Thursday, October 25, 2018



             _*गुनाहों की माफ़ी का ज़रिया*_
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_*📚 हदीस शरीफ़:- हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:*_

_*जिसने इल्म हासिल किया तो ये हासिल करना उसके गुज़रे हुए गुनाहों का कफ़्फारा होगया,*_

_*हुज़ूर फ़क़ीह ए मिल्लत मुफ्ती जलाल‌उद्दीन अहमद अमजदी रज़ीअल्लाहु तआला अन्ह फ़रमाते हैं के इस हदीस शरीफ़ का ये मतलब हरगिज़ नहीं के तालिब ए इल्म जो गुनाह चाहे करे बल्के मतलब ये है के इल्म ए दीन हासिल करने से गुनाहे सग़ीरा माफ़ हो जाते हैं या ये मतलब है के अच्छी नियत से इल्म हासिल करना तौबा से उसके गुनाहों की माफ़ी का वसीला होगा,*_

_*📕 इल्म और उल्मा, सफ़ा 28*_

_*📚 हदीस शरीफ़:- हुज़ूर सैय्यद ए आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया*_

_*ख़ैर यानी इल्म की बातें सुनने से मौमिन कभी सैर नहीं होगा यहां तक के जन्नत में पहुंच जाएगा,*_

_*📕 मिश्कात शरीफ़, सफ़ा 34*_

_*📚 हदीस शरीफ़:- रसूल ए अकरम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया*_

_*जिसने इल्म ए दीन तलाश किया और उसे पा लिया तो उसके लिए सवाब का दोहरा (डबल) हिस्सा है और जिसने उसको नहीं पाया तो उसके लिए एक हिस्सा है,*_

_*📕 मिश्कात शरीफ़, सफ़ा 34*_

_*📚 हदीस शरीफ़:- हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:*_

_*ख़ुदा ए त‌आला ने मेरी तरफ वही फ़रमाई है के जो शख़्स इल्म की तलाश में किसी रास्ता पर चलेगा में उसके लिए जन्नत का रास्ता आसान कर दूंगा,*_

_*📕 मिश्कात शरीफ़, सफ़ा 36*_
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