_*मदनी चैनल के सुपर स्टार*_
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_*जितनी जल्दी इस अत्तार ने अपना रंग बदला है शायद इतनी जल्दी तो गिरगिट भी अपना रंग नहीं बदलता*_
_*खैर टीवी के अज़ाब पर लिखते हैं*_
_*रमज़ानुल मुबारक की एक शाम माँ ने टीवी देखने में मशगूल अपनी बेटी से कहा की आज अफ्तार में मेहमान आने वाले हैं आओ मेरा हाथ बटाओ, उसने जवाब दिया कि अम्मी आज एक ख़ुसूसी प्रोग्राम ( जैसा कि दीदार-ए अत्तार ) आ रहा है मैं वो देख रही हूँ,माँ ने फिर हुक्म दिया मगर उसने सुनी अनसुनी कर दी, माँ की मुदाख़िलत से बचने के लिए वह ऊपर के कमरे में चली गई और अंदर से कुण्डी लगाकर टीवी देखने में मशगूल हो गई,इफ्तार के वक़्त माँ ने आवाज़ दी, मगर जवाब न मिला, ऊपर जाकर दस्तक दी, मगर जवाब नदारद, बिल आखिर दरवाज़ा तोडा गया, ये देखकर सबकी चीखें निकल गई की लड़की टीवी के सामने औंधे मुंह पड़ी है, जब देखा गया तो वह मर चुकी थी, घर में कोहराम मच गया, जब उसकी लाश को उठाने की कोशिश की गई तो मानो वो टनो वज़नी लाश है, इत्तेफाक से वहां से हटाने के लिए किसी ने टीवी उठाया तो लाश हलकी हो गई, अब जब टीवी उठाते तो लाश हलकी हो जाती और जब टीवी रख देते तो भारी, बहर हाल यूँ ही तझीज व तकफीन के मरहिल तै हुए, अब जनाज़ा उठाने लगे तो वह किसी सूरत से न उठा, आखिर कार एक साहब आगे टीवी लेकर चले तब जनाज़ा चला, नमाज़े जनाज़ा के बाद तदफ़ीन हुई तो लाश बाहर निकल पड़ी, लोग घबरा गए, फिर जुं तुं उतारा मगर वही हुआ, बिल आखिर जब टीवी कब्र में रखा तो लाश बाहर न निकली, लिहाज़ा टीवी को भी साथ में ही दफन कर दिया गया*_
_*📕 टीवी की तबाहकारियां, सफह 5*_
_*हद हो गई है जिहालत की अरे मदनी चैनल बनाने से पहले नबीये पाक सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम की हुरमते तसावीर वाली हदीस ना सही तो कम से कम अपनी लिखी हुई इबारत ही याद कर लेता ये दोगली पालिसी तो अब तक वहाबियों की थी तुमने कहाँ से सीख ली कहीं उनसे सांठ गांठ तो नहीं हो गई*_
_*शर्म करो अत्तारियों चुल्लू भर पानी में डूब मरो और अगर पानी न मिले तो बताओ हम लाकर देते हैं*_
_*और ये टीवी और अज़ाबे क़ब्र का मसला तुम्हारे बप्पा जी ने ही अपनी किताब में लिखा है अगर ये रिवायत गलत है तो तुम्हारे बप्पा जी एक नंबर के झूठे हैं*_
_*और अगर अगर अगर ये रिवायत सही है तो इसका अंजाम क्या होगा जानते हो*_
_*दिमाग पर जोर मत डालो फट जाएगा*_
_*क्यूंकि तुम लोगों के पास दिमाग की बड़ी शॉर्टेज है मैं बताता हूँ*_
_*अब तुम सबकी कब्र में भी टीवी रखनी पड़ेगी और अगर दुनिया के डर से नहीं रखोगे तो अज़ाब के फ़रिश्ते टीवी ले आएंगे और लाकर तुम मक्कारियों का सर उसी टीवी से लड़ा लड़ा के फोड़ेंगे और यही कहते जायेंगे*_
_*बोल टीवी को जायज़ कहेगा बोल टीवी को जायज़ कहेगा बोलता क्यों नहीं हरामखोर टीवी को जायज़ कहेगा..!*_
_*✒ ज़ेब न्यूज, इलाहाबाद (यू.पी.)*_
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