_*उल्मा की तौहीन कुफ्र है*_
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_*🌹उल्मा की आ़लिम ए दीन होने की बिना पर तौहीन कुफ्र है । अगरचे ये तौहीन बतौर हंसी मजा़क हो*_
_*और फतहु़ल क़दीर में है कि जिसने ये लफ़्ज बतौर मजा़क कहा तो वह काफिर व मुरतद हो गया अगरचे वह इसका अ़की़दा न रखे ।*_
_*📕 दुर्रे मुख्तार, किताबुलजि़हाद, जिल्द 6, सफह़ 356*_
_*📕 अल इशबाह वन्नजा़इर, जिल्द 2, सफह़ 87*_
_*📕 बहारे शरीअत, जिल्द 2, हिस्सा 9*_
_*📕 फ़तावा शारेह़ बुखारी, जिल्द 2, सफह़ 472*_
_*📕 फ़तावा फैजु़र्रसूल, जिल्द 2, सफह़ 136*_
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