*_पेशावर औरते (वेश्याए)_*
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_*🔘अक्सर नौजवान अपनी जवानी पर काबु नही रखते है! गलत संगत और सोहबत मे पडकर अपनी हवस को मिटाने के लिये पेशावर (वेश्याओ) का सहारा लेते है! और कुछ शादी-शुदा भी अपनी बिवी के होते हुए पेशावर औरतो के पास जाना नही छोडते!*_
_*अगर एक ही (प्लेट) मे तरह -तरह के खाने खट्टा, मिठ्ठा, तेज और कडवा सब मिलाकर रख दिया जाए तो यकीनन उसमे बदबु और किडे पड ही जाएंगे! बस इन पेशावर औरतो की मिसाल इसी (प्लेट) की मानींद है! एक वक्त की जरा सी लज्जत के लिये उस (प्लेट) से एक बार भी कुछ चखा नही के वह एक ऐसी दलदल मे फंस जाता है, के जितना बाहर निकलने की कोशीश करता है, उतना ही और दलदल मे फंसता चला जाता है! नतीजा उसकी उम्र भर की सेहत, तंदरुस्ती, इज्जत, शौहरत, दौलत, आराम, सुकुन व चैन सब कुछ बर्बाद होकर रह जाता!*_
*_हमारा रब तबारक तआला इर्शाद फर्माता है..._*
*قُلۡ لِّلۡمُؤۡمِنِیۡنَ یَغُضُّوۡا مِنۡ اَبۡصَارِہِمۡ وَ یَحۡفَظُوۡا فُرُوۡجَہُمۡ ؕ ذٰلِکَ اَزۡکٰی لَہُمۡ ؕ اِنَّ اللّٰہَ خَبِیۡرٌۢ بِمَا یَصۡنَعُوۡنَ ﴿۳۰*
*_मुसलमान मर्दो को हुक्म दो, अपनी निगाहे कुछ निची रखे! और अपनी शर्मगाहो की हिफाजत करे! यह इनके लिये बहुत सुथरा है! बेशक अल्लाह को इनके कामो की खबर गै!_*
*_और अल्लाह तआला इर्शाद फरमाता है.._*
*اَلۡخَبِیۡثٰتُ لِلۡخَبِیۡثِیۡنَ وَ الۡخَبِیۡثُوۡنَ لِلۡخَبِیۡثٰتِ ۚ وَ الطَّیِّبٰتُ لِلطَّیِّبِیۡنَ وَ الطَّیِّبُوۡنَ لِلطَّیِّبٰتِ ۚ*
*_गंदियॉं गंदो के लिये, और गंदे गंदीयों के लिये और सुथरीयॉ सुथरो के लिये, और सुथरे सुथरीयो के लिये!_*
*_📕 तर्जुमा : कुरआन कंजुल इमान सुर ए नुर आयत नं. 30 और 20_*
_*इन आयतो की तफ्सीर मे उलमा ए किराम इर्शाद फर्माते है की..*_
*_"बदकार और गंदी औरते, गंदे और बदकार मर्दो के लायक है! इसी तरह बदकार और गंदे मर्द इसी काबील है के उनका ताल्लुक उन जैसे ही गंदी और बदकार औरतो से हो! जबकी सुथरे (पाक), नेक मर्द सुथरी (पाक), और नेक औरतो के लायक है! इसी तरह सुथरी, नेक औरत सुथरे और नेक मर्द के लायक है! और सुथरे, नेक का रिश्ता सुथरी, नेक औरतो से और सुथरी और नेक औरत का रिश्ता सुथरे और नेक मर्द से ही किया जा सकता है!_*
_*हदीस : हमारे प्यारे मदनी आका ﷺ इर्शाद फर्माते है..*_
*_"जिसने जिना किया या शराब पी अल्लाह तआला उसमे से ईमान को ऐसे निकालता है, जैसे इंसान सर से अपना कुर्ता निकालता है!_*
_*इस हदीस पाक से वह लोग दिल से सोचे जो पेशेवर औरतो के पास जाते है, और जिना जैसे खबीस गुनाह का इर्तीकाब करते है!*_
_*ताज्जुब है कोई मुसलमान होकर जिना करे! खुदारा ऐसे लोग अब भी होश मे आ जाए मौत के आने से पहले! बाद मे होश भी आया तो किस काम का!*_
*_इससे पहले भी यह बयान हो चुका है के पेशावर (वेश्याओ) से मुबाशरत जिना ही कहलाएगी, हॉलांकी वह इस काम के रुपए लेती है, और इस काम के पर राजी भी होती है! लेकीन फरीखैन की आपसी रजा भी इस काम को जिना से अलग न कर पाएंगी! जिना के बारे मे बहुत सारी हदीसे "जिना" के बाब (Chapter) मे पहले ही बयान हो चुकी है!_*
*_बदकार को नेक बनाने के लिये अमल :अगर किसी औरत का मर्द बदचलन हो और दुसरी औरतो के साथ हरामकारी करता हो! ऐसी औरत अपने बदकार मर्द से सोहबत से पहले बावुजु ग्यारह (11) "अल-वलीयो" पढे! अव्वल आखीर एक-एक मर्तबा दरुद शरीफ पढे! फिर शैहर से मुबाशरत करे! (यह अमल हर बार जब भी उसका शौहर उससे सोहबत करना चाहे कर लिया करे) इंशा अल्लाह तआला वह मर्द परहेजगार हो जाएंगा! इसी तरह किसी शख्स की औरत बदचलन हो या बदकारी करती हो तो वह भी अपनी औरत से सोहबत करने से पहले यह अमल हर बार कर लिया करे! इंशा अल्लाह तआला वह औरत नेक व परहेजगार बन जाएंगी!_*
*_📕 वजाइफे रज्वीया सफा नं. 219_*
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