_*खालिद की टोपी*_
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_*🔘 हजरत खालिद बिन वलीद रजी अल्लाहो अन्ह जो अल्लाह की तलवारों में से एक तलवार थे आप जिस मैदाने जंग तशरीफ ले जाते अपनी टोपी को जरूर सर पर रख कर जाते और हमेशा फतेह ही पाकर लौटते कभी शिकस्त का मुँह ना देखते.! एक मर्तबा जंगे यरमूक में जब के मैदाने जंग गर्म हो रहा था हजरत खालिद की टोपी गुम हो गई। आपने लड़ना छोड़ कर टोपी की तलाश शुरू कर दी।*_
_*लोगों ने जब देखा के तीर और पत्थर बरस रहे है।तलवार और नेजेह अपना काम कर रहे है।मौत सामने है और उस आलम मे खालिद को अपनी टोपी की पड़ी हुई है और वो भी उसी को ढूँढने मे मसरूफ हो गए है तो उन्होंने हजरत खालिद से कहा -जनाब टोपी का खयाल छोड़िये और लड़ना शुरू किजिए।*_
_*हजरत खालिद ने उनकी उस बात की परवाह ना की और टोपी की बदस्तूर तलाश शुरू रखी आखिर टोपी उनको मिल गई तो उन्होंने खुश होकर कहा *भाईयो ! जानते हो मुझे ये टोपी क्यों इतनी अजिज हैं ..?*_
_*जान लो के मैंने आज तक जो जंग भी जिती इसी टोपी के तुफैल।मेरा क्या है सब इसी की बरकत है।मैं इसके बगैर कुछ भी नहीं और अगर ये मेरे सर पर हो तो फिर दुश्मन मेरे सामने कुछ भी नहीं। लोगों ने कहा आखिर इस टोपी की क्या खूबी हैं..?*_
_*तो फरमाया- ये देखो इसमें क्या है! ये हुजूर सरवरे आलम सल-लल्लाहो तआला अलेह व सल्लम के सर अनवर के बाल मुबारक है जो मैंने इसी मे सी रखे है।*_
_*हुजूर एक मर्तबा उमरह बजा लाने को बैअत-उल्लाह शरीफ तशरीफ ले गए।और सर मुबारक के उतरवाऐ तो उस वक्त हम में से हर एक शख्स बाल मुबारक लेने की कोशिश कर रहा था।और हर एक दूसरे पर गिरता था।तो मैंने भी इसी कोशिश में आगे बढ़ कर चन्द बाल मुबारक हासिल कर लिए थे और फिर इस टोपी में सी लिए। ये टोपी अब मेरे लिए जुमला बर्कात व फतूहात का जरिया है।मै इसी के सदके मे हर मैदान का फातहे बनकर लौटता हूँ।फिर बताओ ! ये टोपी अगर ना मिलती तो मुझे चैन कैसे आता..?*_
_*📝सबक- हुजूर सरवरे आलम सल-लल्लाहो तआला अलेह व सल्लम ही जुमला बर्कात व इनामत का जरिया है और आपका बाल बाल शरीफ बर्कत व रहमत हैं और ये भी मालूम हुआ के सहाबा इकराम अलेहिम अर्रिजवान हुजूर सल-लल्लाहो तआला अलेह व सल्लम से मुतअल्लिक अशिया को बतौर तबर्रूक अपने पास रखते थे और जिसके पास आपका बाल मुबारक भी होता अल्लाह तआला उसे कामयाबियों से सरफराज फरमाता था।*_
_*📕 हुज्जत-उल्लाह अलल आलमीन सफा-202*_
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