_*फ़ज़ाइले जुमा*_
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_*1). एक फ़रिश्ता है जिसकी 40000 सींग है, उसकी हर सींग पर 40000 फ़रिश्ते हैं, ये सब जुमा के दिन सज्दा करते हैं और उस शख्स के लिए मग़फिरत की दुआ करते हैं जो जुमा की नमाज़ पढ़े*_
_*📕 क्या आप जानते हैं, सफ़ह 333*_
_*2). जुमा के 24 घंटो के हर घंटे में मौला तआला 6 लाख ऐसे लोगो को जहन्नम से आज़ाद करता है जिन पर जहन्नम वाजिब हो चूका था*_
_*📕 क्या आप जानते हैं, सफ़ह 333*_
_*3). जुमा के दिन गुस्ल करके मस्जिद जाने वाले को हर क़दम पर 20 साल की इबादत का सवाब और नमाज़ के बाद 200 साल की इबादत का सवाब मिलता है*_
_*📕 क्या आप जानते हैं, सफ़ह 334*_
_*4). मस्जिद में दुनिया की जायज़ बात करना नेकियों को ऐसे खा जाता है जैसे आग लकड़ी को खा जाती है और मस्जिद में हसना कब्र में अँधेरा लाता है*_
_*📕 अहकामे शरियत, हिस्सा 1, सफह 109*_
_*5). अगर जुमे की जमात जारी हो और इमाम अत्तहयात में हो तो जमात के लिए दौड़ना फ़र्ज़ है और नमाज़ों में दौड़ कर शामिल होना मकरूह है*_
_*📕 क्या आप जानते हैं, सफ़ह 350*_
_*6). ख़ुत्बे के वक़्त बात करना खाना पीना सलाम करना या सलाम का जवाब देना इधर उधर देखना वज़ीफ़ा दुरूद दुआ कुछ भी ज़बान से पढ़ना हराम है*_
_*📕 फतावा रज़वियह, जिल्द 3, सफह 696, 697, 698*_
_*7). ख़ुत्बे के वक़्त हिलना डुलना मना है यहाँ तक कि आँख की कनखियों से दूसरी तरफ देखना भी मकरूह है*_
_*📕 फतावा रज़वियह, जिल्द 3, सफह 743*_
_*8). जिसने ख़ुत्बे के वक़्त किसी को चुप रहने को कहा उसके लिए जुमा में कोई अज्र नहीं*_
_*📕 फतावा रज़वियह, जिल्द 3, सफह 697*_
_*ज़रा सोचिये की ख़ुत्बे के वक़्त किसी को बोलता देखकर उसको मना करना तक मना है तो जो लोग यूँही बातें करते रहते हैं उनको क्या ख़ाक सवाब मिलेगा*_
_*9). जुमे के दिन ख़ुत्बे से लेकर नमाज़ ख़त्म होने तक की दुआ रद्द नहीं की जाती, मगर दोनों ख़ुत्बे के बीच दिल में दुआ करें*_
_*📕 मिश्कात, सफ़ह 120*_
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