_*इल्म ए दीन किस से हासिल करें*_
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_*🌹हज़रत इब्ने सीरीन रज़ीअल्लाहु तआला अन्ह ने फ़रमाया*_
_*ये (यानी क़ुरआन व हदीस का) इल्म ए दीन है तो देखलो के तुम अपना दीन किस से हासिल कर रहे हो*_
_*📕 मिश्कात शरीफ़, सफ़ा 37*_
_*हज़रत फ़क़ीह ए मिल्लत मुफ्ती जलालउद्दीन अहमद अमजदी रज़ीअल्लाहु तआला अन्ह फ़रमाते हैं:*_
_*यानी गुमराह बेदीन और दुनियां दार से क़ुरआन व हदीस का इल्म न हासिल करो के गुमराही, बेदीनी और दुनियां दारी पैदा होगी और किसी इजतिमा में बदमज़हब का वअज़ (तक़रीर) भी सुनने के लिए न जाओ के बदमज़हबी असर कर जाएगी इसलिए बदमज़हब (वहाबी देवबंदी अहले हदीस शिआ क़ादयानी वगैरह) की तक़रीर सुनने के लिए जाना हराम व नजाइज़ है,*_
_*📕 इल्म और उल्मा, सफ़ा 32*_
_*📚 हदीस शरीफ़:- हज़रत इब्ने उमर रज़ीअल्लाहु तआला अन्हुमा से रिवायत है*_
_*तालिब ए इल्म लोगों में सबसे ज़्यादा भूका है और उनमें जिसका पेट भरा है वो इल्म को तलाश नहीं करता,*_
_*📕 कन्ज़ुल उम्माल, जिल्द 10, सफ़ा 78*_
_*📚 हदीस शरीफ़:- हज़रत अबू ज़र और हज़रत अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहु तआला अन्हुमा से रिवायत है,👇🏻*_
_*जबके तालिब ए इल्म को मौत आजाए और वो तलब ए इल्म की हालत पर मरे तो वो शहीद है..!*_
_*📕 कन्ज़ुल उम्माल, जिल्द 10, सफ़ा 79*_
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