*_हज़रत नूह अलैहिस्सलाम हिस्सा- 2_*
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*_तूफान की शुरुआत 1 रजब को हुई और 10 रजब को कश्ती पानी में तैरने लगी और पूरे 6 महीने ज़मीन का गर्दिश करने के बाद 10 मुहर्रम को जूदी पहाड़ पर जाकर रुकी, पूरी ज़मीन पर इस क़दर पानी जमा हो गया था कि ज़मीन के सबसे ऊंचे पहाड़ से भी 30 हाथ ऊपर पानी था_*
_*📕 अलमलफूज़, हिस्सा 1, सफह 64*_
*_40 दिन तक लगातार ज़मीन से पानी निकलता रहा और आसमान से भी बरसता रहा_*
_*📕 खज़ायेनुल इरफान, सफह 270*_
*_पानी का हर कतरा जो आसमान से गिरता वो एक मशक के बराबर होता_*
_*📕 माअरेजुन नुबूवत, जिल्द 1, सफह 74*_
*_कश्ती में जानवरों में सबसे पहले सवार होने वाला तोता या मुर्गाबी है और सबसे आखिर में गधा, और इब्लीस लईन गधे की दुम पकड़कर ही कश्ती में सवार हुआ_*
_*📕 अलबिदाया वननिहाया, जिल्द 1, सफह 111*_
*_जब सांप और बिच्छु कश्ती में सवार होने लगे तो आपने मना फरमा दिया जिस पर वो अर्ज़ करते हैं कि हमें सवार कर लीजिये मगर जो शख्स "सलामुन अला नूहे फिल आलमीन" पढ़ेगा तो हम उसे नुक्सान नहीं पहुंचायेंगे_*
_*📕 नुज़हतुल मजालिस 3, सफह 50*_
*_कश्तिये नूह में कुछ जानवरों की पैदाईश बताई जाती है जो कि इस तरह है जब कश्ती में जानवरों ने गोबर वग़ैरह करना शुरू किया तो कश्ती बदबू से भर गयी लोगों ने हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की बारगाह में शिकायत की तो मौला ने फरमाया कि हाथी की दुम हिलाओ जब आपने ऐसा किया तो 2 सुअर नर और मादा बरामद हुए और नजासत खाने लगे, इब्लीस को मौक़ा मिला और उसने सुअर के पेशानी पर हाथ फेरा तो 2 चुहे नर व मादा पैदा हुए जिन्होंने कश्ती को कुतरना शुरू कर दिया, जब हज़रत नूह अलैहिस्सलाम ने देखा तो खुदा की बारगाह में अर्ज़ किया तो मौला फरमाता है कि तुम शेर की पेशानी पर अपना हाथ फेरो जब उन्होंने ऐसा किया तो शेर को छींक आई और बिल्ली का जोड़ा निकला जिससे कि चूहे दुबक कर बैठ गये_*
_*📕 माअरेजुन नुबूवत, जिल्द 1, सफह 75*_
_*📕 तफसीर इबने कसीर, पारा 12, रुकू 4*_
_*📕 अजायबुल हैवानात, सफह 20*_
_*📕 तफसीर इबने कसीर, पारा 12, रुकू 4*_
_*📕 अजायबुल हैवानात, सफह 20*_
*_जब कश्ती में तमाम जानवरों के साथ शेर सवार हुआ तो सारे जानवर दहशत में आ गए तो मौला ने शेर को बुखार में जकड़ दिया, ये पहला जानवर है जो बीमार हुआ_*
_*📕 अलबिदाया वननिहाया, जिल्द 1, सफह 111*_
*_जब हज़रत आदम अलैहिस्सलाम जन्नत से तशरीफ लाये थे तो दुनिया में दो ही जानवर थे पानी में मछली और खुश्की में टिड्डी, बाकी सारे जानवर दुनिया में ही ज़रूरत के हिसाब से पैदा होते रहे_*
_*📕 हयातुल हैवान, सफह 478*_
*_तूफाने नूह के बाद सबसे पहले जो शहर बसाया गया उसका नाम "सौकुस समानीन" रखा गया ये जब्ले निहावंद के क़रीब है_*
_*📕 अलमलफूज़, हिस्सा 1, सफह 65*_
*_तूफाने नूह के बाद सबसे पहले ज़ैतून का दरख्त उगा_*
_*📕 जलालैन, हाशिया 6, सफह 299*_
*_कश्ती से उतरने के बाद लोग 80 ज़बानों में बात करने लगे इसलिए इसको बाबुल यानि इख्तिलाफ की जगह कहा गया_*
_*📕 तफसीरे नईमी, जिल्द 1, सफह 682*_
*_आशूरा के दिन जो खिचड़ा पकाया जाता है और उसकी निस्बत शुहदाये कर्बला की तरफ करते हैं ये गलत है बल्कि हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की कश्ती जब जूदी पहाड़ पर आकर रुकी तो वो दिन दसवीं मुहर्रम का ही था, आपने तमाम लोगों से खाने पीने की चीज़ को इकठ्ठा करने को कहा तो उसमें मटर, गेंहू, जौ, मसूर, चना, चांवल और प्याज़ ये 7 अशिया ही पायी गई,तो आपने उन सबको इकठ्ठा करके एक ही हांडी में पकाया और उसको "तिब्यखुल हुबूब" का नाम दिया जो आज खिचड़े के नाम से जाना जाता है_*
_*📕 फातिहा का सुबूत, सफह 12*_
*_तूफाने नूह में आपका एक काफिर बेटा और काफिरा बीवी भी हलाक हुई, ख्याल रहे कि कुफ्र काफिरों की नज़र में ऐब नहीं समझा जाता वो इसे अपना मज़हब जानते हैं मगर ज़िना या इस तरह के और भी बुरे काम हर मज़हब में बुरे व ऐब समझे जाते हैं तो अम्बिया इकराम की बीवियां ज़िना जैसे ऐबों से पाक हैं मगर कुफ्र पाया जा सकता है, अब कुछ को ईमान नसीब होता है जैसे कि हज़रत यूसुफ अलैहिस्सलाम की बीवी हज़रते ज़ुलेखा और हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम की बीवी हज़रते बिलक़ीस को ईमान नसीब हुआ और कुछ को ईमान नहीं मिलता जैसा कि यहीं आपने पढ़ा और हज़रत लूत अलैहिस्सलाम की बीवी भी कुफ्र पर मरी, यहां ये भी ख्याल रहे कि एक ही अज़ाब किसी पर सजा होता है तो किसी पर नहीं मतलब ये कि तूफाने नूह में सिर्फ वही लोग बचें जो कि कश्ती में सवार थे और बहुत सारे इंसान और जानवर हलाक हो गए मगर ये हलाकत इंसानों के लिए अज़ाब थी और जानवरों के लिए नहीं, जैसे कि जहन्नम में बहुत सारे सांप बिच्छु और फरिश्ते अज़ाब देने के लिए होंगे मगर खुद उनको कोई तकलीफ ना होगी_*
_*📕 तज़किरातुल अम्बिया, सफह 76*_
*_आपकी उम्र 1600 साल हुई और तमाम नस्ले इंसानी आपके ही बेटों से चली बाकी जो भी मुसलमान बचे थे उनमें से किसी की भी नस्ल आगे ना बढ़ी_*
_*📕 अलमलफूज़, हिस्सा 1, सफह 65*_
*_आपकी क़ब्र मस्जिदे हराम में है और यही राजेह है_*
_*📕 अलबिदाया वननिहाया, जिल्द 1, सफह 120*_
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