_*4 निकाह कब*_
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_*कंज़ुल ईमान - तो निकाह में लाओ जो औरतें तुम्हें खुश आयें दो दो और तीन तीन और चार चार, फिर अगर डरो कि दो बीवियों को बराबर ना रख सकोगे तो एक ही करो*_
_*📕 पारा 4, सूरह निसा, आयत 3*_
_*ⓩ जो लोग खुदा के इस कानून पर ऐतराज़ करते हैं वो इस आयत को बग़ौर पढ़ें और बतायें कि इसमें कहां लिखा है कि हर मुसलमान एक साथ 4 बीवियां रख सकता है, एक साथ 4 बीवियां रखने की बहुत सी शरायतें मौला ने बयान फरमा दी जिसमे ये है कि सबका खाना कपड़ा रहने का मकान और सबके साथ सोहबत की ताक़त अगर ये सब क़ुदरत रखता है तब तो वो 4 बीवियां रख सकता है वरना 4 तो दूर की बात मौला तआला 1 करने की भी इजाज़त नहीं देता, सबसे ज़्यादा इंसाफ वाला मेरा परवर दिगार क़ुर्आन मुक़द्दस में इरशाद फरमाता है कि*_
_*कंज़ुल ईमान - और चाहिये कि बचे रहें वो जो निकाह का मक़दूर नहीं रखते*_
_*📕 पारा 18, सूरह नूर, आयत 33*_
_*ⓩ मक़दूर नहीं रखते यानि महर नहीं अदा कर सकते या उसका खर्च नहीं उठा सकते या सोहबत की क़ुदरत नहीं रखते तो ऐसे लोगों को मौला 1 निकाह करने से भी मना फरमा रहा है, ऐसे मर्द जो तंग दस्ती की वजह से निकाह नहीं कर सकते उनके लिए हदीसे पाक में आता है कि रोजा रखें कि रोज़ा शहवत को तोड़ देता है, खैर अब 4 बीवी रखने में क्या हिकमते खुदावन्दी है ये भी समझ लीजिये, पैदाईश की बुनियाद में भी औरतों की तादाद मर्दों के मुक़ाबले ज़्यादा है और ज़माना जितना क़यामत के क़रीब होता जायेगा उतनी ही औरतों की तादाद बढ़ती जायेगी हदीसे पाक में यहां तक आया है कि 1-1 मर्द पर 50-50 औरतें हो जायेंगी फिर उसके अलावा अक्सर जंगो में मरने वाले हज़रात मर्द ही हुआ करते हैं तो इसलिए वो औरतें जो बेवा हो गईं या वो औरतें जो बगैर शौहर के रह गयीं अगर कुछ मर्द 4 औरतों से निकाह कर लें तो बहुत सी मुआशराई बुराई खत्म हो जायेगी जैसे ज़िना वगैरह, मगर अफसोस कि इस रहमत को बाज़ मर्द ने अपनी ज़हमत बना रखा है और आज की औरतें जिनसे अल्लाह की पनाह कि शौहर को दूसरा निकाह करने के लिए उनसे पूछने की क़ैद लगाती हैं, याद रखें अगर मर्द 4 औरतों से इन्साफ कर सकता है तो उसे दूसरा निकाह करने के लिए बीवी से इजाज़त लेने की कोई ज़रूरत नहीं है, मौला ऐसी औरतों को और ऐसे मर्दों को भी जो कि इस्तेताअत ना होने के बावजूद कई कई निकाह करके बैठे हैं सबको अक़्ले सलीम अता फरमाये-🌹आमीन*_
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