_*शादी हिस्सा - 6*_
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*औलाद और उसकी तरबियत*
*_जो औरत हमल की तकलीफ बर्दाश्त करती है उसे सारी रात नमाज़ पढ़ने का और हर दिन रोज़ा रखने का सवाब मिलता है और वो उस मुजाहिद की तरह है जो जिहाद में है और दर्दे ज़ह के हर झटके पर एक ग़ुलाम आज़ाद करने का अज्र मिलता है_*
*📕 ग़ुनियतुत तालिबीन,सफह 113*
*_हामिला औरत को चाहिए कि हमेशा खुश रहे,रोज़ाना ग़ुस्ल करे,पाक साफ कपड़े पहने,ग़िज़ा हलकी मगर मुक़व्वी खाये,खूबसूरत तस्वीरें देखें,बे वक़्त खाने पीने या सोने जागने से परहेज़ करे,फलों का इस्तेमाल ज़्यादा करे खासकर संगतरा कि संगतरा खाने से बच्चा खूबसूरत होगा,नमाज़ पढ़ना ना छोड़े और क़ुरान की तिलावत करती रहे खुसूसन सूरह मरियम की,अगर चाहते हैं कि आपका बच्चा आपका फरमाबरदार रहे तो सबसे पहले आपको नेक बनना पड़ेगा क्या सुना नहीं कि हुज़ूर ग़ौसे पाक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु मां के पेट में ही 18 पारे के हाफिज़ हो गए थे मतलब साफ है आप जो भी करेंगे उसका सीधा असर आपके बच्चे पर पड़ेगा लिहाज़ा झूट चुग़ली बदनज़री गाना बजाना गाली गलौच हराम ग़िज़ा से परहेज़ी और तमाम मुंकिराते शरइया से बचें_*
*📕 सलीकये ज़िन्दगी,सफह 50*
*_बच्चा कभी मां के मुशाहबे होता है तो कभी बाप के ऐसा इसलिए होता है कि औरत के रहम में 2 खाने होते हैं,दायां लड़के के लिए और बायां लड़की के लिए,तो अगर मर्द का नुत्फा ग़ालिब आया और सीधे खाने में पड़ा तो लड़का होगा और उसकी आदत व चाल-ढाल मर्दाना ही होंगे लेकिन अगर मर्द का नुत्फा ग़ालिब तो आया मगर बाएं खाने में गिरा तो सूरतन तो लड़का होगा मगर उसके अंदर औरतों की खसलत मौजूद होगी मसलन दाढ़ी मुंडाना ज़ेवर पहनना हाथ पैर में मेंहदी लगाना औरतों जैसे बाल रखना जूड़ा बांधना यानि उसको औरतों की वज़अ कतअ बनाने का बड़ा शौक़ होगा युंही अगर औरत का नुत्फा ग़ालिब आया और बाएं खाने में गिरा तो ज़हिरो बातिन में लड़की ही होगी लेकिन अगर औरत का नुत्फा ग़ालिब तो आया मगर रहम के दाहिने खाने में रुका तो जब तो सूरतन लड़की होगी मगर उसके अंदर मरदाना खसलत पाई जायेगी मसलन घोड़ा चलाना बाईक चलाना मर्दाने कपड़े व जूते पहनना मर्दों की तरह छोटे छोटे बाल रखना बोल चाल में भी मरदाना पन रहेगा_*
*📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 9,सफह 362*
*_बच्चा मां और बाप दोनो का होता है मतलब उसकी हड्डियां मर्द के नुत्फे से बनती है और गोश्त वगैरह औरत के नुत्फे से_*
*📕 क्या आप जानते हैं,सफह 607*
*_हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं की "बेशक औलाद की खुशबु जन्नत की खुशबु है_*
*📕 मुकाशिफातुल क़ुलूब,सफह 515*
*_और फरमाते हैं कि "निकाह करो कि मैं तुम्हारी कसरत पर फख्र करूंगा यानि ज़्यादा बच्चे पैदा करो, मगर यहां तो हाल ही अलग है पहले तो हम 2 हमारे 2 का नारा हुआ करता था और आज कल हम 1 हमारा 1 फैशन में है,माज़ अल्लाह_*
*📕 मुसनदे इमाम आज़म,सफह 208*
*_लड़की पैदा होना बाईसे बरक़त है जैसा कि हदीसे पाक में आता है कि हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं "जिसके बेटियां हों और वो उनकी अच्छी तरह परवरिश करे तो क़यामत के दिन वो और मैं इतने पास होंगे फिर आपने अपनी उंगलियां मिलाकर दिखाया कि इस तरह_*
*📕 मुस्लिम,जिल्द 2,सफह 330*
*_जिसकी 1 या 2 या 3 बेटियां या बहने हों और वो उनकी परवरिश करे यहां तक कि उनकी शादियां करा दे तो उस पर जन्नत वाजिब है_*
*📕 मिश्कात,सफह 423*
*_सुब्हान अल्लाह ये रिवायत पढ़िए हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि "जिस घर में लड़कियां होती हैं तो आसमान से रोज़ाना उस घर पर 12 रहमतें नाज़िल होती है और उस घर की फरिश्ते ज़ियारत करते हैं और उस लड़की के मां बाप के नामये आमाल में रोज़ाना साल भर की इबादत का सवाब लिखा जाता है अल्लाहो अकबर_*
*📕 नुज़हतुल मजालिस,जिल्द 2,सफह 83*
*_लड़कियों की पैदाईश पर नाखुश होना काफिरों का तरीका है जैसा कि मौला तआला फरमाता है कि "और जब उनमें से किसी को बेटी होने की खुश खबरी दी जाती है तो दिन भर उसका मुंह काला रहता है_*
*_और गुस्सा खाता है_*
*📕 पारा 14,सूरह नहल,आयत 58*
*_जब बच्चे की विलादत हो तो उसे फौरन ग़ुस्ल देकर सीधे कान में अज़ान कही जाए और बाएं कान में तकबीर,बेहतर है कि अज़ान 4 बार कहें और तकबीर 3 बार,और कोई मुत्तक़ी परहेज़गार शख्स खजूर चबाकर बच्चे के मुंह में डाले कि हदीसे पाक में आता है कि बच्चे को पहली घुट्टी देने वाले का असर बच्चे पर आता है इसीलिए सहाबा इकराम अपने मौलूद बच्चों को लेकर हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम की बारगाह में आते और हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम उनके मुंह में अपना लोआबे पाक डाल देते_*
*📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 9,सफह 46*
*_सातवें दिन बच्चे का अक़ीक़ा किया जाए उसका बाल मूंडकर उसके बराबर चांदी सदक़ा करे या उसकी कीमत और बच्चे का नाम रखे,लड़के के लिए 2 बकरे और लड़की के लिए 1 बकरी या लड़के में बकरी कर दी और लड़की में बकरा तब भी कोई हर्ज नहीं युंही 2 की जगह 1 या 1 की जगह 2 कर दिया तो भी हो जायेगा उसी तरह बड़े जानवर में हिस्सा लिया तो भी अक़ीक़ा हो जायेगा,और अक़ीक़े का गोश्त बच्चे के मां बाप दादा दादी नाना नानी सब खा सकते हैं_*
*📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 15,सफह 154*
*_जो औरतें बच्चों को अपना दूध नहीं पिलाती इस गर्ज़ से कि कहीं उनकी खूबसूरती कम ना हो जाए वो इस रिवायत को पढ़ें कि शबे मेराज में हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम ने कुछ औरतों को देखा कि जिनके पिस्तान ज़्यादा बड़े हैं उन्हें सांप डस रहे हैं तो जिब्रीले अमीन फरमाते हैं कि ये वो औरतें हैं जो बच्चों को अपना दूध नहीं पिलाती थीं_*
*📕 शराहुस्सुदूर,सफह 153*
*_बच्चे की दूध की हर चुस्की के बदले मां को एक ग़ुलाम आज़ाद करने का सवाब मिलता है और जब वो उसका दूध छुड़ाती है तो ग़ैब से निदा आती है कि ऐ औरत तेरे आज तक के सारे गुनाह माफ हुए अब तू नए सिरे से नेकियां कर_*
*📕 ग़ुनियतुत तालिबीन,सफह 113*
*_मां का दूध बच्चे के लिए हर चीज़ से ज़्यादा फायदेमंद है तबीबो का यही कहना है कि जो बच्चा मां के दूध पर पला है वो बहुत कम बीमार पड़ेगा और जो मां के दूध से महरूम रहेगा वो कमज़ोर और तरह तरह की बिमारियों में ज़िन्दगी भर मुब्तेला रहेगा,बच्चे की परवरिश पर मां का हक़ है तो बग़ैर उसकी मर्ज़ी के कोई उसका बच्चा नहीं पाल सकता हां अगर उसको दूध वगैरह नहीं उतरता तो ऐसी सूरत में दाया वगैरह को दिया जाए या डब्बे का दूध इस्तेमाल करायें_*
*📕 तफसीरे नईमी,जिल्द 2,सफह 472*
*_बच्चे को 2 साल से ज़्यादा दूध पिलाना मना है और ढाई साल से ज़्यादा पिलाना हराम हां 2 साल से पहले अगर दूध छुड़ाना चाहें तो छुड़ा सकता है इजाज़त है_*
*📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 7,सफह 29*
*_एक बहुत ज़रूरी बात बेशक अपनी औलाद को नेक तालीम देना हर मां बाप पर फर्ज़ है लेकिन अगर मां बाप ये गलती कर बैठे हैं कि उन्होंने अपने बच्चों को दीनी तालीम नहीं दी तो बेशक वो कुसूर वार हैं मगर उतना नहीं जितना कि आजकल की औलाद उन्हें ठहराती है मसलन कोई भी बात पड़ी तो फौरन कह दिया कि मेरे मां बाप ने हमें पढ़ाया ही नहीं या सिर्फ यही सोच ही लिया कि गलती हमारी थोड़ी ही थी,तो उनकी गलती उसी वक़्त मानी जाती जबकि औलाद बालिग़ होने से पहले मर जाती और जब बालिग़ हो गयी तो दुनिया भर की सारी खुराफात तो खुद सीख गया_*
*_गुटखा खाना सिगरेट पीना क्या मां बाप ने सिखाया था_*
*_लौंडिया बाजी करना क्या मां बाप ने सिखाया था_*
*_अय्याशी करना भी क्या मां बाप ने सिखाया था_,*
*_कुछ शराब पीते हैं क्या मां बाप ने सिखाया था_*
*_नाचना गाना हुल्लड़ बाज़ी करना क्या मां बाप ने सिखाया था_*
*_झूट मक्कारी आवारा गर्दी करना क्या मां बाप ने सिखाया था_*
*_नहीं ना फिर भी सीख गया,तो जब ये सब खुद से सीख लिया तो इल्मे दीन क्यों नहीं सीखा ये सिर्फ एक बहाना है और बहाने से इंसान को फुसलाया जा सकता है फरिश्तों को नहीं,लिहाज़ा अगर फरिश्तों की मार से बचना चाहते हैं तो मरने से पहले हर वो चीज़ जिसकी एक इंसान को ज़रूरत पड़ती है उतना इल्म हासिल कर लें क्योंकि ज़रूरत का इल्म हासिल करना हर मुसलमान पर फर्ज़ है_*
_*जारी रहेगा.....*_
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