Monday, October 15, 2018



                   _*उबासी और शैत़ान*_
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_*नमाज़ में जानबूझ कर जमाही (उबासी) लेना मकरूहे तह़रीमी हैं और खुद ब खुद आए तो हरज नही मगर रोकना मुस्तह़ब हैं!*_

_*अगर (जमाही) रोके से न रुके तो होंठ को दांतों से दबाए और इस पर भी न रुके तो दाहिनां या बायां हाथ मुंह पर रख दे या आस्तीन से मुंह छुपा ले!*_

_*क़ियाम में दाहिने हाथ से ढ़ाकें और दुसरे मौके पर बाएं हाथ से!*_

_*📕 मराक़िल फ़लाह़*_

_*अम्बियाए किराम अ़लैहिमुस्सलातो वस्सलाम जमाही से मह़फ़ूज़ हैं इसलिए कि इसमें शैत़ान का दख़्ल हैं!*_

_*🌹नबिय्ये करीम सल्लल्लाहो तआ़ला अ़लैहे वसल्लम ने फ़रमाया कि*_

_*"जमाही शैत़ान की त़रफ़ से हैं, जब तुम में किसी को जमाही आए तो जहां तक मुम्किन हो रोके"!*_

_*☝🏻इस ह़दीसे पाक को इमाम बुख़ारी व मुस्लिम ने सह़ीह़ैन में रिवायत किया!*_

_*कुछ रिवायतों में हैं कि शैत़ान मुंह में घुस जाता हैं!*_

_*कुछ रिवायतों में हैं कि शैत़ान देख कर हंसता हैं!*_

_*उ़लमाए किराम फ़रमाते हैं कि जो जमाही में मुंह खोल देता हैं शैत़ान उसके मुंह में थूक देता हैं और वो जो क़ाह क़ाह की आवाज़ आती हैं वह शैत़ान का क़हक़हा हैं जो मुंह बिगड़ा देखकर ठट्टा लगाता हैं और वो जो (मुंह से) रुतूबत निकलती हैं वो शैत़ान का थूक हैं!*_

_*इस (उबासी) को रोकने की बेहतर तरक़ीब ये हैं कि जब (जमाही) आती मालूम हो तो दिल में ख़याल करे कि अम्बियाए किराम अ़लैहिमुस्सलातो वस्सलाम इससे मह़फ़ूज़ हैं तो फ़ौरन (जमाही) रुक जाएगी!*_

_*📕 रद्दुल मुह़तार*_
_*📕 बहारे शरीअ़त, ह़िस्सा-3, सफ़ह़ा-219,220*_
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