Sunday, October 7, 2018



            _*हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन*_
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*_आप की विलादत 5 शअबान 38 हिज्री मदीना मुनव्वरा में हुई, आपका नाम अली औसत बिन हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु है और ज़ैनुल आबेदीन के लक़ब से इस लिए मशहूर हुये क्योंकि आप बहुत ज़्यादा इबादत करते थे, आपने 10 साल अपने दादा सय्यदना मौला अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का सायये करम पाया 10 साल इमाम हसन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का और 11 साल अपने वालिद हज़रत इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का, आपकी वालिदा का नाम शहर बानो बिन्त यज़्दगर्द है_*

_*📕 मसालिकस सालेकीन, जिल्द 1, सफह 207*_

*_रिवायत में आता है कि दुनिया में 5 हज़रात बहुत ज़्यादा रोये हैं_*

*_1.हज़रत आदम अलैहिस्सलाम अपनी खता पर_*
*_2.हज़रत यअक़ूब अलैहिस्सलाम हज़रत यूसुफ अलैहिस्सलाम के बिछड़ने पर_*
*_3.हज़रत यहया अलैहिस्सलाम ख़ौफे इलाही से_*
*_4.हज़रते फातिमा ज़ुहरा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की वफात के बाद_*
*_5.हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु वाक़ियाये कर्बला के बाद_*

_*📕 तफसीरे नईमी, जिल्द 1, सफह 339*_

*_आप हर दिन 1000 रकात नफ्ल पढ़ा करते थे, एक रोज़ आप नमाज़ में मशगूल थे कि अचानक घर में आग लग गई मगर आप नमाज़ युंही खुशु व खुज़ु से पढ़ते रहे जब नमाज़ से फारिग़ हुए तो लोगों ने कहा कि हुज़ूर घर को आग लग गयी थी हम सब बुझाने की कोशिश कर रहे थे मगर आपने इसकी परवाह तक ना की, तो आप फरमाते हैं कि मैं भी आग ही बुझा रहा था मगर आखिरत की, सुब्हान अल्लाह,एक दिन आप रास्ते से जा रहे थे कि एक गुस्ताख ने आपको बुरा कहा तो आप फरमाते हैं कि अगर मैं ऐसा ही हूं जैसा कि तूने कहा तो खुदा मुझे माफ फरमाये ये सुनकर वो शर्मिंदा हुआ और माफी चाही तो आपने उसे माफ फरमा दिया_*

_*📕 रौज़ुर्रियाहीन, सफह 55*_

*_ये बात भी मशहूर है कि जब आप वुज़ू करके नमाज़ के लिए खड़े होते तो पसीना पसीना हो जाते और पूरा बदन पत्ते की तरह कांपता रहता और जैसे ही नमाज़ से फारिग़ होते तो सब कुछ ठीक हो जाता, जब लोगों ने इसका हाल पूछा तो आप फरमाते हैं कि नमाज़ में बन्दा अपने रब के हुज़ूर हाज़िर होता है बस यही सोचकर मैं उसकी बारगाह में हाज़िर होता हूं फिर मेरा हाल वही होता है जो तुम देखते हो_*

_*📕 अवारिफुल मआरिफ, सफह 475*_

*_दो लोग हज कर रहे थे जब वो हज्रे अस्वद पर पहुंचे और उसको छुआ तो उनका हाथ उससे चिपक गए बहुत कोशिश की गई मगर उनका हाथ वहां से ना हटा अचानक हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु हरम में दाखिल होते हैं जब आपको ये वाक़िया बताया गया तो आप पहुंचे और बिस्मिल्लाह शरीफ पढ़कर अपना हाथ हज्रे अस्वद पर रखा फौरन उनका हाथ उससे अलग हो गया_*

_*📕 खज़ीनतुल असफिया, जिल्द 1, सफह 34*_

*_एक मर्तबा आप जंगल से गुज़र रहे थे कि आपके पास एक हिरनी आई और उनसे कुछ कहा जब लोगों ने पूछा तो आपने फरमाया कि ये शिकायत करती है कि एक शिकारी ने इसके बच्चों को पकड़ रखा है, फिर आपने उस शिकारी को तलब किया और उसके बच्चों को छोड़ने के लिए कहा वो मान गया और हिरनी के बच्चों को आज़ाद कर दिया, कुछ सालों बाद जब वो बच्चे बड़े हो गए तो आपके पास आये और कुछ कहा फिर लोगों ने दरयाफ्त किया तो आप फरमाते हैं कि इसने मुझे दुआ दी "जज़ाक अल्लाहु फी दारैन ख़ैर"_*

*_आपकी 15 औलादे थीं 11 बेटे और 4 बेटियां, सबके नाम हस्बे ज़ैल हैं_*

_*1) हज़रत इमाम बाक़र रज़ियल्लाहु तआला अन्हु*_
_*2) हज़रत ज़ैद रज़ियल्लाहु तआला अन्हु*_
_*3) हज़रत इमरान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु*_
_*4) हज़रत अब्दुल्लाह रज़ियल्लाहु तआला अन्हु*_
_*5) हज़रत हसन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु*_
_*6) हज़रत हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु*_
_*7) हज़रत हुसैन असगर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु*_
_*8) हज़रत अब्दुर्रहमान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु*_
_*9) हज़रत सुलेमान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु*_
_*10) हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु*_
_*11) नहीं मअलूम*_
_*12) हज़रत खदीजा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा*_
_*13) हज़रत फातिमा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा*_
_*14) हज़रत आलिया रज़ियल्लाहु तआला अन्हा*_
_*15) हज़रत उम्मे कुलसुम रज़ियल्लाहु तआला अन्हा*_

*_आपका विसाल 18 मुहर्रम 57 या 58 साल की उम्र में 95 या 96 हिजरी में हुआ, आपके विसाल के बाद आपकी मज़ार पर एक ऊंटनी बैठी रही और रोती रही उसे वहां से हटाने की बहुत कोशिश की गयी मगर वो ना उठी, आपके साहबज़ादे हज़रत इमाम बाक़र रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि ये यहीं मरना चाहती है और बिल आखिर वहीं उसका इंतेकाल हुआ_*

_*📕 द चैन ऑफ लाइट,सफह 109-110*_
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