_*आसमानी किताबें हिस्सा - 1*_
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*_4 मुक़द्दस किताबे यानि तौरैत शरीफ हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम पर ज़बूर शरीफ हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम पर इंजील मुक़द्दस हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम पर और क़ुर्आन मुक़द्दस मेरे आक़ा हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम पर नाज़िल हुई और 100 सहीफे जिसमे से 10 हज़रत आदम अलैहिस्सलाम पर 10 हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम पर 30 हज़रत इदरीस अलैहिस्सलाम पर और 50 सहीफे हज़रत शीश अलैहिस्सलाम पर नाज़िल हुए_*
_*📕 खाज़िन,जिल्द 1,सफह 169*_
_*📕 तकमीलुल ईमान,सफह 10*_
_*📕 अशअतुल लमआत,जिल्द 1,सफह 40*_
*_तौरैत 6 रमज़ान को ज़बूर 18 रमज़ान को इंजील 13 रमज़ान को और क़ुर्आन मुक़द्दस का नुज़ूल 27 रमज़ान को हुआ,क़ुर्आन मजीद फुरकाने हमीद का नुज़ूल 2 बार हुआ पहली बार लौहे महफूज़ से आसमाने दुनिया के बैतुल इज़्ज़त यानि बैतुल मामूर में एकबारगी नाज़िल कर दिया गया ये नुज़ूल रमज़ानुल मुबारक की शबे क़द्र में हुआ,फिर दूसरी बार 23 साल के अर्से में हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम पर हस्बे ज़रूरत थोड़ा थोड़ा नाज़िल होता रहा,इसमें से बाज़ आयतें या सूरतें 2 बार भी नाज़िल हुई जैसे सूरह फातिहा वगैरह_*
_*📕 अलइतक़ान,जिल्द 1,सफह 35*_
_*📕 तफसीरे नईमी,जिल्द 1,सफह 10*_
*_तौरैत सुरयानी ज़बान में थी_*
_*📕 ज़रक़ानी,जिल्द 1,सफह 214*_
*_तौरैत में 1000 सूरतें और हर सूरह में 1000 आयतें थी इस हिसाब से उसमे 10 लाख आयतें हुई_*
_*📕 खज़ाएनुल इरफान,सफह 460*_
*_तौरैत की ज़खामत यानि मोटाई या फिर वज़न 70 ऊंट के बराबर था,उसके एक हिस्से की तिलावत करने में 1 साल लग जाते थे_*
_*📕 खाज़िन,जिल्द 2,सफह 236*_
*_4 अम्बिया ऐसे हैं जिन्होंने तौरैत का हिफ्ज़ किया 1.हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम 2.हज़रत यूशा बिन नून अलैहिस्सलाम 3.हज़रत उज़ैर अलैहिस्सलाम 4.हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम_*
_*📕 तफसीरे सावी,जिल्द 2,सफह 85*_
*_तौरैत शरीफ 7 तख्तियों में हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को अता हुई थी जब आप उसे वापस लेकर लौटे तो अपनी क़ौम को बुतपरस्ती में पाया तो मारे जलाल के वो तख्तियां या तो आपके हाथ से गिर गई या फिर गिरा दी,ये तख्तियां या तो ज़बरो जद की थी या फिर जन्नत के दरख्त सिद्रह की थी,बहर हाल उसके 6 हिस्सों को अल्लाह ने उठा लिया और 1 हिस्सा बाकी रहा जिसमे ज़रूरत के मसायल थे_*
_*📕 अलइतक़ान,जिल्द 1,सफह 56-57*_
_*📕 तफसीरे नईमी,जिल्द 1,सफह 430*_
*_तौरैत की शुरुआत क़ुर्आन की सूरह इनआम की एक आयत से है और इख्तेताम भी सूरह बनी इस्राईल या सूरह हूद की किसी आयत पर ही हुआ है_*
_*📕 अलइतक़ान,जिल्द 1,सफह 52*_
*_ज़बूर इब्रानी ज़बान में थी_*
_*📕 उम्दतुल क़ारी,जिल्द 1,सफह 35*_
*_ज़बूर में 150 सूरतें थीं जिनमें सिर्फ अल्लाह की हम्द व तारीफ और दुआ थी,ना तो इसमें हरामो हलाल का ज़िक्र था और ना फर्ज़ो व किसी हद का ज़िक्र_*
_*📕 अलइतक़ान,जिल्द 1,सफह 66*_
*_ज़बूर तौरैत के 482 साल बाद नाज़िल हुई_*
_*📕 अलबिदाया,जिल्द 2,सफह 78*_
*_ज़बूर की सबसे लम्बी सूरह पूरे क़ुर्आन की चौथाई के बराबर है और सबसे छोटी सूरह सूरह नस्र के बराबर_*
_*📕 जलालैन,हाशिया 17,सफह 234*_
*_हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम 70 आवाज़ो में खुश अल्हानी के साथ ज़बूर शरीफ तिलावत किया करते थे_*
_*📕 अलबिदाया,जिल्द 2,सफह 16*_
*_इंजील इब्रानी ज़बान में थी_*
_*📕 अलमलफूज़,हिस्सा 4,सफह 14*_
*_इंजील का नुज़ूल ज़बूर के 1050 साल बाद हुआ_*
_*📕 अलबिदाया,जिल्द 2,सफह 78*_
*_इंजील में एक सूरह का नाम सूरह इमसाल है_*
_*📕 अलइतक़ान,जिल्द 1,सफह 88*_
_*क़ुर्आन मुक़द्दस*_
_*जारी रहेगा......*_
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