_*⏩ सवाल👇🏻*_
_*बगैर टोपी के नमाज पढना कैसा*_
_*⏩ जवाब👇🏻*_
_*टोपी पहन कर नमाज पढना हुज़ूर (सल्लल्लाहू ताला अलैही वसल्लम) की सुन्नत है।*_
_*🔘 सुस्ती से नंगे सर नमाज पढना यानी टोपी पहनना बोझ मालूम होता है या गर्मी मालूम होती है, मकरूहे तंजीमी है और अगर तहक़ीरे नमाज मक़सूद है, मस्लन नमाज कोई ऐसी मुहताम बिस्हान चीज़ नहीं जीस के लिय टोपी, अमामा पहनना जाए ये कुफ़्र है और खुशुअ व खुजुअ के लिये सर बरहाना पढी तो मुस्तहब है।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 3, सफा 171*_
_*📕 फतावा रजविया, जिल्द 3, सफा 416*_
_*नबी ए करीम (सल्लल्लाहू ताला अलैही वसल्लम) ने फरमाया हमारे और यहूदी के अमामे मे फ़र्क टोपी है मुसलमान टोपी पर अमामा बांधता है और गैर मुस्लिम बिना टोपी के।*_
_*📕 मिशकात बाब अल क़लनस्वा*_
_*इमाम बुखारी ने सही बुखारी मे टोपी के नाम का बाब लिखा है,*_
_*सहाबी ए रसूल हजरत अनस बिन मलिक (पीला) रंग की टोपी पहंते*_
_*📕 बुखारी किताब लिबास बाब टोपियों का बयान, हदीस नं. 5802*_
_*इस बाब मे ही ऐसी हदीस नक्ल की जिसमें नबी ए करीम (सल्लल्लाहु ताला अलैही वसल्लम) ने फरमाया*_
_*हालत ए एहराम मे टोपी ना पहनो।*_
_*📕 बुखारी शरीफ, हदीस नं 5803*_
_*इसका मतलब बगैर एहराम मे सहाबा टोपी लगाया करते थे। और टोपी लगाना साहाबा की सुन्नत है।*_
_*टोपी इस्लाम की निशानी है दाढी और टोपी हमेशा से मुस्लिम की पहचान रही है मगर यहूदी के एजेंट (वहाबी देवबंदी अहले हगीस) मुसलमानों को बगैर टोपी वाला यहूद बनाने मे लगे हैं।*_
_*▶ खुले सर नमाज की चंद सुरते है*_
_*1) मजबुरी की हालत मे बिला कहारत जायज है*_
_*2) सुस्ती की वजह से किसी वक़्त खुले सर नमाज पड़ी जाए तो मकरुह ए तंजीमी है जिसकी वजह से सवाब कम हो जाएगा*_
_*3) खुले सर नमाज को सुन्नत अगर आदत बना ली जाए तो मकरुह ए तहरिमी है*_
_*4) खुले सर नमाज को सुन्नत समझ कर अदा करना बिद्अत है*_
_*5) खुले सर नमाज को अफजल व सुन्नत समझ ना और नमाज मे सर ढकने को बुरा जनना कुफ़्र है*_
_*📕 फतावा आलमगिरी, जिल्द 1, पेज 106, दुर्रे मुख्तार, जिल्द 1, पेज़ 474*_
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