Thursday, October 3, 2019



    _*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 044 📕*_
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*_❌दौराने जिमा (सोहबत) शर्मगाह देखना_*

  ✍🏻 *_मसअ़ला : मियाँ बीवी का सोहबत के वक्त़ एक दूसरे की शर्मगाह को छुना बेशक जाइज़ है बल्कि नेक नियत से हो तो मुस्तहब व सवाब है"।_*

📕 *_फ़तावा-ए-रज़्वीया, जिल्द नं 5, सफा नं 570, और जिल्द नं 9, सफा नं 72_*

✍🏻 *_मसअ़ला : मर्द अपनी बीवी के हर उज्व (Part) को छु सकता है, और औरत भी अपने शौहर के हर उज्व को छु सकती है! चाहे शहवत से हो या बिला शहवत! यहॉ तक के एक दुसरे की शर्मगाह को भी देख सकते है! मगर बगैर जरूरत शर्मगाह का देखना और छुना खिलाफे ऊला मकरूह है!_*

📕 *_फ़तावा आलमगिरी जिल्द नं 5, सफा नं 227, बहारे शरीयत जिल्द नं 2, सफा नं 57_*
 
👉🏻 *_दौराने सोहबत मर्द व औरत को एक दूसरे की शर्मगाह की तरफ नही देखना चाहिये, इसके बहुत से नुक़सानात है_*

📚 *_हदीस : उम्मुल मोमिनीन हज़रत आएशा सिद्दीक़ा [रदि अल्लाहु तआला अन्हा] फरमाती है कि............_*

 💫 _*....हुज़ूरे अकरम ﷺ का विसाल हो गया लेकिन न कभी आप ने मेरा सतर देखा और न मैंने आप का (सतर )देखा।*_

📕 *_इब्ने माज़ा शरीफ़, जिल्द नं 1, बाब नं 616, हदीस नं 1991, सफा नं 538_*

📚 *_हदीस : हज़रत इब्ने अ़दी [रदिअल्लाहु तआला अन्हु] हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास [रदिअल्लाहु तआला अन्हु] से रिवायत करते है की..... हज़रते इब्ने अब्बास ने इर्शाद फरमाया..........._*

 💫 *_"तुम मे से कोई जब अपनी बीवी से सोहबत करे तो उस की  फरज (शर्मगाह) को न देखे कि इस से आँखों की बीनाई (रौशनी) ख़त्म हो जाती है!_*

📕 *_हाशिया, मुसनद इमामे आ़ज़म, सफा नं 225_*

✍🏻 *_आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खाँ [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] नक़्ल फरमाते है........._*

      👉🏻 *_"सोहबत के वक्त़ शर्मगाह देखने से हदीस में मुमानेअत (मनाई) फ़रमायी और फ़रमाया  "फइन्नहु युरेसुल-उम्मीये!" यानी वह अंधे होने का सबब है। उलमा ए किराम  ने फरमाया है कि...... "इससे अंधे होने का सबब या तो वह औलाद अंधी हो, जो इस जिमा (सोहबत) से पैदा हुई, या माज़अल्लाह! दिल का अंधा होना है, के जो सब से बदतर है।"_*

📕 *_फ़तावा-ए-रज़्वीया, जिल्द नं 5, सफा नं 570_*

✍🏻 _*....क़ानूने शरीअ़त* में है कि..........._

     👉🏻 _*"औरत की शर्मगाह की तरफ नज़र न करें क्योंकि इस से निस्यान (भूलने की बीमारी) पैदा होती है और नज़र भी कमज़ोर होती है"।*_

📕 *_कानूने शरीअ़त, 2, सफा नं 202_*

 👉🏻 _*सोहबत के आदाब मे से एक यह भी है के सोहबत के दौरान मर्द औरत की शर्मगाह की तरफ न देखे.।*_

_*बाकी अगले पोस्ट में....*_

_*📮 जारी रहेगा इंशा'अल्लाह....*_
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