_*हाथ में 🔥अंगारा लेना*_
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_*हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि आखिर ज़माने में आदमी को अपना दीन संभालना ऐसा दुश्वार होगा जैसे हाथ में अंगारा लेना दुश्वार होता है*_
_*📕 कंज़ुल उम्माल,जिल्द 11, सफह 142*_
_*आज का माहौल सामने है मसलके आलाहज़रत यानि अहले सुन्नत व जमाअत यानि दीने इस्लाम की तालीम देखिये और मुसलमानो का अमल देखिये, नमाज़ी को देखना हो तो मस्जिद चले जाईये रोज़ेदार को देखना हो रमज़ान में देख लीजिये हज और ज़कात की तो बात ही ना करिये औरतों का लिबास देखिये मर्दों का किरदार देखिये जवान तो जवान वो बूढ़ा जो ठीक से बोल भी नहीं पाता उसकी दाढ़ी मुंडाने की फिक्र देखिये चाय की होटलों पर बैठे हुए आवारा अय्याश लोगों का आलिमों और मुफ्तियों पर तंज़ देखिये फिर अमल से आगे बढ़िये और मुसलमानो की दीन के नाम पर गुमराहियां देखिये इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की याद मनाने वालो का नाजायज़ तरीका देखिये टीवी पर नातो मन्क़बत सुनने वालों और मस्जिदों में भी टीवी चलाने वालों को देखिये कव्वाली के नाम पर म्यूज़िक का हराम इस्तेमाल देखिये पीरी मुरीदी के नाम पर फासिक सूफियों का ढकोसला देखिये और आगे बढिये और नाम के मुसलमानों का इस्लाम के ऊपर कीचड़ उछालना देखिये कोई होली खेल रहा है तो कोई दिवाली मना रहा है तो कोई गैर मुस्लिमों के त्योहारों की बधाईयां दे रहा है तो कोई इस्लाम के खिलाफ फैसला आने पर मिठाईयां बांट रहा है माज़ अल्लाह माज़ अल्लाह सुम्मा माज़ अल्लाहे रब्बिल आलमीन, आज इस्लामी मुआशरे की हालत ये हो गयी है कि अगर कोई बन्दा सही इस्लामी तरीके से ज़िन्दगी गुज़ारता है तो लोग उसको पागल समझते हैं ना कोई उसकी बात सुनता है और ना सुनना चाहता है और अगर कोई सुन भी लेता है तो उसकी बात मानने को लेकर बात वहीं पर आकर रुक जाती है जहां से शुरू हुई थी कि दीन पर अमल करना हाथ में अंगारा लेना है और आज कोई भी ये अंगारा अपने हाथों में लेने के लिए तैयार नहीं है,खुदा के एहकाम को हम तोड़ें उसकी नाफरमानी हम करें उसके दीन को पामाल हम करें फिर जब हम पर क़हरे खुदावंदी का नुज़ूल होता है और होना भी चाहिये क्योंकि इसके ज़िम्मेदार सिर्फ और सिर्फ और सिर्फ हम हैं अगर अल्लाह ने आंख दी है तो उसे खोलकर पढ़िये कि क़ुर्आन मुक़द्दस में मौला तआला क्या इरशाद फरमाता है*_
_*और तुम्हें जो मुसीबत पहुंचती है वो उसका बदला है जो तुम्हारे हाथों ने कमाया और बहुत कुछ तो अल्लाह माफ कर देता है*_
_*📕 पारा 25,सूरह शूरा,आयत 30*_
_*ये हिंदुस्तान में मुसलमान क्यों मर रहे हैं बर्मा में मुसलमान क्यों मर रहे हैं फिलिस्तीन चेचिनिया ईराक़ अफगानिस्तान पूरी दुनिया में मुसलमान क्यों मर रहे हैं तो जवाब ये है कि इसलिये मर रहे हैं क्योंकि वो मरने वाला काम ही कर रहे हैं उन्हें ज़िंदा रहने का कोई हक़ ही नहीं है, जब कोई दुनिया की हुकूमत के खिलाफ जाता है तो उसको गद्दार कहकर मौत के घाट उतार दिया जाता है तो जो कोई खुदाये क़हहार के एहकाम की खिलाफ वर्ज़ी करेगा तो उसकी सज़ा भी मौत ही है,और मौत तो बहुत छोटी सी सज़ा है आगे पढ़िये कि नबी क्या फरमाते हैं*_
_*हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि आखिर ज़माने में आदमी सुबह को मोमिन होगा और शाम होते होते काफिर हो जायेगा*_
_*📕 तिर्मिज़ी,जिल्द 2,सफह 52*_
_*अस्तग़फिरुल्लाह अस्तग़फिरुल्लाह अस्तग़फिरुल्लाहा रब्बी मिन कुल्ले ज़म्बिंव व आतूबु इलैहि लाइलाहा इल्लल्लाहु मुहम्मदुर रसूल अल्लाह जल्ला शानहु व सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम,*_
_*माज़ अल्लाह एक मुसलमान का ईमान से निकलना उसका करोड़ों बार मरने से बदतर है और ये सिर्फ उसके जहल और उसकी ज़बान की वजह से ही होता है,दिन भर में वो ऐसे सैकड़ों कुफ्रिया कलिमात बकता रहता है और उसे एहसास तक नहीं होता कि अब वो मुसलमान नहीं रहा,ईमान और कुफ्र पर मैं एक पोस्ट सेंड कर चुका हूं उसको थोड़ा एडिट करके फिर से भेजूंगा इन शा अल्लाह तआला,खुदारा मेरे अज़ीज़ो जो ईमानो इस्लाम बगैर मेहनत करे हमें मिला है उसको युं ज़ाया ना करें ये मौला का बेहिसाब एहसाने अज़ीम है कि उसने हमको तमाम मख्लूक़ में इंसान बनाया फिर इंसान में मुसलमान बनाया फिर उस पर एहसान ये कि अपने महबूब सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम की उम्मत में पैदा किया फिर उसमे भी ये एहसान किया कि हमको सुन्नी साहियल अक़ीदा अम्बिया व औलिया से मुहब्बत करने वाला बनाया तो इतनी बड़ी नेमत को युं अपने जहल की वजह से बर्बाद ना करें वरना हमेशा काफिरों के साथ जहन्नम में रहना होगा,मौला तमाम मुसलमानों का ईमान सलामत रखे और उसी पर खातिमा अता फरमाये 🌹आमीन*_
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