_*हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम हिस्सा - 1*_
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_*कंज़ुल ईमान - और ज़ुन्नुन को याद करो जब चला गुस्से में भरा तो गुमान किया कि हम उस पर तंगी ना करेंगे तो अन्धेरियों में पुकारा कोई मअबूद नहीं सिवाये तेरे पाकी है तुझको बेशक मुझसे बेजा हुआ*_
_*📕 पारा 17, सूरह अम्बिया, आयत 87*_
_*हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम का लक़ब ज़ुन्नुन और साहिबल हूत है क्योंकि आप मछली के पेट में चले गए थे इसलिए आपको ज़ुन्नुन कहा गया और आप बचपन में ही इंतेकाल फरमा गए थे मगर 14 दिन के बाद हज़रत इल्यास अलैहिस्सलाम की दुआ से आप फिर ज़िंदा हुये*_
_*📕 तफसीरे सावी,जिल्द 3, सफह 73*_
_*ईराक़ के नेनवाह जिसे मौसुल भी कहा जाता है उसकी तरफ आप नबी बनाकर भेजे गए, आपने अपनी क़ौम जो क कुफ्रो शिर्क में मुब्तिला थी उसे समझाया कि ये सब छोड़कर एक अल्लाह की इबादत करो पर वो नहीं माने तब आपने फरमाया कि अगर तुम लोगों ने अपना ये तरीक़ा नहीं छोड़ा तो 40 दिन के बाद अल्लाह का अज़ाब आ जायेगा, हालांकि उन लोगों को मालूम था कि आप जो बोलते हैं वो हक़ ही होता है मगर फिर भी इसकी तरफ तवज्जोह नहीं की जब 35 दिन गुज़र गए तो आसमान पर काले बादल छा गए जिनसे बहुत ज़्यादा धुआं निकलने लगा जिसने पूरे शहर को अपनी आगोश में ले लिया, जब हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम ने देखा तो समझ गए कि अब अज़ाब आने वाला है और आप बस्ती छोड़कर बाहर निकल गए ये दिन जुमा मुहर्रम की दसवीं थी, उधर जब क़ौम को ये एहसास हो गया कि हम पर खुदा का अज़ाब आने वाला है तो वो अपने आलिम के पास पहुंचे और सारी बात बताई तो उन्होंने कहा कि अब तौबा करने का वक़्त आ गया है तो पूरी क़ौम रो रोकर खुदा की बारगाह में अपने गुनाह भी माफी चाहने लगी, अपने सारे मज़ालिम जो उन्होंने एक दूसरे पर किये थे माफ कराये सब का छीना हुआ हक़ वापस किया यहां तक कि किसी का पत्थर भी अगर उसके मकान की बुनियाद में लगा था तो खोदकर उसका पत्थर तक वापस किया गया और बहुत दर्दनाक आवाज़ में बच्चे बूढ़े जवान औरतें सब रो रहे थे और यही कहते जाते थे कि ऐ अल्लाह हम तुझ पर और तेरे नबी पर ईमान लाये तो मौला तआला को उन पर रहम आ गया और उन पर से अज़ाब को टाल दिया*_
_*यहां पर एक सवाल उठता है कि क़ौमे यूनुस ने तौबा की तो उनकी तौबा क़ुबूल की गई और जब फिरऔन ने तौबा की तो उसकी तौबा क़ुबूल न हुई ऐसा क्यों जबकि अज़ाब दोनों पर ही आ पड़ा था, तो इसका जवाब ये है कि फिरऔन ने ज़ाहिरन अज़ाब देख लिया था और अज़ाब देखकर तौबा करना क़ुबूल नहीं जबकि क़ौमे यूनुस ने अज़ाब नहीं देखा था बल्कि सिर्फ अलामते अज़ाब देखा था और यही अलामत देखकर वो तौबा करने लगे तो तौबा उनकी सच्ची थी लिहाज़ा क़ुबूल हुई*_
_*📕 तज़किरातुल अम्बिया,सफह 198*_
_*जारी रहेगा......*_
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