_*आसमानी किताबें हिस्सा - 5*_
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_*क़ुर्आन गैर मुस्लिमों की नज़र में*_
_*एक कहावत कही जाती है कि अपनी दही को कोई खट्टी नहीं कहता,बात एक दम सही है कि कोई भी आदमी अपनी या अपने से जुड़ी जो भी चीज़ें हैं उन सबकी तारीफ ही करता नज़र आता है बुराई हरगिज़ नहीं करता मगर मज़ा तो जब है जब कि गैर भी आपकी तारीफ करें,इस्लाम ऐसा ही मज़हब है कि जिसकी तारीफ सिर्फ मुसलमान ही नहीं बल्कि गैर भी करते हैं,आईये ऐसे ही कुछ लोगों का क़ौल क़ुर्आन के बारे में मुलाहज़ा फरमायें*_
_*डॉ. राडवेल - ने लिखा कि "क़ुर्आन में एक गहरी सच्चाई है-देबाचाये क़ुर्आन*_
_*जर्मन फिलसफर सर गोएटे - ने लिखा कि "क़ुर्आन मजीद की ये हालत है कि इसकी दिल फरेबी बा तदरीज फरिफ्ता करती है फिर मुतअज्जिब करती है और आखिर में एक रिक़्क़त आमेज़ तहय्युर में डाल देती है इस तरह ये किताब तमाम ज़मानो पर असर करती है-मौली रमज़ान,1352 हिजरी*_
_*सर विलियम म्योर - ने लिखा कि "कोई किताब 1200 साल से ऐसी नहीं है कि उसकी इबारत एक मुद्दत तक ऐसी खालिस रही हो-लाइफ ऑफ मुहम्मद*_
_*स्टैनली लेन पॉल - ने कहा कि "क़ुर्आन मजीद ने दुनिया को आला इखलाक़ की तालीम दी उसूले मदनियत और उसूले हक़ायक़ सिखाये,ज़ालिमों को रहम दिल और वहशियों को परहेज़गार बनाया,अगर ये किताब ना होती तो इंसान का इखलाक़ तबाहो बर्बाद हो जाता और दुनिया के इंसान बराये नाम ही इंसान रह जाते-गाइडेन्स ऑफ हॉली क़ुर्आन*_
_*टालस्टाय - ने लिखा कि "क़ुर्आन मजीद आलमे इंसान के लिए रहबर है इसमें तहज़ीब है शाइस्तग़ी है तमद्दुन है माशेरत है इखलाक़ की हिदायत है,इन क़ायदों के साथ ही जब हम इस बात पर गौर करते हैं कि ये किताब ऐसे वक़्त में दुनिया के सामने पेश की गई जबकि हर तरफ आतिशे फसाद के शरारे भड़क रहे थे,खून खोरी और डाका ज़नी की तहरीक जारी थी और फहश बातों से बिल्कुल परहेज़ नहीं किया जाता था इस किताब ने उन तमाम गुमराहियों का खात्मा कर दिया-द लाइफ ऑफ रिलीजन*_
_*टॉम्स कारलायल - लिखते हैं का "क़ुर्आन मजीद ने दुनिया की काया ही पलट दी इसने जाहिलों को आलिम ज़ालिमों को रहम दिल और ऐश परस्तों को परहेज़गार बना दिया-द पॉपुलर रिलीजन ऑफ द वर्ल्ड*_
_*प्रो. हर्बट आएल - लिखते हैं कि "क़ुर्आन मजीद इखलाक़ी और हिदायती और दानाई की बातों से भरा हुआ है-लेक्चर आन इस्लाम*_
_*डॉ ऑर्नाल्ड - ने लिखा कि "इखलाक़ी अहकाम जो क़ुर्आन में हैं वो अपनी जगह पर क़ामिल हैं-प्रीचिंग ऑफ इस्लाम*_
_*रामदेव प्रिंसिपल ऑफ गुरूकुल,कांगड़ी - कहते हैं कि "क़ुर्आन मजीद की तौहीद में किसी को शक नहीं साफ बताया है कि अल्लाह एक है,अरब के अंदर औरतों का कोई दरजा नहीं था हज़रत मुहम्मद साहब ने औरतों के हुक़ूक़ क़ायम किये-प्रकाश,फरवरी 1927*_
_*प्रोफ. दोयजादास - लिखते हैं कि "क़ुर्आन मजीद ऐसा जामेय और रूह फिज़ा पैगाम है कि हिन्दू धर्म और मसीहियत की किताबें इसके मुक़ाबले में बमुश्किल कोई बयान पेश कर सकती है-मोज्ज़ातुल इस्लाम,सफह 10*_
_*मिस्टर गांधी - कहते हैं कि "मुझे क़ुर्आन मजीद को इल्हामी किताब तसलीम करने में ज़र्रा बराबर भी ताम्मुल नहीं है-यंग इंडिया*_
_*पंडित शान्ताराम - लिखते हैं कि "क़ुर्आन मजीद की तालीमात निहायत आम फहम और इंसान की फितरत के मुताबिक है-मुहम्मद साहब जीवन चरित्र*_
_*गुरु नानक - कहते हैं कि "पूजा पाठ काम नहीं दे सकती छूट-छात बेकार है,जिनीव अस्नान माथे पर तिलक लगाना काम नहीं आएगा, अगर कोई किताब काम आएगी तो वो क़ुर्आन मजीद है जिसके आगे पोथी पुराण कुछ नहीं-ग्रन्थ साहब*_
_*गुरु अंगद - कहते हैं कि "क़ुर्आन मजीद के 30 सिपारे हैं जिनमे नसीहतें हैं उन पर यक़ीन करो-जनम साखी कलां*_
_*📕 खातूने मशरिक़ देहली,सितम्बर 2003,सफह 13-14*_
_*जारी रहेगा......*_
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