_*काफिरों से दोस्ती*_
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_*मौला तआला क़ुर्आन में इरशाद फरमाता है कि*_
_*ऐ ईमान वालो मेरे और अपने दुश्मनों को दोस्त ना बनाओ*_
_*📕 पारा 28, सूरह मुमतहिना, आयत 1*_
_*दूसरी जगह इरशाद फरमाता है कि*_
_*ऐ ईमान वालो अपने बाप और अपने भाइयों को दोस्त ना रखो अगर वो ईमान पर कुफ्र पसंद करें और फिर जो तुममें से उनसे दोस्ती रखेगा तो वही लोग सितमगर हैं*_
_*📕 पारा 10, सूरह तौबा, आयत 23*_
_*और इरशाद फरमाता है कि*_
_*और जो तुममें से उनसे दोस्ती करेगा तो बेशक वो उन्हीं में से है बेशक अल्लाह हिदायत नहीं देता ज़ालिमों को*_
_*📕 पारा 6, सूरह मायदा, आयत 51*_
_*आज ये नहूसत बहुत आम है,कोई वहाबी से दोस्ती करे है तो कोई हिन्दुओं से, कोई किसी का त्यौहार मनाता नज़र आता है तो कोई किसी का, इस्लाम तो बस नाम में ही सिमटकर रह गया है, मुसलमानो सा नाम रख लिया कभी कभार कुर्ता पैजामा पहन लिया कभी हफ्ते या महीने में एक आध बार जुमा पढ़ आये कभी टोपी लगा लिया बस हो गए मुसलमान, शायद मुसलमानो ने इसी को ईमान समझ लिया है अब चाहे जो करो चाहे जिससे दोस्ती करो जिसके यहां चाहो रिश्तेदारी करो किसी के यहां भी खा पी लो किसी का भी जनाज़ा पढ़ लो किसी की भी मय्यत में चले जाओ, कौन सा फर्क पड़ता है आखिर हम तो मुसलमान हैं तो ऐसे लोग मौला का ये फरमान भी पढ़ लें, फरमाता है*_
_*क्या लोग इस घमंड में हैं कि इतना कह लेने पर छोड़ दिए जायेंगे कि हम मुसलमान हैं और उनकी आज़माइश ना होगी*_
_*📕 पारा 20, सूरह अनक़बूत, आयत 2*_
_*कुछ जाहिल लोग हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम की इस हदीस को अपने जन्नती होने के लिए सनद बनाते हैं, जिसमे मेरे आक़ा फरमाते हैं कि*_
_*जिसने ला इलाहा इल्लललाह कह लिया वो जन्नत में जायेगा*_
_*📕 तिर्मिज़ी, जिल्द 2, सफह 92*_
_*जुब्बा दाढ़ी टोपी को ईमान समझने वालो और ऐसो को मुसलमान जानकर दोस्ती करने वालो सिर्फ ज़बान से कल्मा पढ़ना अगर मुसलमान होने की दलील होती तो मौला ऐसे नाम निहाद मुसलमानो पर कुफ्र का फतवा ना देता, फरमाता है*_
_*खुदा की कसम खाते हैं कि उन्होंने नबी की शान में गुस्ताखी नहीं की अलबत्ता वो ये कुफ्र का बोल बोले और मुसलमान होकर काफिर हो गए*_
_*📕 पारा 10, सूरह तौबा, आयत 74*_
_*शाने नुज़ूल-कुछ मुनाफिक़ आपस में हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम की माज़ अल्लाह बुराई किया करते थे, एक दिन जब उनमें से एक हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम के सामने से गुज़रा तो आपने उसे बुलाया और पूछा कि क्या बात है जो तुम हमारी बुराई करते हो, इस पर वो कसमें खाने लगा कि मैंने तो ऐसा कुछ नहीं कहा इस पर ये आयत उतरी और खुद मौला गवाही दे रहा है कि ज़रूर इसने तुम्हारी शान में बकवास की और ये काफिर हो गया*_
_*📕 खसाएसुल कुबरा, जिल्द 2, सफह 224*_
_*करोड़ों बार कल्मा पढ़े सैकड़ों साल सज्दा करे लाखों नमाज़ रोज़े हज कर डाले लेकिन अगर हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम की शान में बाल बराबर भी गुस्ताखी की तो उसका कल्मा उसकी नमाज़ उसके रोज़े उसके हज उसके सारे आमाल उसके मुंह पर मारकर उसको हमेशा के लिए जहन्नम में डाल दिया जायेगा जहां से वो कभी बाहर नहीं निकलेगा, ऐसा मैं नहीं कह रहा बल्कि खुद मौला फरमाता है*_
_*वो जो रसूल अल्लाह को ईज़ा देते हैं उनके लिए दर्दनाक अज़ाब है*_
_*📕 पारा 10, सूरह तौबा, आयत 61*_
_*बेशक अल्लाह काफिरों और मुनाफिकों को जहन्नम में इकट्ठा करेगा*_
_*📕 पारा 5, सूरह निसा, आयत 140*_
_*अब मुसलमान खुद सोच ले कि वहाबी देवबंदी क़ादियानी खारजी राफजी अहले हदीस जमाते इस्लामी और जितने भी बदमज़हब फिरके हैं और जितने भी काफिर हैं उनसे क़तअ ताल्लुक़ करके जन्नत की सैर करना चाहेंगे या फिर उनसे दोस्ती रिश्तेदारी निभाकर जहन्नम का ईंधन बनना चाहेंगे, फैसला खुद कर लें*_
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