۡہَدۡ عَذَابَہُمَا طَآئِفَۃٌ مِّنَ الۡمُؤۡمِنِیۡنَ ﴿۲﴾*
*_तर्जुमा : जो औरत बदकार हो, और जो मर्द तो, इन मे हर एक को सौ (100) कोडे लगाओ, और तुम्हे उन पर तरस न आए! अल्लाह के दीन मे अगर तुम ईमान लाते हो, अल्लाह और पिछले दीन पर! और चाहीए की उनकी सजा के वक्त मुसलमानो का एक गिरोह हाजीर हो!_*
*_📕 तर्जुमा : क़ुरआन कंजुल इमान , सूर ए नुर आयत नं 2_*
*_(यह सजा गैर शादी-शुदा (जिसकी शादी न हुई हो..!) मर्द और औरत के लिये मुकर्रर है..!)_*
*_हुजुर ﷺ इर्शाद फरमाते है..!_*
*_हदीस : ज़िना करने वाले शादी शुदा है तो खुले मैदान में संगसार किया जाए! (यानी पत्थरों से मार-मार कर जान से खत्म कर दिया जाए!) और गै़र शादी शुदा हो तो सौ (100) दुर्रे (कोडे, चाबुक) मारे जाए_*
_*हदीस : हजरत शोअबी रदि अल्लाहु तआला अन्हु ने हजरत अली रदि अल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत की है की..*_
*_हजरत अली ने जुमा के रोज एक जानी औरत को संगसार किया तो फर्माया की मैने उसे रसुलुल्लाह ﷺ की सुन्नत के मुताबीक संगसार किया है!_*
*_📕बुखारी शरीफ, जिल्द नं 3, बाब नं 968, 980, हदीस नं 1715, सफा नं 615, 625_*
*_शादी शुदा जानी मर्द व औरत को संगसार करने और गैर शादी-शुदा जानी (जिनाकार) मर्द व औरत को सौ कोडे लगाने का हुक्म स्याहे सित्ता के अलावा अहादीस की तकरीबन सभी किताबो मे मौजुद है! जिससे इंकार की कोई गुंजाइश नही! यहा पर (Topic) के लंबाई के खौफ से बुखारी शरीफ की उपर की दो हदिसों पर ही इत्तेफाक किया जाता है!_*
_*📮जारी रहेगा.....!*_
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