_*इल्मे ग़ैब पर वहाबियों का ऐतराज़*_
_*हिस्सा- 5*_
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_*06). वहाबी कहता है कि खुद सय्यदना आयशा सिद्दीका रज़ियल्लाहु तआला अंहा फरमाती हैं कि जो ये कहे कि हुज़ूर ﷺ ग़ैब जानते हैं वो झूठा है*_
_*06). अगर वाक़ई इस हदीस का वही मतलब है जो कि वहाबी ने समझा है तब तो ये हदीस खुद वहाबियों के भी खिलाफ होगी क्योंकि वहाबी भी हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम के लिए बाज़ इल्मे ग़ैब तो मानता है जैसा कि खुद अशरफ अली थानवी ने अपनी किताब में लिखा है कि*_
_*आप (हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम) की ज़ाते मुक़द्दसा पर इल्मे ग़ैब का हुक्म किया जाना अगर बक़ौल ज़ैद सहीह हो तो दरयाफ्त तलब अम्र ये है कि उस ग़ैब से मुराद बाज़ ग़ैब हैं या कुल ग़ैब, अगर बाज़ उलूमे ग़ैबिया मुराद हैं तो इसमें हुज़ूर......*_
_*📕 हिफज़ुल ईमान,सफह 8*_
_*ये कुफ्रिया इबारत है जिसकी बिना पर अशरफ अली थानवी पर कुफ्र का फतवा लगा इसका पोस्ट मार्टम बाद में होगा, मगर इस रिवायत से ये साफ ज़ाहिर है कि कुछ ग़ैब तो वहाबी भी हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम के लिए मानता है, मगर उम्मुल मोमेनीन का क़ौल कुल ग़ैब की नफी कर रहा है जो कि बहुत सी क़ुरानी आयतो और हदीस के खिलाफ है,इसका सीधा साधा मतलब ये है कि आप इल्मे ग़ैबे ज़ाती की नफी फरमा रहीं हैं तो आपके कहने का मतलब अब ये हुआ कि "जो ये कहे कि हुज़ूर खुद से ग़ैब जानते हैं यानि बग़ैर खुदा के बताये तो वो झूठा है" और अगर ये तावील सही नहीं है तो इसका क्या जवाब होगा, पढ़िये*_
_*हज़रते अस्मा बिन्त अबू बक्र रज़ियल्लाहु तआला अन्हा फरमाती हैं कि मैं और हज़रते आयशा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम के पीछे सूरज ग्रहण की नमाज़ पढ़ रहे थे, नमाज़ के बाद हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम ने अल्लाह की हम्द की और फरमाते हैं कि "कोई चीज़ ऐसी नहीं थी जो मैंने ना देखी थी मगर आज इस जगह खड़े होकर देख ली यहां तक कि जन्नत और दोजख भी*_
_*📕 बुखारी,किताबुस सलात, हदीस 3501*_
_*ज़रा देखिये कि खुद हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम बयान कर रहे हैं कि मैंने यहां खड़े खड़े जन्नत और दोज़ख देख ली क्या जन्नत और दोज़ख को दुनिया में ही देख लेना ग़ैब नहीं और फिर किसके सामने फरमा रहे हैं खुद उम्मुल मोमेनीन सय्यदना आयशा सिद्दीक़ा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा के सामने, अगर इसके बाद भी उम्मुल मोमेनीन ऐसा फरमाती हैं कि "जो ये कहे कि हुज़ूर ग़ैब जानते हैं तो वो झूठा है" तो उसका वही मतलब होगा जो मैं बयान कर चुका कि वो ग़ैबे ज़ाती का इन्कार कर रहीं हैं*_
_*अहले सुन्नत वल जमात का यही अक़ीदा है कि जो हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम के लिए एक ज़र्रा बराबर भी इल्मे ग़ैब ज़ाती जाने वो काफिर है,हमारा अक़ीदा यही है कि अल्लाह ने अपने महबूब सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम को इल्मे ग़ैब अता फरमाया और हर चीज़ का अता फरमाया, मौला तआला लोगों को सही पढ़ने और सही समझने की तौफीक़ अता फरमाये*_
_*जारी रहेगा......*_
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