_*अनवारे शरिअत (पोस्ट न. 20)*_
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*﷽*
_*🕌अज़ान व इकामत का बयान*_
_*❓सवाल : - अज़ान कहना फर्ज है या सुन्नत ।*_
_*🌟जवाब : - फर्ज नमाजों को जमाअत के साथ मस्जिद में अदा करने के लिए अज़ान कहना सुन्नते मुअक्कदा है मगर उस का हुक्म मिसल वाजिब के है यानी अगर अज़ान न कहीं गई तो वहां के सब लोग गुनाहगार होंगे ।*_
_*❓सवाल : - अज़ान किस वक़्त कहनी चाहिए ।*_
_*🌟जवाब : - जब नमाज़ का वक़्त हो जाए तो अज़ान कहनी चाहिए । वक़्त से पहले जाइज़ नहीं अगर वक़्त से पहले कही गई तो वक़्त होने पर लौटाई जाए ।*_
_*❓सवाल : - फर्ज़ नमाज़ों के अलावा और भी किसी वक़्त अज़ान कही जाती है ।*_
_*🌟जवाब : - हां , बच्चे और मगमूम ( फिक्रमन्द ) के कान में , मिरगी वाले गज़बनाक और बदमिजाज़ आदमी या जानवर के कान में , सख्त लड़ाई और आग लगने के वक़्त , मय्यत को दफ़न करने के बाद । जिन्न की सरकशी के वक्त और जंगल में जब रास्ता | भूल जाए और कोई बताने वाला न हो इन सूरतों में अज़ान | कहना मुसतहब है।*_
_*📚( बहारे शरीअत , शामी जिल्द अव्वल सफ़ा 258 ) *_
_*❓सवाल : - अज़ान का बेहतर तरीका क्या है ।*_
_*🌟जवाब : - मस्जिद के सहन से बाहर किसी बुलन्द जगह पर किबला की तरफ मुंह करके खड़ा हो और कलिमह की दोनों उंगलियों को कानों में डालकर बुलंद आवाज़ से अज़ान के कलिमात को ठहर ठहर कर कहे जल्दी न करे और हय्य अलस्सलाह कहते वक़्त दाहिनी जानिब और हय्य अललफ़लाह कहते वक़्त बाएं जानिब मुंह फेरे ।*_
_*❓सवाल : - अज़ान के जवाब का क्या मसला है ।*_
_*🌟जवाब : - अज़ान के जवाब का मसअला यह है कि अज़ान कहने वाला जो कलिमह तो सुनने वाला भी वही कलिमह कहे कहे मगर हय्य अलस्सलाह और हय्य अललफलाह के जवाब में लाहौल वला कूवत इल्ला बिल्लाह कहे और बेहतर यह है कि दोनों कहे । और फ़ज़र की अज़ान में अस्सलातु खैरूम मिनन्नौम के जवाब में सदा त व बरर त व बिलहक्कि नतक त कहे ।*_
_*❓सवाल : - खुतबा की अज़ान का जवाब देना कैसा है ।*_
_*🌟जवाब : - खुतबा की अज़ान का जुबान से जवाब देना मुक्तदियों को जाइज़ नहीं ।*_
_*❓सवाल : - तकबीर यानी इक़ामत कहना कैसा है ।*_
_*🌟जवाब : - इक़ामत कहना भी सुन्नते मुअक्कदा है उसकी ताकीद अज़ान से ज़्यादा है ।*_
_*❓सवाल : - क्या अज़ान कहने वाला ही इकामत कहे दूसरा न कहे ।*_
_*🌟जवाब : - हां , अज़ान कहने वाला ही इकामत कहे । उसकी इजाज़त के बगैर दूसरा न कहे अगर बगैर इजाज़त दूसरे ने कही और अज़ान देने वाले को नागवार हो तो मकरूह है ।*_
_*❓सवाल : - अज़ान व इक़ामत के दरमियान सलात पढ़ना कैसा है ।*_
_*🌟जवाब : - सलात पढ़ना यानी “ अस्सलातु वस्सलामु अलै क या रसूलल्लाह " कहना जाइज़ व मुसतहसन है इस सलात का नाम इस्तिलाहे शरा में तसवीब है और तसवीव नमाजें मगरिब के अलावा बाक़ी नमाज़ों के लिए मुसतहसन है।*_
_*📓( आलम गीरी )*_
_*📍तमबीह ( 1 ) जो अज़ान के वक़्त बातों में मशगूल रहे उस पर मआजल्लाह ख़ातिमा बुरा होने का खौफ़ है
_*📚( बहारे शरीअत फ़तावा रज्वीया )*_
_*( 2 ) जब अज़ान खत्म हो जाए तो मुअज्जिन और अज़ान सुनने वाले दुरूद शरीफ़ पढ़ें फिर अज़ान के बाद की यह दुआ पढ़ें । दुआ निचे फोटो में है।*_
_*( 3 ) जब मुअज्जिन “ अश्हदु अन्न मुहम्मद सूलुल्लाह " कहे तो सुनने वाला दुरूद शरीफ पढ़े और मुसतहब है कि अगूंठों को चूमकर आंखों से लगाले और कहे “ कुर्रतु ऐ नीबि क या रसूलल्लाहि अल्लाहुम्म मत्तिअनी बिस्समझि वलबसरि "।*_
_*📚( बहारे शरीअत , शामी )*_
_*📗अनवारे शरिअत, सफा 45/46/47/48*_
_*🖋️तालिबे दुआँ-ए- मग़फिरत एडमिन*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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