_*तहरीक-ए-अमीने शरीअत (पार्ट- 03)*_
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_*🌹हुज़ुर अमीने शरीअ़त अलैहिर्रहमा के मज़ामीन का एक हसीन गुलदस्ता..!*_
_*शहजादए आला हज़रत हुज़ुर मुफ्तीए आज़म मुस्तफा रज़ा खां जिनके सायए करम रहकर हुज़ुर अमीने शरीअत उलुमे दीनीया से आरास्ता हुए.!*_
_*जिसकी बरकतों ने हुज़ुर अमीने शरीअत को अपना हमशबीह बना दिया और इनकी मोहब्बत का ये आलम के ख़िलाफत अता फरमाते वक्त [الولد العزیز] यानी प्यारा बच्चा जैसे प्यारे लकब से नवाज़ा..!*_
_*तकरीर व तहरीर तबलीग़ के दो बेहतरीन जरीये हैं..। हमारे असलाफे किराम ने दोनो को बरता है.. किसी ने तकरीर के जरीये तबलीग़ी फराएज़ अंजाम दिया तो किसी ने तहरीर के जरीए..*_
_*हुज़ुर अमीने शरीअत उन बुजुर्गों मे से एक हैं जिन्होने तकरीर व तहरीर दोनो मैदान मे घोड़े दौड़ाए हैं.. जहां आपकी तकरीर से हजारों ग़म गुस्तगाने राह, राह पर आये वहीं आपकी तहरीर ने रुशदो हिदायत के कितने ही गुल-बुटे खिलाए हैं..!*_
_*✍🏻मुहम्मद जुनैद रज़ा अज़हरी*_
_*📮जारी रहेगा......*_
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