Wednesday, September 26, 2018



           _*वलियों के गुस्ताखों का बयान*_
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_*जो वहाबी, देवबंदी हजरात वलियों की शान में गुस्ताखी करते है, उनको बुरा भला कहते है, उनके लिए खास पेशकश उन्ही के उलेमा की किताब से वलियों का मर्तबा बता रहा हु !*_

_*देवबंदी जालीम मौलाना अशरफ अली थानवी साहब, जिनको देवबंदी हजरात हकीमूल उम्मत पीर कहते है ! वो अपनी किताब जिसका नाम है " 📒इफादाते योमिया " में कुछ इस तरह लिखते है..!*_

_*मगरिब की नमाज़ के बाद थानवी साहब रोज़ अपने मुरीदों को दर्स दिया करते थे ! एक दिन थानवी साहब ने अपने मुरीदों से कहा कि " मुझसे मुज्जफर साहब क़िबला रहमतुल्लाहि अलैहि ने कहा है इसलिए मैं भी यकींन करता हूं और आप भी यकीन करो !*_

_*सरकार ए गौसे आज़म के धोबी का इंतेक़ाल हुआ और जब उसको कब्र में दफनाया गया तो मुनकर, नकीर (कब्र में सवाल पूछने वाले फ़रिश्ते) ने कब्र में सवाल किया कि,*_

_*तेरा रब कौन है ? धोबी ने कहा मैं कुछ नही जानता मैं तो गौसे आज़म का धोबि हु.!*_

_*दूसरा सवाल पूछा गया कि तेरा दीन क्या है.? धोबी ने फिर कहा कि मैं कुछ नही जानता मैं तो गौसे आज़म का धोबी हु.!*_

_*तीसरा सवाल जब पूछा गया तो धोबी जलाल (गुस्से) में आ गया और कहा क्यों बार बार पूछ रहे हो मुजसे मैं कुछ नही जानता हु मैं सरकार ए गौसे आज़म का धोबी हु.! उनके कपडे अच्छी तरह धोता था, साफ़ पानी में धोता था और साफ़ जगह सुखा कर गौसे आज़म के सामने पेश करता था ! फ़रिश्ते जाने लगे धोबी बड़ा खुश हुआ धोबी समझा फ़रिश्ते डर के जाने लगे, क्यों की दरअसल आगे सवाल ही नही था.!*_

_*फ़रिश्ते चले गए और अल्लाह से कहा या मौला ये क्या मामला है ये तो जवाब में सिर्फ इतना कहता है कि मैं गौसे आज़म का धोबी हु, इसके साथ क्या मामला पेश करे.?*_

_*अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने फ़रमाया फरिश्तो ये हमको नही पहचानता तो क्या हुआ हमारे गौस को तो पहचानता है ! इसको छोड़ दो इसका ऊषर गौस के साथ कर दो, जिधर गौस जाएगा उधर उनका धोबी भी जाएगा !*_

_*📕 इफादाते योमिया, साफ न 147*_

_*📝 नोट - ये वाकिया सही है सुन्नी उलेमाओ ने भी इसे सही माना है , सरकार ए गौसे आज़म की किताब " सीरत ए गौसे आज़म " में भी देख सकते हो !*_

_*अब मुझे बताओ वहाबी, देवबंदियों हम तो कबर के ऊपर का हाल बताते है, आप के उलेमा तो कबर के अंदर का मंजर बता रहे है ! फिर आप लोग क्यों ऐतराज़ करते हो वलियों पर.? क्यों ताना कसते हो वलियों पर.? तुम्हारे अब्बा तो बड़ी तारीफ कर रहे है, और तुम क्यों जिहालत दिखा रहे हो.? अपने घर की किताबें क्यों नही पढ़ते.?*_

_*देखो हदीस क्या कहती है,*_

_*अल्लाह का इरशाद है 👇🏻*_

_*जिस किसी ने मेरे दोस्त यानि की वली से जरा सी भी अदावत की उसने मुझसे ऐलान ए जंग किया ! अल्लाह इन मुत्तक़ी और परहेजगार लोगो को अपना मेहबूब रखता है !*_

_*📕 सुननं इब्ने माज़ा, हदीस न 3989*_
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