Thursday, August 30, 2018

_*कुछ ऐसा करदे मेरे किरदिगार आंखों में*_
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_*तडप है दिल मे तो है इंतेज़ार आंखों में*_
_*ये सौक ए दीद रहे बार-बार आंखों में*_
_*करार आए मेरी बे करार आंखों में*_

_*कुछ ऐसा करदे मेरे किरदिगार आंखों में*_
_*हमेशा नक्श रहे रू ए यार आंखों में*_


_*छुपे है जुर्म मेरी शरमसार आँखो में*_
_*सज़ा का खौफ़ है इन अश्क़ बार आंखों में*_
_*अंधेरा छा ने लगा बार बार आंखों में*_

_*वो नूर दे मेरे परवर दिगार आंखों में*_
_*के जलवागर रहे रुख कि बहार आंखों में*_

_हमेशा नक्श रहे रू ए यार आंखों में_


_*सदा नवाज़ा है मुझको तेरे तसव्वुर ने*_
_*सीमट दिये है सभी फ़ासले तसव्वुर ने*_
_*हसीन जलवा दिखाया मुझे तसव्वुर ने*_

_*करम ये मुझ पे किया है मेरे तसव्वुर ने*_
_*के आज खिंच दी तस्वीर ए यार आंखों में*_

_हमेशा नक्श रहे रू ए यार आंखों में_


_*नज़र ना आये तो बे नूर सी है ये आंखे*_
_*दिखाई दे तो बड़ी किमती है ये आंखे*_
_*नज़ारे सारे अगर कर चुकी है ये आंखे*_

_*उन्हें ना देखा तो किस काम की है ये आंके*_
_*के देख ने की है सारी बहार आंखों में*_

_हमेशा नक्श रहे रू ए यार आंखों में_


_*लहद मे जिस खड़ी सरकार की ज़ियारत हो*_
_*ज़ुबान पे नात के अश्आर हसबे आदत हो*_
_*वहा जवाब मे ये शेर पेसे खिदमत हो*_

_*फ़रिस्तों पुछ ते हो मुझसे किसकी उम्मत हो*_
_*लो देख लो ये है तस्वीर ए यार आंखों में*_

_हमेशा नक्श रहे रू ए यार आंखों में_


_*वफ़ा की राह मे ऐसी कभी डगर आये*_
_*मेरे नसीब मे खाक ए कदम अगर आये*_
_*मलू गुबार तो आंखों मे ये असर आये*_

_*अजब नहीं के लिखा लोह का नज़र आये*_
_*जो नक्शे पा का लगालु गुबार आंखों में*_

_हमेशा नक्श रहे रू ए यार आंखों में_


_*तुफ़ैल पीर अता जाम हो मुझे साक़ी*_
_*तमाम उम्र नशा जाम का रहे बाकी*_
_*मचल के इश्क़ मे नगमा सुनाए ये रज़वी*_

_*पिया है जाम ए मुहब्बत जो आप ने नूरी*_
_*हमेशा इस का रहेगा खुमार आंखों में*_

_हमेशा नक्श रहे रू ए यार आंखों में_
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