_*तहरीक-ए-अमीने शरीअत (पार्ट- 02)*_
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_*🌹हुज़ुर अमीने शरीअ़त अलैहिर्रहमा के मज़ामीन का एक हसीन गुलदस्ता..!*_
_*तह़रीक : तहरीक का माना मुहीम (अभीयान) होता है..!!*_
_*आसान लफ़्ज़ों मे ऐसा कोई फेअ़ल या काम जिससे किसी मकसद को बढ़ावा मिलता हो..! या किसी काम को आगे बढ़ाना मुहीम कहलाता है..!*_
_*अमीने शरीअत : यानी के शरीअत का अमीन, और अमीन का माना होता है अमानत की हिफाज़त करने वाला ! और अमीने शरीअत वो है जिसने शरीयत जैसी अज़ीम अमानत की हिफाज़त की है !*_
_*हुज़ुर मुफ्ती-ए-आज़म मुस्तफा रज़ा खां ने जब हज़रते सिब्तै़न को शरीयत जैसी अज़ीम अमानत सौंप कर सुबा ए छत्तीसगढ़ की सरज़मीन पर भेजा तो उन्होने क्या ही खुब उस अमानत की हिफाज़त की और आलमे इस्लाम मे अमीने शरीअत बनकर जगमगाए हैं..!*_
_*✍🏻मुहम्मद जुनैद रज़ा अज़हरी*_
_*📮जारी रहेगा......*_
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