Monday, December 3, 2018



_*फैज़ाने सैय्यदना अमीरे मुआविया (पार्ट- 07)*_
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_*बहुत से लोग हमारी पोस्ट को पढ़कर ये सोचते होंगे कि हम लोगों ने ये हदीसें कहाँ से लाई है, और ये भी कि हमने तो कभी ये सब हदीसें किसी आलिम और मुफ्ती से भी नहीं सुनी और कुछ तो ऐसे भी होंगे जिनके दिमाग में ये दौड़ता होगा कि कहीं हमने ये सब हदीसें गढ़ तो नहीं दी?*_

_*👉🏻मैं ऐसे लोगों को जवाब देना चाहता हूँ कि जब तक आप लोग किताबों का मुताला नहीं करेंगे तब तक आपको ये सब फालतू बातें ही लगेंगी और हर बात आपको ज़रूरी नहीं है कि आलिम और मुफ्ती बतायेंगे बल्कि इल्मे दीन हर मुसलमान मर्द-औरत पर फर्ज़ है, हमें चाहिए कि हम जो अपना फालतू वक्त होटलों में, दुकानों में,  घरों में रहकर गुज़ारते है उसे हमें किसी आलिम के पास गुज़ारना चाहिए ताकि हम इल्मे दीन से करीब हो जाए और कोई आलिम आपके घर आकर आपको नही समझाएगा बल्कि आप में खुद इल्मे दीन सीखने उनके पास जाना होगा और जज़्बा होना चाहिए सीखने का न कि अपने मतलब के लिए हो।*_

_*📚 हदीस शरीफ :*_

*عن ابن عمر قال رسول الله صلى الله عليه وسلم إذا رأيتم الذين يسبون أصحابى فقولوا لعنة الله على شركم*

_*📝तर्जुमा: हज़रत इब्ने उमर कहते हैं कि अल्लाह के रसूल ﷺ ने फरमाया, "जब तुम उन लोगों को देखो जो मेरे सहाबा के बारे मे बुरा भला कह रहे हैं तो (उनसे) कहो तुम पर अल्लाह की लानत हो।"*_

_*📕  الجامع الترمذي،،، جلد-2،،، الصفحة- { 225}*_

_*❌तमाम दुश्मने सहाबा बिलखुसुस राफ्जी, गैर मुक़ल्लिदीन और अजमेर शरीफ के वो मुजावर जो सहाबा के गुस्ताख़ है उन सब पर अल्लाह की लानत हो।*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
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