Wednesday, September 26, 2018



                          _*दुरूदे पाक*_
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*_1.  जो कोई एक बार दुरूदे पाक पढ़ता है तो उसके दुरूद से एक परिंदा पैदा होता है जिसके 70000 बाज़ू हैं हर बाज़ू में 70000 पर हैं हर पर में 70000 चेहरे हैं हर चेहरे में 70000 मुहं हैं हर मुहं में 70000 ज़बान है और वो हर ज़बान से 70000 बोलियों में रब की तस्बीह पढ़ता है और इन तमाम तस्बीहों का सवाब उस पढ़ने वाले के नामये आमाल में लिखा जाता है_*

_*📕 नूर से ज़हूर तक, सफह 15*_

_*सल्लललाहो तआला अलैही वसल्लम*_

 *_जो नबी पर एक बार दुरूद शरीफ पढ़े तो मौला तआला उस पर 10 रहमते नाज़िल फरमायेगा उसके 10 गुनाह मिटा देगा और उसके 10 दर्जे बुलन्द करेगा और दूसरी रिवायत में है कि मौला और उसके फरिश्ते उस पर 70 मर्तबा दुरूद पढ़ते हैं_*

_*📕 बहारे शरीयत, हिस्सा 3, सफह 76*_

_*सल्लललाहो तआला अलैही वसल्लम*_

*_जो रोज़ाना 100 बार नबी करीम सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम पर दुरूदे पाक पढ़े और शहादत की तमन्ना रखे तो वह शहीद मरेगा_*

_*📕 बहारे शरीयत, हिस्सा 4, सफह 174*_

_*सल्लललाहो तआला अलैही वसल्लम*_

*_जो कोई दिन भर में 1000 बार दुरूद शरीफ पढ़ेगा तो वो उस वक़्त तक नहीं मरेगा जब तक की अपनी जगह जन्नत में ना देख ले_*

_*📕 खज़ीनये दुरूद शरीफ, सफह 14*_

_*सल्लललाहो तआला अलैही वसल्लम*_

 *_जब भी जहां भी और जितनी बार भी नबी करीम सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम का नाम मुबारक आये तो हर बार आप पर दुरूदे पाक पढ़ना बाज़ उल्मा के नज़दीक वाजिब है और ऐसा ना करने वालों पर सख्त वईदें आई है_*

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफह 21*_

_*सल्लललाहो तआला अलैही वसल्लम*_

*_हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि जिसने रमज़ान पाया और अपनी बख्शिश ना करा सका वो हलाक हुआ जिसने अपने वालिदैन को पाया और उनकी खिदमत करके अपनी बख्शिश ना करा सका वो हलाक हुआ और जिसके पास मेरा ज़िक्र हुआ और उसने मुझपर दुरूद ना पढ़ा वो हलाक हुआ_*

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 97*_

_*सल्लललाहो तआला अलैही वसल्लम*_

 *_बाज़ लोग हिंदी में नामे अक़्दस के आगे बजाये सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम लिखने के सिर्फ सल्ल. लिखते हैं या अंग्रेजी में S.A.W. और उर्दू में ص ل ع م लिख देते हैं ऐसा करना सख्त नाजायज़ो हराम है_*

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफह 21*_

_*सल्लललाहो तआला अलैही वसल्लम*_

 *_हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि जिसने मेरे नाम के साथ दुरूदे पाक लिखा तो जब तक वो वहां लिखा रहेगा फरिश्ते उसके लिए मग़फिरत की दुआ करते रहेंगे और उसका सवाब जारी रहेगा_*

_*📕 कुर्बे मुस्तफा, सफह 79-80*_

_*सल्लललाहो तआला अलैही वसल्लम*_

*_जिसने दुआ के अव्वल और आखिर में दुरूद शरीफ पढ़ा तो उसकी दुआ रद्द नहीं की जाती_*

_*📕 क़ुर्बे मुस्तफा, सफह 75*_

_*सल्लललाहो तआला अलैही वसल्लम*_

 *_जिसने दुरूदे पाक को ही अपना वज़ीफा बना लिया तो ये उसकी दुनिया और आखिरत के लिए तन्हा काफी है और उसको दूसरे किसी वज़ीफे की जरूरत नहीं है_*

_*📕 बहारे शरीयत, हिस्सा 3, सफह 77*_

_*सल्लललाहो तआला अलैही वसल्लम*_

_*हदीसे पाक में आता है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता*_

_*📕 क़ुर्बे मुस्तफा, सफह 100*_
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