_*हज़रत लूत अलैहिस्सलाम*_
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_*हज़रत लूत अलैहिस्सलाम हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के भाई हारान बिन तारख के बेटे हैं यानि हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम आपके चचा हैं, ख्याल रहे कि हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के चचा का नाम भी हारान है जो कि हज़रते सारह के वालिद थे वो दूसरे हारान हैं*_
_*हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम पर सबसे पहले हज़रत लूत अलैहिस्सलाम के ईमान लाने से ये ना समझा जाये कि माज़ अल्लाह हज़रत लूत अलैहिस्सलाम इससे पहले मोमिन ना थे बल्कि आपकी सदाक़त पर ईमान लाये, वरना अम्बिया इकराम के लिए मुहाल है कि एक आन के लिए भी वो हज़रात गुनाह की तरफ गए हों*_
_*चूंकि हज़रत लूत अलैहिस्सलाम का इलाका हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के बहुत करीब था इसलिये आपने अपनी क़ौम को इबादत की दावत नहीं पेश की बल्कि सिर्फ बुराइयों से रोकते रहे,कुछ गुनाह ऐसे हुए हैं जो हज़रत लूत अलैहिस्सलाम की उम्मत से शुरू हुए और माज़ अल्लाह आज भी लोगों में पाए जाते हैं, उनकी तफसील हस्बे ज़ैल हैं*_
_*! इगलाम बाज़ी यानि मर्दों का मर्दों से सोहबत करना*_
_*! कबूतर बाज़ी करना कि पूरा दिन गुज़र जाता*_
_*! औरतों की वज़अ कतअ बनाना*_
_*! मर्दों का हाथों में मेंहदी लगाना*_
_*! रास्ते में बैठ कर आते जाते लोगों को तंग करना*_
_*! लोगों में आवाज़ के साथ रिया खारिज करना*_
_*! एक दूसरे को थप्पड़ मारना*_
_*! हंसी मज़ाक में लोगों को गाली देना*_
_*! सबके सामने नंगे हो जाना*_
_*! हर वक़्त मुंह में कुछ डालकर चबाते रहना*_
_*ज़रा सोचिये कि वही गुनाह पहले के लोग करते थे तो आसमान से पत्थर बरस पड़ते थे तो कहीं बादल गिरा दिया जाता था तो कहीं पानी में गर्क कर दिया जाता था और आज वही सारे गुनाह हम भी करते हैं मगर हम पर पत्थर नहीं बरसते, क्यों, क्योंकि हमारे नबी सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम रहमतुल लिल आलमीन हैं और ज़िन्दा बा हयात हैं जैसा कि खुद मौला तआला क़ुरान में इरशाद फरमाता है कि*_
_*और अल्लाह का काम नहीं कि उन्हें अज़ाब करे जब तक कि ऐ महबूब तुम उनमे तशरीफ फरमा हो*_
_*📕 पारा 9, सूरह इंफाल, आयत 33*_
_*तो मानना पड़ेगा कि हुज़ूर जिन्दा बा हयात हैं और अपने बन्दों पर से अज़ाब को दूर फरमाते हैं, मगर ऐसा भी नहीं है कि अब चाहे जितने गुनाह करो सज़ा तो मिलनी नहीं हैं नहीं बल्कि जैसे ही सांस टूटेगी अगर गुनहगार होंगे तो अज़ाब मुसल्लत कर दिया जायेगा, लिहाज़ा अगर अज़ाब से बचना चाहते हों तो सच्चे दिल से तौबा करें और नेक अमल इख्तियार करें*_
_*जब क़ौम के गुनाह हद्द से ज्यादा बढ़ गए तो मौला ने फरिश्तों को अज़ाब लेकर क़ौम की तरफ भेजा तो वो फरिश्ते सबसे पहले हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के पास पहुंचे, आपके घर 15 दिन से कोई मेहमान नहीं आया था फौरन आपने एक भुना हुआ बछड़ा पेश किया जब उन लोगों ने खाने में हाथ नहीं डाला तो आप समझ गए कि ये फरिश्ते हैं, और आपका खौफ खाना इस लिए नहीं था कि माज़ अल्लाह आपको अपनी हलाक़त का खौफ था बल्कि अपनी उम्मत पर अज़ाब पड़ने का खौफ हुआ, फरिश्तों ने जब ये कहा कि खौफ ना करें कि हम आपकी उम्मत पर नहीं भेजे गए बल्कि हम हज़रत लूत अलैहिस्सलाम की उम्मत पर अज़ाब लेकर आये हैं तो आपको उनकी उम्मत की फिक्र दामनगीर हुई और उन पर से भी अज़ाब को टालने की कोशिश की, जिसके बारे में मौला तआला क़ुरान मुक़द्दस में फरमाता है कि "हमसे क़ौमे लूत के बारे में झगड़ने लगा.... ऐ इब्राहीम इस ख्याल में न पड़ बेशक तेरे रब का हुक्म आ चुका बेशक उन पर अज़ाब आने वाला है फेरा ना जायेगा" जब आपने जान लिया कि ये क़ज़ाए मुबरम हक़ीक़ी है तो आप खामोश हो गये*_
_*फिर वो फरिश्ते हज़रत लूत अलैहिस्सलाम के पास पहुंचे और आपसे बस्ती छोड़ देने को कहा मगर आपकी बीवी जिसका नाम वाहेला था ये काफिरा थी उसको साथ ले जाने को मना किया, जब फरिश्ते इन्सानी सूरत में हज़रत लूत अलैहिस्सलाम के पास पहुंचे तो क़ौम अपनी अय्याशियों के सबब खूबसूरत मर्दों को देखकर हज़रत लूत अलैहिस्सलाम के घर पर जमा हो गए और उनसे मिलने को कहने लगे, जिस पर हज़रत लूत अलैहिस्सलाम ने उनको समझाया कि ये तुम्हारी बीवियाँ मेरी क़ौम की बेटियां है इनका तुम पर हक़ है उसे अदा करो क्यों इस गुनाह में पड़ते हो, मगर वो नहीं माने तो फरिश्तो ने अर्ज़ किया आप घबरायें नहीं हम आम लड़के नहीं हैं कि ये हमको दबोच लेंगे, हज़रत लूत अलैहिस्सलाम अपने घर वालों को लेकर निकल गए पीछे फरिश्तों ने उस पूरे इलाके को जिनमे 5 बस्तियां आबाद थीं यानि सअदून, उमूराह, औमा, ज़बुईम और सबसे बड़ी बस्ती सदूम जिसे क़ुरान ने मोतफिक़ात से ताबीर किया है सबको उठाकर पलट दिया और आसमानों से पत्थरों की बारिश कर दी कि हर पत्थर पर उसके मरने वाले का नाम लिखा होता था जिसको लगता वहीं ढेर हो जाता*_
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