Wednesday, November 13, 2019



    _*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 071 📕*_
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                *_🔥ज़िना का बयान 🔥_*

👉🏻 *_यक़ीनन ज़िना गुनाहे अजीम (बडा) और बहुत बड़ी बला है! यह इन्सान की दुनिया और आखिरत को तबाह व बर्बाद कर देता है!_*

👉🏻 *_वह नौजवान जो काफीरों  (नास्तीको) की लड़कियों से  नाज़ाइज़ ताल्लुक़ात रखते है! (और यह समझते है के यह कोई गुनाह नही इसलिये के वह काफीरा (नास्तीक) है!)   यह सख़्त जेहालत है! काफीरा (नास्तीक) लड़की से मुबाशरत (सोहबत) भी ज़िना ही कहलाएगी!_*

👉🏻 *_इसी तरह काफीर, (नास्तीक) मजुसी, बुत परस्त, सितारा परस्त,  उन  से  निकाह किया तो निकाह ही नही होंगा बल्की वह भी महज जिना मे ही शुमार होंगा!_*

👉🏻 *_इसी तरह जितने भी दीन से फिरे हुए बदमजहब  बातील फिर्के है!  उन  से  निकाह किया तो निकाह ही नही होंगा बल्की वह भी महज जिना ही कहलाएंगा जब तक की वह अकाइद ए बातीला से सच्ची तौबा न करे!_*

📚 *_हदीस :अल्लाह के रसूल ﷺ ने इर्शाद फर्माया........_*

💫 *_"शिर्क के बाद अल्लाह के नज़्दीक इस गुनाह से बड़ा कोई गुनाह नही की, एक शख्स किसी ऐसी औरत से सोहबत करे जो उस की बीवी नही!_*

*_और फर्माते है हमारे प्यारे आका हुजुर ﷺ......._*

💫 *_"जब कोई मर्द और औरत ज़िना करते है तो ईमान उन के सीने से निकल कर सर पर साए की तरह ठहर जाता है"।_*

📕 *_[मुका़शीफतुल क़ुलूब, बाब नं 22, सफा नं 168,]_*

📚    *_हदीस : हज़रत इकरमा ने हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास [रदि अल्लाहु तआला अन्हुमा]से पूछा...._*

💫  *_"ईमान किस तरह निकल जाता है"⁉ हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास ने अपने एक हाथ की उंगलियॉ दुसरे हाथ की उंगलियो मे डाली और फिर निकाल ली और फर्माया "इस तरह !"_*

📕 *_[बुखारी शरीफ,  जिल्द नं 3, बाब नं 968, हदीस नं 1713, सफा नं 614, अशअ़तुल लम्आत, जिल्द नं 1, सफा नं 287,]_*

📚  *_हदीस :_* _हज़रत अबूह़ुरैरा व इब्ने अब्बास [रदि अल्लाहु तआला अन्हुमा] से रिवायत है कि *ताजदार ए मदिना ﷺ* ने इर्शाद फर्माया........_

💎 *_"मोमिन होते हुए तो कोई ज़िना कर ही नही सकता"!_*

📕 *_[बुखारी शरीफ, जिल्द नं 3, बाब नं 968, हदीस नं 1714, सफा नं 614,]_*

👉🏻 *_हज़रत इमाम ग़ज़ाली [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] रिवायत करते है..........._*

💫 *_" जिसने किसी गैर शादी-शुदा औरत का बोसा लिया, उसने गोया सत्तर कुवांरी लडकियों से जिना किया! और जिसने कुवांरी लडकी से जिना किया, तो गोया उसने सत्तर हजार शादी-शुदा औरतों से जिना किया!"_*

 *_[मुका़शीफतुल क़ुलूब, बाब नं 22, सफा नं 169,]_*

👉🏻 *_हज़रत इमाम ग़ज़ाली और हजरत इमाम अबुल्लैस समरकंदी  [रदि अल्लाहु तआला अन्हुमा] नकल करते है की........_*

💫 *_"बाज सहाब-ए-किराम, से मरवी है कि ज़िना से बचो  इस में  "छह" (6) मुसीबतें है जिन मे से तीन का तअ़ल्लुक़ दुनिया से और तीन का आख़िरत से है। दुनिया की मुसीबतें यह है......_*

1⃣ *_ज़िन्दगी मुख़्तसर (कम) हो जाती है।_*

2⃣ *_दुनिया में रिज़्क़ कम हो जाता है।_*

 3⃣ *_चेहरे से रौनक (नुरानियत) ख़त्म हो जाती है।_*

👉🏻    *_और आख़िरत की मुसीबतें येह है कि......_*

4⃣ *_आख़िरत में खुदा की नाराज़गी_*

 5⃣ *_आख़िरत में सख़्त पूछ ताछ होगी।_*

 6⃣ *_ज़हन्नम में जाएगा और सख़्त अज़ाब़ पाएंगा!_*

📕 *_[तंबीहुल गाफेलीन सफ 381, मुका़शीफतुल क़ुलूब, बाब नं 22, सफा नं 168,]_*

👉🏻 *_रिवायत : हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने अल्लाह अज्जा व जल्ल से जिना करने वाले की सजा के बारे मे पुछा, तो रब तबारक व तआला ने इर्शाद फर्माया._*

💎 *_"ऐ मुसा! जिना करने वाले को मै आग की जिरह (आग का लिबास) पहनाऊंगा! जो ऐसा वजनी है की अगर बहुत बडे पहाड पर रख दिया जाएंगा तो वह (पहाड) भी रेजा-रेजा हो जाए"_*

📕 *_[मुका़शीफतुल क़ुलूब, बाब नं 22, सफा नं 168,]_*

✍🏻 *_बाकी अगले पोस्ट में..._*

📮 *_जारी है..._*
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