_*बे-शुमार अल्लाह की रहमत*_
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_*बे-शुमार अल्लाह की रहमत नेक अमाल करने वालो पर*_
_*📚हदीस : हजरते अबु हुरैरा (रज़ीअल्लाहू तआ़ला अन्हु) से रिवायत है की, रसुलल्लाह! (सल्लल्लाहू तआ़ला अलैहि वसल्लम) ने फरमाया :*_
_*"जो किसी मुस्लमान की एक दिनी तकलिफ दुर करेगा अल्लाह तआला उसकी क्यामत की मुसीबतो मे से एक मुसीबत दुर करेगा, जो किसी मुस्लमान की पर्दा-पोशी करेगा अल्लाह तआला दुनिया और आखिरत मे उसकी पर्दा-पोशी फरमायेगा।*_
_*🕋अल्लाह सुब्हानहु तआला उस बन्दे की मदद मे रहता है जब तक बन्दा अपने भाई की मदद मे होता है,*_
_*और जो कोई इल्म की तलब मे कोई रास्ता चले तो अल्लाह सुब्हानहु तआला उसके लिए जन्नत का रास्ता असान फरमा देता है।,*_
_*और जब कोई अल्लाह के घर (मस्जीद) मे जमा होकर अल्लाह की किताब (कुरआने पाक) की तिलावत करे और आपस मे अल्लाह की किताब को समझे और समझायें तो फरिश्ते उनको घेर लेते है और उन पर सकीना नजील होने लगता है और रहमत उनको ढ़ाप लेती है और अल्लाह उनका जिक्र अपने पास फरिश्तो मे फरमाता है। और जिसका अमाल उसको पिछे कर दे उसका नसब (खंदान) उसे आगे नही कर सकता है।*_
_*📕 सुनन इब्न मजा, वो-1, हदीस-225*_
_*✒मुहम्मद अरमान गौस*_
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