_*दय्यूस का हुक्म*_
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_*ⓩ दय्यूस यानि औरतों का दलाल,औरत की दलाली सिर्फ यही नहीं है कि कोठों पर बैठने वाली औरतों की दलाली की जाये बल्कि औरत का दलाल वो भी है जिसे आज कल बड़ी आसानी से देखा जा सकता है कि अपनी बीवी बहन और घर की औरतों को सजा संवारकर बाज़ार में होटलों में पार्कों में दावतों में बेपर्दा लेकर लोग घूम रहे हैं ताकि गैर मर्द उनकी औरतों की खूबसूरती देखें और तारीफ करें,अगर ये औरत की दलाली नहीं है तो फिर औरत की दलाली किसे कहते हैं क्योंकि यही काम तो वो दलाल भी करते हैं बस फर्क इतना होता है कि वहां मर्दों को औरत के पास भेजा भी जाता है और यहां ये मॉडर्न दलाल अपनी घर की औरतों को ग़ैरों के पास भेजते नहीं बल्कि उनको सिर्फ दिखाकर ही तसल्ली करा देते हैं बात कड़वी ज़रूर है मगर सच्ची है,ऐसे मर्द और ऐसी औरतें सिर्फ और सिर्फ दुनिया में लाअनत के और आखिरत में जहन्नम के हक़दार हैं,कुछ हदीसें पेश करता हूं अगर ऐसे मर्दों में ग़ैरत अब तक ज़िंदा हो तो अमल करें वरना अगर ग़ैरत मर चुकी है तब तो वो खुद ही मुर्दा हैं और मुर्दे से अमल की क्या उम्मीद रखी जाये*_
_*हदीस - अजनबी औरत को शहवत से देखने वालों की आंख क़यामत के दिन आग से भर दी जायेगी*_
_*📕 हिदाया,जिल्द 4,सफह 424*_
_*हदीस - जो गैर औरत और मर्द एक दूसरे को देखें तो दोनों पर अल्लाह की लाअनत है*_
_*📕 मिश्कात,सफह 270*_
_*हदीस - पारसा औरतों का बाज़ारू औरतों से भी पर्दा करना वाजिब है क्योंकि वो उसका हुलिया ज़रूर ज़रूर मर्दों में बतायेंगी लिहाज़ा उनसे भी पर्दा करने का हुक्म है*_
_*📕 अबु दाऊद,सफह 292*_
_*ⓩ सोचिये जब औरत को औरत से पर्दा करने का हुक्म दिया जा रहा है तो मर्दों से क्या कुछ हुक्म ना होगा,और यहां तो हाल ही बुरा है पहले तो औरत पर्दा ही नहीं करना चाहती है और कुछ करती हैं तो अल्लाह की पनाह कि शायद उन्होंने ये समझ लिया है कि पर्दा कपड़े का करना है क्योंकि पूरा जिस्म अगर ढक भी लिया तो चेहरा सब का खुला है फिर तौबा तौबा नक़ाब भी वो पहना जाता है कि पूरे जिस्म की बनावट ऊपर से ही मालूम हो जाती है और नक़ाब भी ऐसा कि कम से कम उन्हें नहीं तो नक़ाब तो लोग देखें ही,और अगर कोई अल्लाह की बन्दी सही पर्दा करना चाहती भी है तो ये मॉडर्न दलाल उसे मॉडर्निटी के नाम पर पर्दा नहीं करने देते,अब दय्यूस का हुक्म सुनिये*_
_*हदीस - हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि दय्यूस जन्नत में नहीं जायेगा*_
_*📕 निसाई,जिल्द 1,सफह 327*_
_*फुक़्हा - बाज़ औरतें गैर मर्दों से चूड़ियां पहनती हैं मेंहदी लगवाती हैं ये हराम हराम हराम है,गैर को हाथ दिखाना हराम उसके हाथ में हाथ देना हराम और घर के जो मर्द इस पर राज़ी हों तो वो दय्यूस हैं यानि औरतों के दलाल हैं*_
_*📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 9,सफह 208*_
_*फुक़्हा - औरतों का ग़ैर मर्द के सामने सर खोलना भी हराम है और जो ऐसा करे वो फासिक़ा है अगर मर्द उसे ऐसा करने से मना नहीं करता तो वो भी फासिक़ है ऐसे को इमाम बनाना हराम उसके पीछे नमाज़ पढ़ना नाजायज़ और पढ़ली तो दोहराना वाजिब और अगर मना करता है और औरत नहीं मानती तो मर्द पर कोई इल्ज़ाम नहीं*_
_*📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 3,सफह 188/193*_
_*ⓩ याद रखें कि घर का मुखिया यानि हाकिम यानि सरदार अगर चे खुद नेक भी हो तब भी क़यामत के दिन उस वक़्त तक छुटकारा नहीं मिलेगा जब तक कि अपने पूरे परिवार की ज़िम्मेदारी का हिसाब ना देदे कि सबको इस्लामी तहज़ीब और अमल की दावत देता था या नहीं तो जब नेकोकार का हाल ये होगा तो जो खुद भी बुरे हों और अपने घर वालों से बुराई दूर भी ना करते हों तो वो किस तरह वहां निजात पायेंगे,लिहाज़ा अपने हाल पर रहम खायें और मुसलमान हैं तो मुसलमान जैसा अमल करें ग़ैरों की तरह नहीं*_
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