_*पर्दा और बदनज़री.*_
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_*हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि आंख भी ज़िना करती है तो जो शख्स अपनी नज़र को काबू में नहीं रख पाता तो उसे चाहिये कि निकाह करे और अगर इसकी इस्तेताअत ना रखता हो तो रोज़ा रखे कि रोज़ा शहवत को तोड़ देता है,*_
_📕 *कीमियाये सआदत, सफह 497*_
_*औरतों के लिए ऐसा लिबास जिससे कि उनके जिस्म की हैबत व रंगत समझ में आये पहनना हराम है और ऐसे लिबास को हदीसे पाक में नंगा लिबास फरमाया गया है*_
_📕 *इस्लाम में पर्दा, सफह 9*_
_*औरत का घर के सहन में नमाज़ पढ़ने से बेहतर है कि दालान में नमाज़ पढ़े और दालान में नमाज़ पढ़ने से बेहतर है कि कमरे में नमाज़ पढ़े और कमरे में नमाज़ पढ़ने से बेहतर है कि तहखाने में नमाज़ पढ़े,*_
_📕 *अलमलफूज़, हिस्सा 3, सफह 27*_
_*एक मर्तबा हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम ने अपनी महफिल में सहाबये किराम से सवाल किया कि औरत के लिए सबसे बेहतरीन चीज़ क्या है, सब खामोश रहे और किसी ने जवाब ना दिया तो मौला अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु उठे और अपने घर जाकर खातूने जन्नत हज़रते फातिमा ज़ुहरा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा से यही सवाल करते हैं तो आप फरमाती हैं कि एक औरत के लिए सबसे बेहतर ये है कि उसको कोई गैर मर्द ना देखे,मौला अली ये जवाब सुनकर बहुत खुश हुए और फिर यही जवाब वापस आकर हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम की बारगाह में पेश किया तो हुज़ूर भी खुश होकर फरमाते हैं कि फातिमा मेरा ही हिस्सा है,*_
_📕 *फतावा रज़वियह, जिल्द 9, सफह 28*_
_*औरत का अंधे से भी पर्दा करना वैसे ही वाजिब है जैसे कि आंख वाले से,*_
_📕 *फतावा रज़वियह, जिल्द 9, सफह 270*_
_*माज़ अल्लाह सुम्मा माज़ अल्लाह बाज़ औरतें गैर मर्दों से चूड़ियां पहनती मेंहदी लगवाती हैं ये हराम हराम हराम है,उसको हाथ दिखाना हराम उसके हाथ में हाथ देना हराम और घर के जो मर्द इस पर राज़ी हो तो वो दय्यूस है यानि औरतों का दलाल है,*_
_📕 *फतावा रज़वियह, जिल्द 9, सफह 208*_
_*हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि दुनिया शहद की तरह मीठी और हरी भरी है तो मौला सबको आज़मायेगा कि क्या अमल करते हो लिहाज़ा दुनिया से दूर रहो और औरतों से बचो कि बनी इस्राईल का पहला फितना औरतों से शुरू हुआ और फरमाते हैं कि मैंने अपने पीछे मर्दों के लिए औरत से बड़ा कोई फितना ना छोड़ा,*_
_📕 *मुस्लिम, जिल्द 2, सफह 353*_
_*हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि जब कोई गैर मर्द और औरत तन्हाई में मिलते हैं तो ज़रूर वहां तीसरा शैतान होता है सो जिन औरतों के शौहर ना हों तो उनके क़रीब ना जाओ कि शैतान तुम्हारी रगों में खून की तरह दौड़ता है,*_
_📕 *तिर्मिज़ी, जिल्द 1, सफह 140*_
_*पारसा औरतों का बाज़ारू औरतों से भी पर्दा करना वाजिब है क्योंकि वो उसका हुलिया ज़रूर ज़रूर मर्दों में बतायेंगी लिहाज़ा उनसे भी पर्दा करने का हुक्म है.!*_
_📕 *अबु दाऊद, सफह 292*_
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