_*"नाम मुबारक का अदब"*_
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_*एक रोज़ मौलाना हसनैन रज़ा खाँ साहब बराय जवाब कुछ इस्तिफ़्ते सुना रहे थे और जवाब लिख रहे थे ! एक कार्ड पर इस्मे जलालत लिख गया, उस पर आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा बरैलवी ने इरशाद फरमाया..*_
_*💫याद रखो कि मैं कभी तीन चीज़ें कार्ड पर नहीं लिखता*_
_*🔖इस्मे जलालतुल्लाह...*_
_*🔖और मुहम्मद और अहमद...*_
_*🔖और न कोई आयते करीमा...*_
_*मसलन अगर रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम लिखना हो तो यूं लिखता हूँ, हुज़ूर अक़्दस अलैहि अफ़्ज़लुस्सलातु वस्सलाम या इस्मे जलालत की जगह मौला तआला !*_
_*📕 अल-मल्फूज़ अव्वल, सफ़ा 115*_
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