Wednesday, December 26, 2018



     _*सरकार गौसे पाक का बयान (पार्ट- 02)*_
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_*📖सवाल- पीराने पीर ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि के मुरिदों को कौनसी बशारत मिली है?*_

_*✍🏻जवाब- हज़रत सुहैल बिन अब्दुल्लाह तुसतरी रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि से मनकूल है कि एक दिन सरकार ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि बग़दाद वालों की नज़र से ग़ायब हो ग‌ए जब लोगों ने तलाश किया तो आपको दरयाए दजला के किनारे पाया तो देखा कि मछलियां ब-कसरत आप की खिदमत में आती हैं और दसते मुबारक को बोसा देती है उसी असना में ज़ोहर का वक़्त हो गया एक मुसल्ला हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम के तख्त की तरह हवा में मुअल्लक हो कर बिछ गया और बहुत से नूरानी शक़्ल के लोग आये और मुहल्ले पर सफ़ में खड़े हो गए और सरकार बड़े पीर दस्तागीर रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि मुसल्ला पर आगे तशरीफ़ ले गए और नमाज़ पढ़ाई उस वक़्त अज़ीब व ग़रीब समां था जब हुज़ूर ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि तस्बीह पढ़ते तो सातों आसमान के फ़रिश्ते भी आप के साथ तस्बीह पढ़ते जब हुज़ूर ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि ने दोनों हाथों को दुआ के लिए बारगाहे रब्बुल आलमीन में उठाकर अर्ज किया ऐ अल्लाह में तेरी बारगाहे बेनियाजी में तेरे प्यार महबूब हज़रत मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम के वसीले से तालिब हूं और दुआ करता हूं कि तू मेरे मुरीदों को और मेरे मुरीदों के मुरीदों को सुबह क़यामत तक मौत न दे मगर पर यानी मेरे मुरीदों पर खातमा नसीब फरमा हज़रत सुहैल रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि फरमाते है कि हमने आपकी मुबारक दुआ पर फ़रिश्तों कि एक बहुत बड़ी जमाअत को आमीन कहते हुए सुना जब हुज़ूर ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि दुआ पुरी कर चुके तो हमने ग़ैब से एक निदा सुनी कि ऐ अब्दुल कादिर जीलानी मेरे महबूब सुबहानी तुमको बशारत हो खुशखबरी हो कि हमने आपकी दुआ क़ुबूल फ़रमा ली।*_

_*📕 तलख़ीस बहुजतुल असरार सफ़्हा 269*_

_*📖सवाल-हुज़ूर ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि और शैतान का वकिया क्या है?*_

_*✍🏻जवाब- आपके फ़रज़न्द श़ैख मूसा रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि का बयान है कि आपने अपनी सयाहत के दौरान एक मर्तबा किसी ऐसे जंगल में चले गये जहां पानी का नामो निशान तक न था क‌ई दिन आप पर प्यास का सख़्त ग़लबा रहा अचानक एक दिन आपके सरे मुबारक पर बादल का टुकड़ा आ गया और बारिश होने लगी जिससे आप खुब सैराब हो ग‌ए फिर उस बादल से एक रौशनी ज़ाहिर हुई उसने पुकार कर कहा ऐ अब्दुल कादिर में तुम्हारा रब हूं मैं ने तुमपर तमाम हराम चीज़ो को तुम पर हलाल कर दिया यह आवाज़ सुनकर मेरे प्यारे आका हुज़ूर ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि ने" अऊज़ु बिल्लाहि मिनश्शैतानिर्रजीम" पड़ा और फ़रमाया ऐ मरदूद तू दूर होजा और वह रौशनी गायब हो गई और वह सूरत धुएं की तरह फ़ैल गई फिर उससे आवाज़ आई ऐ अब्दुल कादिर आज तुम अपने इल्म कि खातिर मेरे फ़रेब से बच गये वर्ना इसके पहले इसी मैदान में 70 औलियाए तरीक़त को मैं ग़ुमराह कर के उन की विलायत को ग़ारत व बरबाद कर चुका हूं हुज़ूर ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि ने फ़रमाया ऐ शैतान मेरा इल्म भला क्या बचा सकता है जब तेरा इल्म तुझको नहीं बचा सका ऐ शैतान मरदूद खुब गौर से सुन ले मेरे इल्म ने नहीं बल्कि मेरे रब के फ़ज़्ल व करम ने मुझे तेरे शर से बचा लिया।*_

_*📕 क़लाइदुल जवाहिर सफ़्हा 20*_

_*तुझसे दर दर से संग और संग से है मुझको निसबत*_
_*मेरी गर्दन में भी है दुर का डोरा तेरा।*_

_*इस निशानी के जो संग है नहीं मारे जाते*_
_*हश्र तक मेरे गले में रहे पट्टा तेरा।*_

_*📮पोस्ट खत्म......*_
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