_*पर्दे का बयान*_
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*_हुज़ूर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैहि वसल्लम इरशाद फ़रमाते हैं कि आँख भी ज़िना करती है तो जो शख़्स अपनी नज़र को क़ाबू में नहीं रख पाता तो उसे चाहिये कि निकाह़ करे और अगर इसकी इस्तिताअ़त ना रखता हो तो रोज़ा रखे कि रोज़ा शहवत को तोड़ देता है_*
*_📕 कीमियाये सआ़दत, सफ़ह 467_*
*_औरतों के लिये ऐसा लिबास जिससे कि उनके जिस्म की हैबत-ओ-रंगत समझ में आये पहनना ह़राम है और ऐसे लिबास को ह़दीसे पाक में नंगा लिबास फ़रमाया गया है.._*
*_📕 इस्लाम में पर्दा, सफ़ह 9_*
*_औ़रत का घर के सहन (आंगन)में नमाज़ पढ़ने से बेहतर है कि दालान में नमाज़ पढ़े और दालान में नमाज़ पढ़ने से बेहतर है कि कमरे में नमाज़ पढ़े और कमरे में नमाज़ पढ़ने से बेहतर है कि तहख़ाने में नमाज़ पढ़े.._*
*_📕 अ-ल-मलफूज़, ह़िस्सा 3 सफ़ह 27_*
*_औ़रत का अंधे से भी पर्दा करना वैसे ही वाजिब है जैसे कि आँख वाले से.._*
*_📕 फ़तावा-ए-रज़्वियह, जिल्द 9 सफ़ह 270_*
*_एक मर्तबा हुज़ूर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैहि वसल्लम ने अपनी महफ़िल में सहाबा-इ-कराम से सवाल किया कि औ़रत के लिये सबसे बेहतरीन चीज़ क्या है, सब ख़ामोश रहे और किसी ने जवाब ना दिया तो ह़ज़रत मौला अ़ली रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु उठे और अपने घर जाकर ख़ातूने जन्नत हज़रते फ़ातिमा ज़हरा रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हा से यही सवाल करते हैं तो आप फ़रमाती हैं कि एक औ़रत के लिये सबसे बेहतर ये है कि उसको कोई ग़ैर मर्द ना देखे,मौला अ़ली ये जवाब सुनकर बहुत ख़ुश हुए और फिर यही जवाब वापस आकर हुज़ूर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैहि वसल्लम की बारगाह में पेश किया तो हुज़ूर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैहि वसल्लम भी ख़ुश होकर फ़रमाते हैं कि फ़ातिमा मेरा ही ह़िस्सा है.._*
*_📕 फ़तावा-ए-रज़्वियह, जिल्द 9 सफ़ह 28_*
*_हुज़ूर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैहि वसल्लम इर्शाद फ़रमाते हैं कि जब कोई ग़ैर मर्द और औ़रत तन्हाई में मिलते हैं तो ज़रूर वहाँ तीसरा शैतान होता है तो जिन औ़रतों के शौहर ना हों तो उनके क़रीब ना जाओ कि शैतान तुम्हारी रगों में ख़ून की तरह़ दौड़ता है.._*
*_📕 तिर्मिज़ी शरीफ़, जिल्द 1 सफ़ह़ 140_*
*_पारसा (नेक)औ़रतों का बाज़ारू औ़रतों से भी पर्दा करना वाजिब है क्योंकि वो उसका हुलिया ज़रूर ज़रूर मर्दों में बतायेंगी लिहाज़ा उनसे भी पर्दा करने का हुक्म है.._*
*_📕 अबु दाऊद शरीफ़, सफ़ह़ 292_*
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