Saturday, September 1, 2018



_*ईमान व अक़ीदे से ज़्यादा अमल को अहमियत देना*_
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*_हमारे काफी अवाम भाई किसी की ज़ाहिरी नेकी और अच्छाई यानि अच्छा काम देख कर उसकी तरीफ करने लगते हैं और उस से मुतअस्सिर हो जाते हैं जब्किह इस्लामी नुक़तऐ नज़र से कोई भी नेकी उस वकत तक क़ुबूल नहीं जब तक कि उसका ईमान व अक़ीदा दुरूस्त ना हो_*

_*📕 गलत फहमियां और उनकी इस्लाह सफह 20*_

*_हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैही वसल्लम ने जब एैलाने नुबुव्वत फरमाया था तो पहले नमाज़ व ज़कात रोज़ा व ह़ज्ज  का हुक्म नहीं दिया था बल्किह ये फरमाया था कि अल्लाह को एक मानों बुतों की पूजा उसकी इबादत से बाज़ आवो और मुझ को अल्लाह का रसूल मानों आज भी जब किसी काफिर को मुसलमान करते हैं तो सबसे पहले उसको नमाज़  रोज़े का हुक्म नहीं देते अच्छाईयां करने और बुराईयां छोडने का हुक्म नहीं दिया जाता बल्किह पहले कल्मा पढ़ा कर मुसलमान किया जाता है फिर बाद में अच्छाई बुराई और अहकामे इस्लाम से आगाह किया जाता है_*

_*📕 गलत फहमियां और उनकी इस्लाह सफह 20*_

*_ह़दीस:- हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैही वसल्लम ने फरमाया कि अगर कोई शख्स उह़द पहाड के बराबर भी सोना राहे खुदा में खर्च करे खुदा ऐ तआला क़ुबूल नहीं फरमायेगा जब तक कि वह तक़दीर पर ईमान ना लाये_*

_*📕 मिशकात शरीफ सफह 23*_

_*इस ह़दीस सेे ये खूब अच्छी तरह मालूम हो गया कि जो इस्लाम के लिये ज़रूरी अक़ाएद ना रखता हो उसकी कोई नेकी, नेकी नहीं अल्लाह तआला फरमाता है*_

*_कन्ज़ल ईमान:- ये क़ुरआन हिदायत है मुत्तक़ीन (डर वलों) के लिये जो बगैर देखे ईमान लाये हैं,और नमाज़ अदा करते और हमारे दिये हुऐ माल मेंसे हमारी राह में खर्च करते हैं_*

_*📕 पारा 1, रूकू,1*_

*_इस आयते करीमा में भी अल्लाह तआला ने नमाज़ और राहे खुदा में खर्च करने से पहले ईमान क़ ज़िक्र फरमाया है- खुलासा ऐ है कि जिस शख्स का ईमान व अक़ीदा दुरूस्त ना हो या वह गैर इस्लामी ख्यालात व अक़ाऐद रखता हो उस से कभी मुतअस्सिर नहीं होना चाहिये ना उसकी तारीफ करना चाहिये चाहे जितना अच्छा काम करे क़ुरआन करीम में गैर इस्लामी अक़ाऐद रखने वालों की नेकियों और उनके कारनामों को बेकार व फुज़ूल फरमाया गया है और उसकी मिसाल उस गर्दो गुबार से दी गई है जो किसी चट्टान पर लग जाती है फिर उसे बारिश धोकर बहा देती है और उसका नाम व निशान तक बाक़ी नहीं रहता_*

*_कुछ हमारे भाई बद अक़ीदों की बडी तरीफ करते कि वह रोज़ा नमाज़ बहुत करते हैं वह तो मुझ से अच्छे हैं वह लोगों को रोज़ा नमाज़ की तरफ बुलाते मदर्सा मस्जिद बनवाते हैं नेक काम बहुत करते वह मुझ से अच्छे हैं और उन से मुतअस्सिर हो कर उनसे मेल जोल रखते सलाम कलाम करते वह लोग भी सुन लें कि जिसका अक़ीदा दुरूस्त नहीं वह कोई भी नेकी करे रबकी बारगाह में क़ुबूल नहीं उहद पहाड के बराबर सोना खैरात करदें फिर भी रब क़ुबूल नहीं फरमायेगा जब तक कि पहले वह ईमान व अक़ीदा दुरूस्त ना कर ले_*

_*📕 मिशकात शरीफ सफह 23*_

*_ह़दीस:- बद मज़हबों से दूर रहो और उन्हें अपने से दूर रखो कहीं एैसा ना हो कि वह तम्हें गुमराह करदें और फितना में मुब्तिला करदें_*

_*📕 मुस्लिम शरीफ जिल्द 1 सफह 10*_
_*📕 फतावा फिक्ह मिल्लत जिल्द 2 सफह 170*_

*_किसी भी बद मज़हब से कोई तआउन लेना जायज़ नहीं कि उनसे किसी तरह का तअल्लुक़ दीन व ईमान के लिये ज़हर क़ातिल है_*

_*📕 फतावा फिक़्ह मिल्लत जिल्द 2 सफह 242*_
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