_*मिस्वाक*_
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_*हदीस - हज़रत मिक़दाम बिन सरीह रज़ियल्लाहु तआला अन्हु अपने वालिद से रिवायत करते हैं कि मैंने उम्मुल मोमेनीन सय्यदना आईशा सिद्दीक़ा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा से पूछा कि नबी करीम सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम घर में आने पर सबसे पहला काम क्या करते थे फरमाया कि मिस्वाक*_
_*📕 मुस्लिम, जिल्द 1, सफह 243*_
_*हदीस - हज़रत अबु हुरैरा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से मरवी है कि हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि अगर मेरी उम्मत पर बोझ ना होता तो मैं हुक्म देता कि हर नमाज़ से पहले मिस्वाक करें*_
_*📕 मुस्लिम, जिल्द 1, सफह 243*_
_*हदीस - हज़रत जाबिर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से मरवी है कि हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि मिस्वाक के साथ वाली नमाज़ बगैर मिस्वाक की नमाज़ से 70 गुना अफज़ल है*_
_*📕 अत्तरगीब, जिल्द 1, सफह 102*_
_*हदीस - उम्मुल मोमेनीन सय्यदना आईशा सिद्दीक़ा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा फरमाती हैं कि हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम ने अपनी ज़िन्दगी में जो आखिरी काम किया वो मिस्वाक थी दूसरी रिवायत में है कि आप हमेशा रात को सोकर उठते तो मिस्वाक करते*_
_*📕 बुखारी, जिल्द 1, सफह 197*_
_*हदीस - हज़रत आमिर बिन रबिअ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि मैंने हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम को रोज़े की हालत में देखा कि आप मिस्वाक फरमा रहे हैं.*_
_*📕 बुखारी, जिल्द 1, सफह 732*_
_*ⓩ मिस्वाक करने में कई फायदे हैं ये मुंह को खुश्बूदार करती है मसूढ़ों को मज़बूत करती है नज़र को तेज़ करती है बलगम निकालती है सोजिश को दूर करती है मेदे की इस्लाह करती है सुन्नत पर अमल का बाईस है नेकियों में इज़ाफा है फरिश्तों को खुश करती है और रब को राज़ी करती है, मिस्वाक के ताल्लुक़ से ये कुछ हदीसें बयान हुई इसकी पूरी डिटेल्स के लिए किताब तिब्बे नब्वी और जदीद साईंस का मुताआला करें, खैर इनसे ये तो पता चल ही गया होगा कि मिस्वाक करने में जितना फायदा दुनिया का है उतना ही आखिरत का भी, मिस्वाक कई तरह की शाखों से की जा सकती है मसलन ज़ैतून पीलू नीम बबूल कीकर वगैरह लेकिन अगर ज़ैतून मयस्सर ना आये तो पीलू ही सबसे बेहतर है,मिस्वाक करने के कुछ क़ायदे हैं उन्हें याद रखें*_
_*मिस्वाक ज़्यादा मोटी या बहुत ज्यादा पतली ना हो छुंगली के बराबर मोटाई और एक बालिश्त से ज़्यादा लम्बी ना हो कि इस पर शैतान बैठता है हां छोटी हो जाये तो हर्ज़ नहीं*_
_*मिस्वाक को इस तरह पकड़ें कि अंगूठा सिरे पर हो और बीच की 3 उंगलियां ऊपर और छुंगलिया नीचे*_
_*मिस्वाक को दाहिने से बायें 3,3 मर्तबा ले जायें और ऊपर से नीचे मिस्वाक करें टूथ ब्रश की तरह लम्बाई में ना करें और हर बार धो लें*_
_*मिस्वाक को लिटाकर ना रखें और युंही इधर उधर भी ना फेंके बल्कि इस तरह खड़ी करके रखें कि रेशा ऊपर की जानिब हो और इसकी बेहुरमती ना करें कि उल्मा मुसलमान को बैतुल खला में थूकने तक को मना करते हैं तो फिर ये आलाये अदाये सुन्नत है लिहाज़ा इसकी ताज़ीम करें और जब क़ाबिले इस्तेमाल ना रहे तो दफ्न कर दें या किसी महफूज़ जगह रख दें*_
_*📕 बहारे शरीयत, हिस्सा 2, सफह 17*_
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