Wednesday, September 26, 2018



                          _*हिकायत*_
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*_हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम के ज़माने में एक बुढ़िया थी जिसने एक दिन तीन रोटियां सदक़ा की, मगर उसके बाद अचानक एक हवा चली और उसका बचा हुआ पूरा आटा हवा में उड़ गया, बुढ़िया को बहुत गुस्सा आया और वो हवा की शिकायत लेकर हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम की बारगाह में हाज़िर हुई, हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम ने हवा को बुलाया और पूछा कि तुमने इसका आटा क्यों उड़ाया तो हवा ने कहा इसके बारे में आप हवा के फरिश्ते से दरयाफ़्त करें फिर आपने हवा के फरिश्ते को बुलवाया और सवाल किया तो उसने कहा कि आप खुदा से पूछिए फिर आपने बारगाहे खुदावन्दी में अर्ज़ की तो मौला फरमाता है कि मेरा कोई भी काम अबस नहीं होता, समंदर में एक कश्ती जा रही थी उसमें चूहे ने सुराख कर दिया, कश्ती डूबने को हुई तो मैंने हवा को हुक्म दिया कि वो ये आटा उड़ाकर कश्ती में डाल दे ताकि वो लोग इससे कश्ती के सूराख को भर लें, चुनांचे उन्होंने ऐसा ही किया और वो सही सलामत किनारे पर पहुंच गए, हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम ने 3 लाख दीनार बुढ़िया को दिया और फरमाया कि ये तेरे सदक़े की बरकत है और खुदा का शुक्र अदा किया_*

_*📕 नुज़हतुल मजालिस, जिल्द 1, सफह 162*_

 *_एक मर्तबा हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने छत पर छिपकली को लटकते हुए देखा तो तो खुदा से पूछा कि ऐ मौला तूने छिपकली को किस लिए पैदा फरमाया तो मौला फरमाता है कि ऐ मूसा अभी तुमसे पहले ये छिपकली भी मुझसे यही पूछ रही थी कि ऐ मौला तूने मूसा को क्यों पैदा फरमाया है_*

_*📕 शैतान की हिकायत, सफह 7*_

*_एक बादशाह का एक वज़ीर जो कि बड़ा नेक बख्त था और बादशाह का बहुत ही अज़ीज़ भी था हमेशा हर काम में बादशाह के साथ ही रहता, उसकी आदत थी कि कुछ भी हो जाए मगर उसके मुंह से यही जुमला निकलता था कि "अल्लाह जो करता है अच्छा करता है" अजीब इत्तेफाक ये हुआ कि बादशाह ने किसी शहर पर हमले के लिए फौज भेजी मगर वहां उसे शिकस्त हुई, जब ये खबर बादशाह को दी गयी तो वज़ीर की ज़बान से यही निकला कि "अल्लाह जो करता है अच्छा करता है" खैर बादशाह ने वज़ीर की बात को अनसुना कर दिया, कुछ दिनों के बाद बादशाह की मां का इन्तेक़ाल हो गया और वज़ीर यही बोला कि "अल्लाह जो करता है अच्छा करता है" अबकी बादशाह को बड़ा गुस्सा आया मगर कुछ ना कहा, अचानक एक दिन किसी काम को करते हुए बादशाह की एक ऊंगली कटकर गिर गई बादशाह दर्द से तड़प उठा मगर जैसा कि वज़ीर का मामूल था उसकी ज़बान से यही निकला कि "अल्लाह जो करता है अच्छा करता है" अब बादशाह से ज़ब्त ना हो सका और उसने सिपाहियों को हुक्म दिया कि वज़ीर को काल कोठरी में डाल दे और रोज़ाना कोड़े लगाये जाएं, सिपाही वज़ीर को ले जाने लगे तब भी वज़ीर यही बोला कि "अल्लाह जो करता है अच्छा करता है" खैर 6 महीने गुज़र गए ज़ख्म तो भर ही गया मगर ऊंगली तो कट ही चुकी थी, फिर एक दिन बादशाह कहीं शिकार को गया उसके सिपाही साथ ही थे मगर शिकार के पीछे ऐसा घोड़ा दौड़ाया कि सिपाही कहां छूट गए पता ही नहीं चला, बादशाह जंगल में कहीं गुम हो गए और जहां पहुंचे वहां आदि-वासियों का डेरा था उन्हें पकड़ लिया गया, अब ये चिल्ला रहे हैं कि मैं बादशाह हूं मगर सुने कौन, उनके यहां बलि देने का भी कानून था सो इनको नहलाया धुलाया गया और बलि देने के लिए हाज़िर किया गया, मगर जैसे ही इन्हें लिटाया गया और गर्दन काटने वाले की नज़र बादशाह की कटी ऊंगली पर गयी तो वो चिल्लाने लगा और अपने सरदार से बादशाह की कटी हुई ऊंगली दिखाई, सरदार ने बादशाह को छोड़ दिया, ये गिरते पड़ते दरबार पहुंचे समझ तो गए थे कि कटी ऊंगली की वजह से ही बचे हैं, फौरन वज़ीर को जेल से निकलवाया गया, वज़ीर से बादशाह ने कहा कि इतना तो मेरी समझ में आ गया कि उस दिन अगर मेरी उंगली ना कटती तो आज गर्दन ना बचती ये मेरे लिए अच्छा हुआ मगर तुम पिछले 6 महीने से जेल में हो तुम्हारे हक़ में कैसे अच्छा हुआ तो वज़ीर ने जवाब दिया कि हुज़ूर मैं आपका खास था आपके हर काम में साथ देता था तो अगर मैं भी आपके साथ शिकार पर गया होता तो कटी हुई ऊंगली की वजह से आप तो बच जाते मगर मेरी गर्दन तो मारी जाती इसी लिए अल्लाह ने पहले ही मुझे सज़ा के तौर पर आपसे जुदा करवा दिया था, ये सुनकर बादशाह को भी उसकी बात पर यक़ीन आ गया कि "अल्लाह जो करता है अच्छा करता है"_*

*_अलहासिल कहना ये है कि मौला ने जो भी पैदा फरमाया है सब ही हिक़मत के तहत है और उसका कोई भी काम हिक़मत से खाली नहीं होता, लिहाज़ा बन्दे पर जो भी गुज़रे उसे हर हाल में अपने रब का शुक्र और सब्र ही करना चाहिए कि "अल्लाह जो करता है अच्छा करता है"_*
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