Wednesday, November 13, 2019



    _*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 075 📕*_
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*_लिवातत या इ़ग्लाम बाजी (हिजडो से मुबाशरत)_*

 👉🏻 _*कुछ दुनियॉ मे ऐसे भी लोग  है, जो जिन्सी (जिस्मानी) ताल्लुकात मे हलाल व हराम की तमीज नहीं रखते यह ऐसे दरींदा सिफत इंसान है! जो  कम उम्र लडके, मर्द या फिर हिजडे (Third Genders) से मुंह काला करते है!*_

*_📝रिवायत : हजरत इमाम कलबी रदि अल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है....._*

*_"सबसे पहले यह काम (यानी मर्द का मर्द से मुबाशरत करना) शैतान मर्दुद ने किया! वह कौम ए लुत अलैहिस्सलाम मे एक खुबसुरत लडके की शक्ल मे आया और लोगो को अपनी तरफ माईल (आकर्शीत) किया, और उन्हे गुमराह करके सोहबत करवाई! यहॉ तक की कौम ए लुत अलैहिस्सलाम की यह आदत बन गयी, अब वह औरतो से मुबाशरत करने की बजाए खुबसुरत मर्दो से ही फैल ए हराम करने लगे! जो भी मुसाफीर उनकी बस्ती मे आता वह उसे न छोडते, और अपनी हवस का शिकार बना लेते! हजरत लुत अलैहिस्सलाम ने अपनी कौम को बहुत समझाया और इस बुरे काम से मना किया और उन्हे अजाबे इलाही से डराया, लेकीन कौम न मानी हत्ता के हजरत लुत अलैहिस्सलाम ने अल्लाह रब्बुल इज्जत से अजाब की दुआ मांगी और कौम ए लुत अलैहिस्सलाम पर पत्थरो का अजाब नाजील हुआ, और पत्थरो की बारीश होने लगी! हर पत्थर पर कौम के एक शख्स का नाम लिखा था और वह उसी को आकर लगता जिससे वह वंही हलाक हो जाता! इस तरह यह कौम जिनकी आबादी चार लाख थी तबाह व बर्बाद हो गई!"_*

📕 *_[मुकाशफतुल-कुलुब, बाब नं. 22, सफ नं. 169, इस वाकीये की मुकम्मल तफ्सील कुरआन करीम के पारा नं 14, सुरह हुजर मे मौजुद है!]_*

 *_📝रिवायत : हजरत इमाम अबुल फजल काजी अयाज उन्दुलुसी रदि अल्लाहु तआला अन्हु फर्माते है....._*

*_"मैने कुछ मशाइखे किराम से सुना है की, औरत के साथ एक शैतान और खुबसुरत लडके के साथ अठ्ठारह शैतान होते है!_*

📕 *_[मुकाशफतुल-कुलुब, बाब नं. 22, सफ नं. 169]_*

*_📝रिवायत : हजरत इमाम अहमद खॉं रदि अल्लाहु तआला अन्हु फर्माते है....._*

*_"मन्कुल है की औरत के साथ दो शैतान और हिजडे के साथ सत्तर शैतान होते है!"_*

📕 *_[फतावा रज्वीया जिल्द  9, निस्फ अव्वल, सफ नं. 64]_*

*_📝रिवायत : हजरत शैख फरीदोद्दीन अत्तार रदि अल्लाहु तआला अन्हु फर्माते है....._*

*_"हजरत सिमाक रदि अल्हाहु तआला अन्हु के विसाल के बाद किसी ने आपको ख्वाब मे देखा की आपका चेहरा आधा काला पड गया है! आपसे जब इसका सबब पुछा गया तो आप ने फर्माया "एक मर्तबा दौर ए तालीबे इल्म मे मैने एक खुबसुरत लडके को गौर से देखा था चुनांचे जब मरने के बाद मुझे जन्नत की तरफ ले जाया जा रहा था, तो जहन्नम की तरफ से गुजारा गया तभी एक सांप ने मेरे चेहरे पर कांटा और कहा की बस यह एक नजर देखने की ही सजा है! और अगर कभी तु उस लडके को ज्यादा तवज्जोह से देखता तो मै तुझे और तक्लीफ पहुंचाता!"_*

📕 *_[तज्किरातुल औलीया बाब नं.  8,  सफ नं. 41]_*

*_📝रिवायत : हुज्जतुल इस्लाम सैयदना इमाम मुहम्मद गजाली  रदि अल्लाहु तआला अन्हु फर्माते है....._*

*_"रिवायत है.... जिसने शहवत के साथ किसी लडके को चुमा, तो वह पॉंच सौ बरस दोजख की आग मे जलेंगा!"_*

📕 *_[मुकाशफतुल-कुलुब, बाब नं. 22, सफ नं. 169]_*

👉🏻 *_" अल्हा ने अपनी कुदरत से इंसान के बदन के हर हिस्से मे एक खास काम की कुदरत रखी है! चुनांचे इंसान के पाखाने के मकाम मे अंदर से बाहर फेंकने की कुव्वत रखी है!अज्लात (Limps) इस मकाम पर निगहबानी के लिये हर वक्त तैय्यार रहते है की कोई बाहर की चिज अंदर न जाने पाए! लेकीन जब खिलाफे फितरत  इस मकाम से सोहबत की जाती है तो वह सिमटने और कभी फैल जाने से जख्मी हो जाते है! रगे चमकने लगती है, और बार बार की रगड से जख्म पैदा कर देती है! और इंसान मुख्तलीफ किस्म के मर्जो मे मुब्तला हो जाता है!_*

 *_इसी तरह वह शख्स अपने उज्वे तनासुल (लिंग) को मर्द के पिछे के मकाम मे दाखील करता है, इससे उसके उज्वे मख्सुस (लिंग) की नसे कमजोर हो जाती है! नसे ढिली पड जाती है! पठ्ठे ढिले हो जाते है!_*

✍🏻 *_बाकी अगले पोस्ट में..._*

📮 *_जारी है..._*
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